राज्यपाल के दरबार में पहुंचा चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस का चालान मामला
मनीमाजरा हाउसिंग बोर्ड की स्लिप रोड पर अवैध चेकिंग से परेशान,
पंचकूला के लोगों ने उठाई आवाज, राज्यपाल से मिलने का समय मांगा
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 19 जुलाई 2025:
चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस की कार्यशैली को लेकर जन आक्रोश बढ़ता जा रहा है। विशेषकर मनीमाजरा हाउसिंग बोर्ड की स्लिप रोड से लेकर पीजीआई सहित पूरे शहर में हो रही कथित अवैध चेकिंग से परेशान पंचकूला के नागरिकों ने अब इस मुद्दे को सीधे पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ प्रशासक गुलाबचंद कटारिया के समक्ष उठाया है। इस संबंध में एक विस्तृत ज्ञापन भेजकर राज्यपाल से व्यक्तिगत भेंट की मांग भी की गई है।
स्लिप रोड बना चेकिंग और चालान का अड्डा
ज्ञापन में कहा गया है कि चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस द्वारा खासतौर पर हरियाणा और पंजाब की गाड़ियों को स्लिप रोड पर रोका जा रहा है। पंचकूला की ओर से आने वाले वाहन चालकों को रोज़ अवैध चेकिंग, पूछताछ और बिना कारण चालान जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
300 करोड़ की लागत से लगे कैमरे, फिर भी मैन्युअल चालान जारी
ज्ञापन में यह सवाल भी उठाया गया कि जब चंडीगढ़ में 300 करोड़ रुपये की लागत से ट्रैफिक कैमरे लगाए गए हैं, जिनका उद्घाटन स्वयं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया था, तो फिर इतनी मैन्युअल चेकिंग और चालान का सिलसिला क्यों जारी है?
मानवाधिकारों का उल्लंघन
ज्ञापन देने वाले विजय बंसल एडवोकेट, प्रदेश अध्यक्ष – शिवालिक विकास बोर्ड (हरियाणा), ने बताया कि ट्रैफिक पुलिस की यह कार्यशैली न केवल लोगों के समय और सम्मान को ठेस पहुंचा रही है, बल्कि यह मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है।
उन्होंने राज्यपाल से निवेदन किया है कि उन्हें समय दिया जाए ताकि वे आमजन की व्यथा प्रत्यक्ष रूप से रख सकें।
राज्यपाल से की गई मांगें:
स्लिप रोड पर हो रही चेकिंग की निष्पक्ष जांच करवाई जाए।
हरियाणा-पंजाब के वाहन चालकों के साथ हो रहे भेदभाव पर रोक लगे।
दोषी ट्रैफिक कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई हो।
भविष्य में ऐसी तानाशाही कार्यवाही न हो, इसके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
विजय बंसल का बयान:
"हर दिन ट्रैफिक पुलिस की चेकिंग के नाम पर लोगों को बेवजह रोका जाता है। हम इस अन्याय के खिलाफ चुप नहीं बैठेंगे। महामहिम राज्यपाल से हमें पूरा विश्वास है कि वे इस जनहित के मामले को गंभीरता से लेंगे।"
जब चंडीगढ़ यूटी, हरियाणा और पंजाब की राजधानी है – तो फिर हरियाणा और पंजाब की गाड़ियों को अवैध रूप से क्यों टारगेट किया जा रहा है?
सवालों के घेरे में चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस की कार्रवाई, राज्यपाल से न्याय की गुहार
चंडीगढ़ — जो न केवल केंद्र शासित प्रदेश है बल्कि हरियाणा और पंजाब – दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी भी है, वहां पर ट्रैफिक पुलिस द्वारा विशेष रूप से हरियाणा और पंजाब की नंबर प्लेट वाली गाड़ियों को टारगेट किया जाना अब एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दा बनता जा रहा है।
क्या राजधानी में प्रवेश अब 'दूसरे दर्जे' के नागरिक जैसा व्यवहार झेलने की कीमत है?
मनीमाजरा हाउसिंग बोर्ड की स्लिप रोड हो या पीजीआई की ओर आने वाले रास्ते — हर जगह ट्रैफिक पुलिस की चेकिंग का केंद्र हरियाणा और पंजाब की गाड़ियाँ बन चुकी हैं। न केवल कागजों की बार-बार जांच की जा रही है, बल्कि बिना ठोस कारण के चालान और पूछताछ का सिलसिला आम बात हो चुकी है।
प्रशासनिक तंत्र पर सवालिया निशान
जब चंडीगढ़ दोनों राज्यों की राजधानी है, तो फिर वहां के नागरिकों को “बाहरी” मानकर चेकिंग करना कैसे न्यायसंगत है?
क्या सिर्फ नंबर प्लेट के आधार पर गाड़ियों को रोकना, दमनात्मक नहीं?
यह सवाल अब सड़कों से निकलकर राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया के दरबार तक पहुँच गया है।
ज्ञापन के माध्यम से उठाई गई माँग
हरियाणा शिवालिक विकास बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष विजय बंसल ने राज्यपाल को ज्ञापन भेजकर न केवल इस व्यवहार पर आपत्ति जताई है, बल्कि मिलने का समय भी मांगा है, ताकि आम जनता की परेशानी उन्हें सीधे बताई जा सके। उन्होंने इस दोहरे मापदंड पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है।
जनता की आवाज़:
"हम चंडीगढ़ में काम, इलाज या शिक्षा के लिए आते हैं, लेकिन जिस तरीके से हमें रोका जाता है, लगता है हम किसी और देश से आए हैं। क्या यही है हमारी राजधानी?" — राकेश शर्मा, पंचकूला निवासी
"गाड़ी हरियाणा की हो या पंजाब की, पुलिस का व्यवहार तुरंत बदल जाता है। यही गाड़ी चंडीगढ़ नंबर की हो, तो कोई नहीं पूछता।" — गुरमीत कौर, मोहाली निवासी
अब निगाहें राजभवन पर:
यह मामला अब पूरी तरह से चंडीगढ़ प्रशासन के उच्चतम स्तर तक पहुंच चुका है। देखना यह होगा कि राज्यपाल कब तक इस विषय पर प्रतिक्रिया देते हैं और क्या जनता को इस तानाशाही रवैये से राहत मिलती है।
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