अमेरिका में दाढ़ी पर प्रतिबंध सिख धर्म और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है, न्याय और आस्था की विजय हो: सुखमिंदरपाल सिंह ग्रेवाल भूखड़ी कलां
चंडीगढ़, 6 अक्टूबर 2025: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय नेता सुखमिंदरपाल सिंह ग्रेवाल भूखड़ी कलां ने भारत सरकार और अमेरिका सरकार दोनों से गंभीरता और तत्परता के साथ अमेरिकी प्रशासन द्वारा सशस्त्र बलों में दाढ़ी पर लगाए गए प्रतिबंध के भेदभावपूर्ण और असंवेदनशील निर्णय पर संज्ञान लेने की हार्दिक, भावनात्मक और दृढ़ अपील की है।
ग्रेवाल ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण और असंवेदनशील निर्णय धार्मिक स्वतंत्रता, नागरिक अधिकारों और लोकतंत्र के उन सिद्धांतों पर सीधा आघात है, जिन पर अमेरिका को सदैव विश्वभर में स्वतंत्रता और न्याय का प्रतीक माना गया है।
उन्होंने कहा कि वे भारत के माननीय प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री, भाजपा नेतृत्व के साथ-साथ अमेरिका के राष्ट्रपति, अमेरिकी प्रशासन के वरिष्ठ सदस्यों तथा स्टेट डिपार्टमेंट, डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी और एफबीआई के नेतृत्व से आग्रह करते हैं कि वे तुरंत हस्तक्षेप करें और यह सुनिश्चित करें कि सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों, विशेषकर सिख समुदाय के पवित्र अधिकारों की पूर्ण रक्षा और सम्मान किया जाए।
ग्रेवाल ने बताया कि यह भेदभावपूर्ण आदेश सिख समुदाय को विश्वभर में गहराई से आहत कर रहा है, क्योंकि यह सिखों के उस मौलिक अधिकार को चुनौती देता है जिसके अंतर्गत सिख पुरुष अपने बाल और दाढ़ी बिना काटे रखते हैं जो सिख धर्म की दिव्य आज्ञा और पहचान का अनिवार्य हिस्सा है। उन्होंने याद दिलाया कि 2010 से अमेरिकी सशस्त्र बलों ने सिख सैनिकों को दाढ़ी और पगड़ी के साथ सेवा करने की अनुमति दी थी, जिससे वे अपने धार्मिक मूल्यों और देशभक्ति दोनों का सम्मानपूर्वक पालन कर पा रहे थे।
उन्होंने आगे कहा कि इस छूट को समाप्त करने का हालिया निर्णय धार्मिक समानता और मानवाधिकारों की दिशा में हुई वर्षों की प्रगति को उलट देता है। 60 दिन की सीमित छूट अवधि की घोषणा की गई है, परंतु सिख सैनिकों को पूर्ण छूट मिलनी चाहिए, क्योंकि दाढ़ी और बाल न काटना कोई व्यक्तिगत पसंद नहीं, बल्कि धार्मिक कर्तव्य है। इस अधिकार से वंचित करना सिख सैनिकों को उनके धर्म और सेवा के बीच अन्यायपूर्ण और पीड़ादायक चुनाव करने पर मजबूर करेगा।
ग्रेवाल ने याद दिलाया कि 2010 से पहले सिखों को दाढ़ी और पगड़ी रखते हुए अमेरिकी सेना में सेवा करने की अनुमति नहीं थी। यह भेदभावपूर्ण नीति केवल लंबे और कठिन न्याय संग्राम के बाद खत्म हुई थी, जिसमें कानूनी, सामाजिक और मानवाधिकार आंदोलनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 2017 में अमेरिकी रक्षा विभाग के ऐतिहासिक निर्णय ने धार्मिक स्वतंत्रता और समावेशिता के सिद्धांतों को पुनः स्थापित किया था। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि कभी कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला कि दाढ़ी रखने से अनुशासन, दक्षता या सैन्य तत्परता पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
गहरी निराशा व्यक्त करते हुए ग्रेवाल ने कहा कि जब सच्चे सिख और विश्वभर में शांति-प्रिय सिख प्रवासी न्याय और समानता के लिए खड़े हैं, तब कुछ तथाकथित अलगाववादी संगठन जैसे “सिख्स फॉर जस्टिस” और उनके नेता इस समय चुप हैं, जब ट्रंप प्रशासन स्वयं सिख सैनिकों की दाढ़ी और पगड़ी के अधिकार छीन रहा है। उन्होंने तीखा प्रश्न उठाया “जब सिख युवाओं और बुजुर्ग महिलाओं को निर्वासित किया गया, हथकड़ी लगाई गई और जबरन उनकी पगड़ियां उतरवाई गईं, तब ये संगठन कहाँ थे?”
उन्होंने आगे कहा कि ऐसे तत्व केवल अवसरवादी ठग हैं, जो सिख पहचान का दुरुपयोग अपने राजनीतिक हितों के लिए करते हैं। वे सिख धर्म या सिख अधिकारों के वास्तविक रक्षक नहीं, बल्कि सिख नाम का उपयोग भारत-विरोधी और स्वार्थी प्रचार के लिए कर रहे हैं।
ग्रेवाल ने विश्वभर के सिख प्रवासियों से अपील की कि वे ऐसे भ्रामक तत्वों से सतर्क, जागरूक और एकजुट रहें, तथा सच्चाई, शांति और गरिमा के साथ खड़े रहें। उन्होंने अमेरिकी प्रशासन से आग्रह किया कि वह अपने संविधान और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों के अंतर्गत धर्म की स्वतंत्रता की रक्षा करे।
ग्रेवाल ने भावनात्मक शब्दों में कहा कि
“सत्य, आस्था और न्याय की विजय हो। हर सिख सैनिक अपने धर्म, पगड़ी और सम्मान के साथ गर्व से सेवा करता रहे। धार्मिक स्वतंत्रता कोई विशेषाधिकार नहीं, बल्कि यह प्रत्येक मानव का पवित्र अधिकार है।”
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