पंचकूला पुलिस बनी देवदूत: सड़क किनारे करवाई महिला की सुरक्षित डिलीवरी, बच्ची का नाम रखा गया ‘दुर्गा’
एम्बुलेंस से पहले पहुंची दुर्गा शक्ति टीम, पुलिस ने निभाई इंसानियत की मिसाल
रमेश गोयत
पंचकूला, 20 जुलाई 2025। जिला पंचकूला पुलिस ने बीती रात एक असाधारण मानवीय संवेदना और तत्परता का परिचय देते हुए एक गर्भवती महिला की सड़क किनारे सुरक्षित डिलीवरी करवा कर न केवल एक जान बचाई, बल्कि मानवता का नया अध्याय भी लिखा। यह घटना तवा चौक के पास की है, जहां रात के सन्नाटे में एक महिला को तेज प्रसव पीड़ा हुई और समय रहते अस्पताल न पहुंच पाने की स्थिति में पुलिस फरिश्ता बनकर सामने आई।
सेक्टर-21 निवासी लक्ष्मी (22) अपने पति अनिल के साथ एक्टिवा पर अस्पताल जा रही थीं कि अचानक रास्ते में उन्हें असहनीय पीड़ा होने लगी। मजबूरन दोनों को तवा चौक के पास रुकना पड़ा। तभी एक जागरूक नागरिक ने पुलिस को सूचित किया, और कुछ ही मिनटों में महिला थाना की टीम तथा दुर्गा शक्ति टीम — जिसमें इंचार्ज उस्मान और महिला सिपाही अंजली शामिल थीं — मौके पर पहुंच गई।
पुलिस टीम ने बिना समय गंवाए सड़क किनारे ही महिला की सुरक्षित डिलीवरी करवाई। इस दौरान मां को मानसिक सहारा देते हुए नवजात बच्ची को सफलतापूर्वक जन्म दिलवाया गया। एम्बुलेंस कुछ देर बाद पहुंची और मां-बच्ची को सुरक्षित अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने दोनों की हालत सामान्य बताई।
भावुक पल के बीच महिला एसएचओ नेहा संधू ने बच्ची का नाम 'दुर्गा' रखने का सुझाव दिया — उस टीम के सम्मान में, जिसने संकट की घड़ी में नई ज़िंदगी को जन्म देने में अहम भूमिका निभाई।
लक्ष्मी के पति अनिल ने गदगद होकर पुलिस का आभार जताते हुए कहा, “खाकी वर्दी में इंसान नहीं, उस रात फरिश्ते थे। मेरी पत्नी और बेटी की जिंदगी बचाने वाली टीम को कभी नहीं भूलेंगे।”
इस मानवीय कार्य की सराहना करते हुए डीसीपी सृष्टि गुप्ता ने कहा, “यह हमारी पुलिस की असली पहचान है — कानून के साथ करुणा भी। नेहा संधू, उस्मान और अंजली जैसे पुलिसकर्मियों पर हमें गर्व है।”
यह घटना साबित करती है कि पुलिस सिर्फ कानून व्यवस्था नहीं संभालती, बल्कि ज़रूरत की घड़ी में समाज की सबसे बड़ी ताकत बनकर सामने आती है। ‘दुर्गा’ नाम की इस नवजात बच्ची के साथ पंचकूला पुलिस ने उम्मीद, संवेदना और सेवा का नया प्रतीक रच दिया है।
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