चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस पर सवाल: मरीजों की गाड़ियों को रोकना अमानवीय – सेकंड इनिंग्स एसोसिएशन
सेक्टर 32GMCH, PGI सेक्टर 12, सेक्टर 16 में बाहर से आने वालों को चालान के नाम पर किया जा रहा तंग, आर.के. गर्ग ने की कड़ी निंदा
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 15 जून 2025:
बाहर से इलाज या जरूरी कार्य के लिए चंडीगढ़ आने वाले लोगों को ट्रैफिक पुलिस द्वारा बार-बार रोके जाने और चालान काटने की घटनाएं थम नहीं रही हैं। अब यह समस्या केवल अस्पतालों तक सीमित नहीं रही, बल्कि आम रास्तों और जंक्शन तक फैल गई है।
12 जून को सेक्टर 26 स्थित अनाज मंडी जंक्शन पर उत्तर प्रदेश नंबर की एक गाड़ी को ट्रैफिक पुलिस द्वारा रोका गया, जिसमें एक बुजुर्ग व्यक्ति और महिला सवार थे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दोनों अस्पताल जाने की जल्दी में थे लेकिन गाड़ी का नम्बर यूपी का होने के कारण वायलेशन के नाम पर रोके रखा गया। यह स्थिति मानसिक तनाव पैदा करने वाली थी और स्पष्ट रूप से अमानवीय व्यवहार का उदाहरण मानी जा रही है।
इससे पहले भी सेक्टर 32 अस्पताल, सेक्टर 12 स्थित पीजीआई, और सेक्टर 16 सिविल अस्पताल के बाहर बाहर से आने वाली गाड़ियों — विशेषकर पंजाब और हरियाणा नंबर की — को ट्रैफिक पुलिस द्वारा रोका जाना लगातार सामने आता रहा है।
आर.के. गर्ग (प्रधान, सेकंड इनिंग्स एसोसिएशन) ने जताई कड़ी आपत्ति:
"बाहर से आए बुजुर्ग, महिलाएं व मरीज़ जिस हालात में ट्रैफिक पुलिस की जांच और चालान के नाम पर रोके जा रहे हैं, वह न केवल अमानवीय है, बल्कि व्यवस्था की असंवेदनशीलता को दर्शाता है।"
गर्ग ने कहा कि इस तरह की घटनाएं रोजमर्रा का हिस्सा बन चुकी हैं और प्रशासन को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए।
तीन मुख्य सुझाव जो संगठन ने रखे:
व्हाट्सएप शिकायत हेल्पलाइन शुरू की जाए:
ट्रैफिक पुलिस के रवैये से परेशान नागरिक अपनी शिकायत फोटो/वीडियो सहित एक तयशुदा नंबर पर भेज सकें ताकि तत्काल जांच हो।
चालान प्रणाली में पारदर्शिता:
पुलिस को यह बताना चाहिए कि कुल चालानों में से कितने बाहर के राज्यों की गाड़ियों पर हुए, उनका कारण क्या था, और वे सीसीटीवी से हुए या मैन्युअल।
मरीजों के वाहनों को विशेष छूट दी जाए:
अस्पताल जाने वाली गाड़ियों के चालान रोककर नहीं, प्राथमिकता के साथ रास्ता दिया जाए। मेडिकल दस्तावेज दिखाने पर राहत मिलनी चाहिए।
नागरिकों और संस्थाओं का आक्रोश बढ़ा:
स्थानीय नागरिक मंचों और संगठनों ने चेताया है कि यदि इस तरह की ट्रैफिक पुलिसिया कार्यशैली पर तुरंत रोक न लगी तो वे जनसुनवाई और सार्वजनिक विरोध का रास्ता अपनाएंगे।
"ट्रैफिक व्यवस्था ज़रूरी है, पर इंसानियत से बड़ी नहीं। मरीज को पहले अस्पताल पहुंचाना जरूरी है, चालान बाद में भी हो सकता है," एक नागरिक प्रतिनिधि ने कहा। यदि आपके साथ भी ऐसी कोई घटना हुई है, तो कृपया सेकंड इनिंग्स एसोसिएशन या प्रशासन को सूचित करें।
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