'शौकपाल' या लोकपाल? BMW कार खरीद के टेंडर से देश में सियासत तेज, विपक्षी पार्टियों ने उठाए सवाल
Babushahi Bureau
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर, 2025 : भ्रष्टाचार पर निगरानी रखने वाली संस्था लोकपाल (Lokpal) इन दिनों सात लक्ज़री BMW कारों की खरीद के टेंडर (tender) को लेकर विवादों के घेरे में है। लगभग 5 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इन गाड़ियों की खरीद पर विपक्षी दलों ने तीखा हमला बोला है, जिसके बाद देश की सियासत गरमा गई है। विपक्षी नेताओं ने तंज कसते हुए कहा है कि अब यह संस्था 'लोकपाल' नहीं, बल्कि 'शौकपाल' हो गई है।
क्या है पूरा मामला?
1. टेंडर जारी: लोकपाल ने 16 अक्टूबर को यह विवादित टेंडर जारी किया।
2. गाड़ियों की मांग: टेंडर में BMW 3 Series 330Li M Sport (लॉन्ग व्हीलबेस, सफेद रंग) की कुल 7 गाड़ियां खरीदने की बात कही गई है।
3. लागत: प्रति गाड़ी की कीमत लगभग 69.5 लाख रुपये बताई गई है, जिससे कुल लागत करीब 5 करोड़ रुपये हो जाएगी।
4. उपयोग: ये गाड़ियां लोकपाल के चेयरमैन जस्टिस एएम खानविलकर (सेवानिवृत्त) और इसके छह अन्य सदस्यों के लिए खरीदी जा रही हैं।
विपक्ष हुआ हमलावर: किसने क्या कहा?
लोकपाल के इस टेंडर के सामने आने के बाद कई प्रमुख विपक्षी नेताओं ने संस्था पर जमकर निशाना साधा है:
1. जयराम रमेश (कांग्रेस): उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जिन लोगों ने मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ झूठा प्रचार किया, अब उन्हें लोकपाल की असलियत देखनी चाहिए।
2. पी चिदंबरम (कांग्रेस): उन्होंने सवाल उठाया कि जब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के न्यायाधीशों (Judges) को मामूली कारें मिलती हैं, तो लोकपाल के सदस्यों को BMW जैसी महंगी कारें क्यों चाहिए?
3. अभिषेक मनु सिंघवी (कांग्रेस): उन्होंने तीखे शब्दों में कहा, "8703 शिकायतें, सिर्फ 24 जांचें, 6 अभियोजन स्वीकृति (prosecution sanctions) और अब BMW... यह संस्था 'पैंथर' (Panther) नहीं, बल्कि एक 'पूडल' (Poodle - एक प्रकार का कुत्ता) बनकर रह गई है।"
4. साकेत गोखले (टीएमसी सांसद): उन्होंने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि लोकपाल का सालाना बजट 44.32 करोड़ रुपये है और ये गाड़ियां उसी बजट का लगभग 10% हिस्सा हैं।
5. प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना-यूबीची): उन्होंने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो सरकार हमेशा 'देशी' उत्पादों की बात करती है, वह विदेशी कंपनी की विदेशी कारें क्यों खरीद रही है?
टेंडर की अन्य शर्तें
1. मुफ्त ट्रेनिंग: टेंडर के मुताबिक, विक्रेता (vendor) को ड्राइवरों के लिए 7 दिन की मुफ्त ट्रेनिंग देनी होगी, जिसमें कार के सभी फीचर्स (features), सुरक्षा उपायों (safety measures) और इमरजेंसी हैंडलिंग (emergency handling) की जानकारी शामिल होगी। यह ट्रेनिंग डिलीवरी के 15 दिन के भीतर पूरी होनी चाहिए।
2. बोली की अंतिम तारीख: बोली (bidding) लगाने की अंतिम तारीख 6 नवंबर निर्धारित की गई है।
3. जमा राशि: एजेंसियों को 10 लाख रुपये की जमा राशि (Earnest Money Deposit - EMD) भी देनी होगी।
4. सप्लाई समय सीमा: डिलीवरी ऑर्डर (delivery order) मिलने के बाद, गाड़ियों को 2 हफ्ते से लेकर 30 दिन के भीतर सप्लाई करना होगा।
इस खरीद पर शुरू हुए विवाद ने भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली एक महत्वपूर्ण संस्था की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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