Himachal Breaking: SP संजीव गांधी बोले - अगर कोई मेरी ईमानदारी व प्रोफेशनल अखंडता पर सवाल उठाता है तो पद छोड़ना पसंद करूंगा, पत्रकार वार्ता DGP पर लगाए गंभीर आरोप
बाबूशाही ब्यूरो
शिमला, 24 मई 2025 : हिमाचल प्रदेश पुलिस विभाग में उच्च स्तर पर चल रही अंतर्कलह अब सार्वजनिक रूप ले चुकी है। हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के मुख्य अभियंता विमल नेगी की रहस्यमय मौत की जांच के सिलसिले में यह विवाद सामने आया है, जहां शिमला जिला पुलिस और पुलिस मुख्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच मतभेद खुलकर प्रकट हो गए हैं।
शनिवार को आयोजित एक प्रेस वार्ता में शिमला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) संजीव कुमार गांधी ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अतुल वर्मा के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए। गांधी ने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्होंने अपने 25-26 वर्षों के पुलिस सेवा जीवन को पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निभाया है। उन्होंने कहा, “अगर कोई मेरी ईमानदारी और पेशेवर अखंडता पर सवाल उठाता है, तो मैं पुलिस की नौकरी छोड़ना पसंद करूंगा।” उन्होंने यह भी ऐलान किया कि मामले की दोबारा निष्पक्ष जांच के लिए उनकी विशेष जांच टीम (SIT) कोर्ट का रुख करेगी ताकि विमल नेगी को न्याय मिल सके।
हाईकोर्ट में होगी याचिका दायर, एनएसजी रिपोर्ट को लेकर भी उठाए सवाल
गांधी ने बताया कि वह हाईकोर्ट में याचिका दायर कर संपूर्ण साक्ष्य और सच्चाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि मिडल बाजार गैस ब्लास्ट मामले में भी उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया गया। शुरुआत में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) की रिपोर्ट में इसे आतंकी हमला बताकर RDX की मौजूदगी का दावा किया गया, जिसके आधार पर डीजीपी ने मुख्य सचिव को पत्र लिखते हुए गांधी पर लापरवाही और सबूत नष्ट करने का आरोप लगाया।
लेकिन बाद में जांच में यह स्पष्ट हुआ कि विस्फोट एलपीजी लीक के कारण हुआ था और कोई विस्फोटक सामग्री नहीं मिली।
सीआईडी दस्तावेज़ लीक करने में डीजीपी स्टाफ का हाथ?
गांधी ने यह भी खुलासा किया कि शिमला पुलिस द्वारा की गई एक जांच में पाया गया कि पुलिस महानिदेशक के निजी स्टाफ के सदस्य ने सीआईडी से जुड़ा एक गोपनीय पत्र चुराकर मीडिया में लीक किया। इस सिलसिले में एफआईआर भी दर्ज की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले की निष्पक्ष जांच को बाधित करने के लिए डीजीपी द्वारा लगातार प्रयास किए गए।
डीजीपी पर लगे कोर्ट को गुमराह करने और ड्रग माफिया से संबंध के आरोप
प्रेस वार्ता में गांधी ने यह भी बताया कि डीजीपी ने सीआईडी में तैनाती के दौरान एक जूनियर अधिकारी पर दबाव बनाकर कोर्ट को गुमराह करने वाली रिपोर्ट तैयार करवाई। इसके अलावा उन्होंने खुलासा किया कि पिछले ढाई वर्षों में उनके नेतृत्व में चलाए गए नशा विरोधी अभियानों के दौरान एक गिरोह के संपर्क में डीजीपी के निजी स्टाफ का एक सदस्य पाया गया। इस मामले में कोर्ट से आगे की जांच की अनुमति मांगी गई है।
मानहानि मामला और विनय अग्रवाल केस में भी उठाए सवाल
गांधी ने भाजपा विधायक सुधीर शर्मा के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी दर्ज कराया है, जिसमें आरोप है कि शर्मा ने 21 मई को हाईकोर्ट की कार्यवाही की वीडियो क्लिप को सोशल मीडिया पर वायरल किया। इसके अलावा उन्होंने विनय अग्रवाल प्रकरण को लेकर भी डीजीपी पर सवाल उठाए।
बहरहाल, हिमाचल प्रदेश पुलिस के भीतर चल रही यह शक्ति-संघर्ष की स्थिति न केवल प्रशासनिक तंत्र को झकझोर रही है, बल्कि इससे पुलिस की साख और जनविश्वास पर भी सवाल उठ रहे हैं। गौर हो कि एसपी संजीव गांधी एक ईमानदार और धाकड़ पुलिस अधिकारी के रूप में पहचाने जाते हैं। (SBP)
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