सब गोलमाल है: रिश्वत लेते पकड़े गए अधिकारी बहाल, चंडीगढ निगम के सिस्टम पर उठे सवाल
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 18 जून — “सब गोलमाल है”... यह कथन एक बार फिर चंडीगढ़ प्रशासन की कार्यशैली पर फिट बैठता नजर आ रहा है। मामला है नगर निगम के अग्निशमन विभाग का, जहां रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किए गए दो अधिकारियों को चुपचाप दोबारा बहाल कर दिया गया। हैरानी की बात यह है कि उनमें से एक को फिर से वही जिम्मेदारी दे दी गई है, जहां से वह पकड़ा गया था — फायर स्टेशन ऑफिसर का पद।
रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़े गए थे
नवंबर 2024 में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने चंडीगढ़ अग्निशमन विभाग के एक फायर स्टेशन ऑफिसर और लीडिंग फायरमैन को 80 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। आरोप था कि ये अधिकारी आग से सुरक्षा संबंधित एनओसी (No Objection Certificate) देने के एवज में पैसे मांग रहे थे।
CBI की टीम ने दोनों के घरों पर छापा भी मारा, जहां से 4 लाख रुपये नकद बरामद हुए। मामला मीडिया में खूब उछला, सिस्टम की ईमानदारी पर सवाल उठे और लोगों में आक्रोश भी देखने को मिला।
दो महीने में ही बेल, फिर बहाली!
लेकिन यह पूरा मामला अब ‘रिवर्स गियर’ में चला गया लगता है। सिर्फ दो महीने के भीतर ही दोनों आरोपियों को अदालत से जमानत मिल गई। और हैरत की बात यह है कि नगर निगम ने बिना विभागीय जांच पूरी किए दोनों को बहाल कर दिया। यही नहीं, गिरफ्तारी के समय फायर स्टेशन ऑफिसर रहे अधिकारी को फिर से वही पद दे दिया गया है, मानो कुछ हुआ ही न हो।
सवालों के घेरे में नगर निगम
नगर निगम की इस कार्रवाई ने कई बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं:
क्या भ्रष्टाचार के मामलों में इतनी जल्द बहाली जायज़ है?
क्या विभागीय जांच की कोई प्रक्रिया अपनाई गई?
जिस पद पर रहते हुए रिश्वत ली गई, क्या उसी पद पर दोबारा बहाली करना नैतिक है?
कर्मचारी यूनियन और जनप्रतिनिधि खामोश
न तो नगर निगम की कर्मचारी यूनियन और न ही स्थानीय पार्षद इस मामले पर कोई ठोस प्रतिक्रिया दे रहे हैं। सब कुछ ऐसे हो गया है जैसे “दाल में कुछ काला नहीं, पूरी दाल ही काली है।”
जनता में आक्रोश
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर इसी तरह रिश्वतखोर अधिकारी फिर से सिस्टम में बैठा दिए जाएंगे, तो आम आदमी किससे न्याय की उम्मीद करे? एक स्थानीय दुकानदार ने कहा, "जब अफसर ही बिक जाएंगे तो आम आदमी की सुरक्षा भगवान भरोसे है।"
यह मामला केवल दो अधिकारियों की बहाली भर नहीं है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की गिरती साख और भ्रष्टाचार के प्रति ढिलाई की गवाही देता है। अगर यही रवैया रहा, तो अगली बार कोई भी अधिकारी रिश्वत लेने से पहले सौ बार नहीं, बल्कि एक बार भी नहीं सोचेगा — क्योंकि उसे पता है, "सब गोलमाल है।"
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