पिछले दो वर्षों की तुलना में पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में आई 4 गुना कमी
Babushahi Bureau
पंजाब में वर्ष 2024 में 1,510 और वर्ष 2023 में 1,764 मामलों के मुकाबले वर्ष 2025 में पराली जलाने के 415 मामले दर्ज किए गए
डीजीपी पंजाब गौरव यादव राज्य में पराली जलाने की स्थिति की समीक्षा हेतु रेंज अधिकारियों, सीपी/एसएसपीज़ और एसएचओज़ के साथ कर रहे हैं बैठकें
विशेष डीजीपी अर्पित शुक्ला द्वारा किसानों से सहयोग करने और फसल अवशेष न जलाने की अपील
चंडीगढ़, 22 अक्टूबर
राज्य में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए सिविल प्रशासन और पंजाब पुलिस द्वारा किए जा रहे लगातार और सक्रिय प्रयासों के सकारात्मक परिणामस्वरूप, इस वर्ष पंजाब में पिछले दो वर्षों की तुलना में खेतों में पराली जलाने की घटनाओं में लगभग चार गुना कमी दर्ज की गई है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 15 सितंबर से 21 अक्टूबर 2025 तक, पंजाब में केवल 415 पराली जलाने के मामले दर्ज किए गए हैं। जबकि वर्ष 2024 और 2023 में क्रमशः 1,510 और 1,764 मामले दर्ज हुए थे, जो इस वर्ष पराली जलाने की घटनाओं में चौंकाने वाली गिरावट को दर्शाते हैं।
उल्लेखनीय है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सी.ए.क्यू.एम.) के पराली जलाने के मामलों को शून्य तक लाने के निर्देशों की पालना करते हुए, पंजाब पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव और विशेष डीजीपी (कानून-व्यवस्था) अर्पित शुक्ला स्वयं इस अभियान की निगरानी कर रहे हैं।
डीजीपी पंजाब राज्य में पराली जलाने की घटनाओं की दैनिक समीक्षा के लिए सभी वरिष्ठ अधिकारियों, रेंज अधिकारियों, सीपीज़/एसएसपीज़ और थाना प्रभारी (एसएचओज) के साथ बैठकें कर रहे हैं।
विशेष डीजीपी अर्पित शुक्ला ने कहा कि सिविल प्रशासन के साथ मिलकर पुलिस टीमें राज्यभर में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए जमीनी स्तर पर निरंतर प्रयास कर रही हैं।
उन्होंने बताया कि डीसी/एसएसपीज़ और एसडीएम/डीएसपी उन गांवों में संयुक्त दौरे कर रहे हैं जिन्हें पराली जलाने के हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित किया गया है। इसके अलावा, जिला और उपमंडल स्तर पर किसानों और किसान यूनियनों के साथ जागरूकता बैठकें भी आयोजित की जा रही हैं।
पिछले कुछ दिनों में डिप्टी कमिश्नरों/एसएसपी द्वारा 251 संयुक्त दौरे और एसडीएम/डीएसपी द्वारा 790 संयुक्त दौरे किए गए। इन दौरों के दौरान 2,381 जन-जागरूकता बैठकों और 1,769 किसान बैठकों का आयोजन किया गया। साथ ही, पुलिस स्टेशन स्तर पर ‘पराली प्रोटेक्शन फोर्स’ का गठन भी किया गया है, जो किसानों को फसल अवशेष जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ सतर्कता भी बनाए हुए है।
विशेष डीजीपी ने बताया कि पराली जलाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जा रही है। अब तक, पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर (पीएसआरसी) द्वारा 415 खेतों में आग लगने की पुष्टि की गई है और संयुक्त टीमों को मौके पर जांच के लिए भेजा गया है। उन्होंने बताया कि पुलिस टीमों ने 172 मामलों में एफआईआर दर्ज, 189 मामलों में जुर्माना किया गया है और 165 किसानों के राजस्व रिकॉर्ड में लाल प्रविष्टियां (रैड एंट्रियां) की गई हैं।
विशेष डीजीपी ने किसानों से सहयोग करने और फसल अवशेष न जलाने की अपील करते हुए कहा कि ऐसा करने से न केवल पर्यावरण प्रदूषित होगा, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा।
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