पुस्तक-चर्चा:Hockey Legend पृथीपाल सिंह के उतार-चढ़ाव भरे जीवन और अंत पर "गनड डाउन: द राइज एंड फॉल ऑफ पृथीपाल सिंह – इंडियन हॉकी’स पेनल्टी किंग" किताब का विमोचन
"गनड डाउन" में भारतीय "पेनल्टी किंग" की शौर्यगाथा, विवाद और 1983 की कैंपस हिंसा का वर्णन
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 12 अगस्त 2025: "गनड डाउन: द राइज एंड फॉल ऑफ पृथीपाल सिंह – इंडियन हॉकी’स पेनल्टी किंग" शीर्षक पुस्तक, जो महान हॉकी खिलाड़ी पृथीपाल सिंह के जीवन और उनकी दुखद मौत की कहानी बयां करती है, का आज यहां विमोचन किया गया। इसके बाद विशेषज्ञों ने उनके गौरवपूर्ण परंतु विवादास्पद सफर पर चर्चा की।

भारत ने नामवर स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट संदीप मिश्रा द्वारा लिखी इस पुस्तक पर चर्चा करते हुए वक्ताओं ने सर्वसम्मति से पृथीपाल सिंह को भारत के महानतम हॉकी नायकों में से एक और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बताया। हालांकि, उन्होंने उनके व्यक्तित्व के विवादास्पद और नेगेटिव पहलुओं पर भी प्रकाश डाला, विशेषकर पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (PAU ) में डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर के कार्यकाल के दौरान। उनके प्रबल अहंकार, अर्रोगंट और ज़िद्दी स्वभाव और प्रतिद्वंद्वी छात्र गुटों के साथ पक्षधरता को उनके उपलब्धियों पर कला छाया डालने वाला कारण बताया गया। यह तनाव 1983 में पीएयू कैंपस में उनकी हत्या के साथ चरम पर पहुंचा, जिसके पहिले 1979 में छात्र यूनियन PSU के नेता पृथीपाल सिंह रंधावा )अप्रैल १९८३ में PAU के ही खिलाड़ी पियारा सिंह की भी हत्या कर दी गई थी जिनका दोष पृथीपाल सिंह की सरपरस्ती वाले स्टूडेंट गुट पर ही लगा था.
इस अवसर पर पृथीपाल सिंह के खेल जीवन और पीएयू, लुधियाना में हुई उनकी हत्या पर विस्तार से चर्चा हुई।
"पेनल्टी कॉर्नर किंग" के रूप में जाने जाने वाले पृथीपाल सिंह ने तीन ओलंपिक (रोम 1960, टोक्यो 1964 और मेक्सिको 1968) खेले और तीनों ओलंपिक में शीर्ष स्कोरर रहे। उन्होंने तीनों रंगों के पदक—स्वर्ण, रजत और कांस्य—जीते।

पृथीपाल सिंह का जन्म विभाजन से पहले ननकाना साहिब (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। वह विश्व के शीर्ष फुलबैक खिलाड़ियों और महानतम पेनल्टी कॉर्नर विशेषज्ञों में से एक थे, जिनकी 20 मई 1983 को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय परिसर में हत्या कर दी गई थी।
इस अवसर पर हॉकी इंडिया के अध्यक्ष और ओलंपियन कप्तान दिलीप तिर्की की ओर से उड़ीसा के हॉकी खिलाड़ियों पर प्रकाशित पुस्तक “हॉकी है ज़िंदगी” की प्रति भी भेंट की गई।

किताब, पृथीपाल के खेल जीवन, देश के प्रति उनके योगदान, उनके स्वभाव और पीएयू में उनके कार्य-व्यवहार पर चर्चा करने वालों में पीएयू में ही व्याख्याता रहे हरचरण बैंस, हॉकी के पूर्व कप्तान और ओलंपियन प्रगट सिंह तथा पृथीपाल के साथ खेलने वाले हॉकी खिलाड़ी हरबिंदर सिंह भी शामिल थे।
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