IPS Y Puran Kumar Suicide मामला : चंडीगढ़ पुलिस ने अब कोर्ट का लिया सहारा, पढ़ें पूरी ख़बर
Babushahi Bureau
चंडीगढ़, 14 अक्टूबर, 2025 : हरियाणा के वरिष्ठ IPS अधिकारी वाई. पूरन कुमार की मौत के मामले में पोस्टमार्टम ([post-mortem]) पर बने गतिरोध के बाद अब यह मामला चंडीगढ़ की जिला अदालत में पहुंच गया है। चंडीगढ़ पुलिस की एक याचिका पर कार्रवाई करते हुए, ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास की अदालत ने दिवंगत अधिकारी की IAS पत्नी, श्रीमती अमनीत पी. कुमार, को एक नोटिस जारी किया है।
अदालत ने अमनीत पी. कुमार को निर्देश दिया है कि वह PGI चंडीगढ़ में रखे अपने पति के शव की पहचान करें, ताकि पोस्टमार्टम की कार्यवाही आगे बढ़ाई जा सके।
क्या है कोर्ट के नोटिस में?
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (Chief Judicial Magistrate), चंडीगढ़ की अदालत द्वारा जारी नोटिस के अनुसार:
1. मामला: यह नोटिस FIR संख्या 156 के तहत दर्ज मामले में जारी किया गया है, जिसमें भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 और SC/ST एक्ट की धाराएं शामिल हैं।
2. पुलिस की याचिका: चंडीगढ़ पुलिस के DSP/SIT के सदस्य ने कोर्ट में एक आवेदन दायर कर यह निर्देश देने की मांग की है कि शिकायतकर्ता (अमनीत पी. कुमार) पोस्टमार्टम की प्रक्रिया के लिए अपने पति के शव की पहचान करें।
3. अदालत का निर्देश: कोर्ट ने अमनीत पी. कुमार को इस आवेदन पर 15 अक्टूबर, 2025 तक व्यक्तिगत रूप से या अपने वकील के माध्यम से जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
4. अंतिम फैसला: यदि उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आता है, तो अदालत पुलिस की याचिका पर मेरिट (merits) के आधार पर फैसला करेगी।
क्यों कोर्ट पहुंची पुलिस?
वाई. पूरन कुमार ने 7 अक्टूबर को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी, लेकिन उनका परिवार सुसाइड नोट में नामित वरिष्ठ अधिकारियों की गिरफ्तारी की मांग पर अड़ा हुआ है और उन्होंने पोस्टमार्टम के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया है।
पुलिस ने अदालत में दलील दी है कि 8 दिनों की देरी के कारण महत्वपूर्ण फोरेंसिक सबूत (forensic evidence) नष्ट हो रहे हैं, जो मौत के वास्तविक कारण का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण हैं। कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, संदिग्ध मृत्यु के मामलों में पोस्टमार्टम एक अनिवार्य कानूनी प्रक्रिया है और जांच के लिए इसे मजिस्ट्रेट के आदेश पर परिवार की सहमति के बिना भी कराया जा सकता है। अब सभी की निगाहें 15 अक्टूबर को होने वाली अदालती सुनवाई पर टिकी हैं
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