Make in India के 'ब्रह्मास्त्र' Tejas Mk-1A ने भरी पहली उड़ान! जानें क्यों इसे कहा जा रहा है Game Changer?
Babushahi Bureau
नासिक (महाराष्ट्र), 17 अक्टूबर, 2025 : 'मेक इन इंडिया' की दिशा में एक ऐतिहासिक छलांग लगाते हुए भारत के उन्नत स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस एमके-1ए (Tejas Mk-1A) ने आज सफलतापूर्वक अपनी पहली उड़ान भरी। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के नासिक स्थित एयरक्राफ्ट मैन्यूफैक्चरिंग डिविजन से जब इस विमान ने उड़ान भरी, तो इस ऐतिहासिक पल के गवाह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी बने। उड़ान के सफल समापन पर विमान को पारंपरिक 'वाटर कैनन सैल्यूट' (Water Cannon Salute) दिया गया।
इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे भारत के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण बताते हुए कहा, "आज मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया है।" उन्होंने तेजस के उत्पादन में तेजी लाने के लिए एचएएल की तीसरी प्रोडक्शन लाइन (Production Line) का भी उद्घाटन किया।
क्यों है यह उड़ान ऐतिहासिक?
तेजस एमके-1ए की यह पहली उड़ान भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता के लिए एक मील का पत्थर है। यह विमान भारतीय वायुसेना के पुराने पड़ चुके मिग-21 (MiG-21) बेड़े की जगह लेगा। यह तेजस लड़ाकू विमान का एक अत्यधिक उन्नत संस्करण है, जो आधुनिक युद्ध की सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है।
Tejas Mk-1A की ताकत
यह विमान न केवल तेज है, बल्कि घातक हथियारों और उन्नत तकनीक से भी लैस है।
1. रफ्तार और रेंज: इसकी अधिकतम रफ्तार 2,200 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक है और यह 50,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है।
2, आधुनिक तकनीक: यह उन्नत एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) रडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW) सूट और बेहतरीन एवियोनिक्स से लैस है।
3. घातक हथियार: यह हवा से हवा में मार करने वाली एस्ट्रा (Astra) मिसाइल और ब्रह्मोस-एनजी (BrahMos-NG) गाइडेड बम जैसे कई स्वदेशी हथियारों को ले जाने में सक्षम है।
प्रोडक्शन और डिलीवरी का प्लान
भारतीय वायुसेना को तेजस विमानों की डिलीवरी में तेजी लाने के लिए एचएएल पूरी क्षमता से काम कर रहा है।
1. डिलीवरी: एचएएल अगले चार वर्षों में भारतीय वायुसेना को 83 तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमानों की आपूर्ति करेगा। हालांकि, अमेरिकी इंजन की सप्लाई में देरी के कारण इसके निर्माण में कुछ विलंब हुआ है।
2. उत्पादन क्षमता: नासिक में हर साल आठ और बेंगलुरु की दो प्रोडक्शन लाइनों में 16 विमान बनाने की क्षमता है। नासिक की तीसरी लाइन शुरू होने के बाद अब हर साल कुल 24 लड़ाकू विमानों का निर्माण हो सकेगा।
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