Himachal Pradesh: आपदा पर मंथन : राहत के नाम पर प्रभावितों से मजाक, 5 से 15 हजार रुपए तक मिला मुआवजा
कई गांवों में अभी भी तिरपाल के नीचे सर्द रातें बिताने को मजबूर हैं लोग
हिमालय नीति अभियान के सेमिनार में जुटे जिले के प्रभावित लोग
जिनके मकान रहने लायक नहीं, उन्हें मिले पूरा मुआवजा : गुमान सिंह
बाबूशाही ब्यूरो
कुल्लू, 17 अक्टूबर 2025 : जिला में पिछले दिनों आई आपदा से कई घर तबाह हो गए तो कई अनमोल जानें चली गईं। इस कुदरती आपदा के जख्म अभी भी नहीं भरे। लोग तिरपाल के नीचे बच्चों और बुजुर्गों के साथ सर्द रातें बिताने को मजबूर हैं।
हिमालय नीति अभियान संस्था ने शुक्रवार को कुल्लू स्थित सिराज भवन में इस मसले पर एक मंथन सेमिनार आयोजित किया, जिसमें जिले भर से प्रभावित लोगों ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की। हैरत की बात यह है कि सरकारी दावों के विपरीत प्रभावितों को अभी तक जो मुआवजा मिला है वो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। हिमालय नीति अभियान के संयोजक गुमान सिंह ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि यह प्रभावितों के साथ मजाक है कि उनकी जीवन भर की कमाई और लाखों रुपए की संपत्ति तबाह हो गई, लेकिन सरकारी तौर पर 5 से 15 हजार रुपए तक ही मुआवजा दिया गया।
सेमिनार में पैनल डिस्कशन की गई, जिसमें गुमान सिंह के अलावा समाजसेवी महिम्न चंद्र शर्मा, लाहुल स्पीति सेव संस्था की ओर से अजेय, डॉ.कुलराज सिंह कपूर, वरिष्ठ पत्रकार डॉ. शशिभूषण पुरोहित, बंजार ब्लॉक से बीडीसी सदस्य लीला देवी और डीणे राम ने भाग लिया। पैनल सेमिनार में हुए मंथन पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर इसे प्रशासन और सरकार को सौंपेगा।
सेमिनार का संचालन हिमालय नीति अभियान के महासचिव संदीप मिन्हास ने किया। इस मौके पर मुख्य अतिथि गुमान सिंह ने कहा कि आपदा के मामले में राहत मैन्युअल में संशोधन की आवश्यकता है। जिले के बागन, के अलावा सैंज और बंजार के शर्ची, मातला, शरणधार आदि इलाकों में कई मकानों में दरारें पड़ने से वे रहने लायक नहीं रहे हैं। लोग तिरपाल के नीचे रहने को मजबूर हैं। दुखद पहलू यह है कि जमीन धंसने से यह दोबारा मकान बनाने लायक नहीं रही है।
लोगों ने बताया कि पटवारी की रिपोर्ट में इन मकानों को आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त दिखाया जा रहा है। यह प्रभावितों के साथ सरासर मजाक है। प्रभावितों ने सेमिनार में अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि हालात ऐसे हैं कि उनके पास टेंट लगाने के लिए भी जमीन नहीं बची है।
सेमिनार में इन्होंने रखी अपनी बात
इस वर्कशॉप में कुब्जा देवी, मेहरू राम, जयमाला, सविता, वंती देवी, मीना देवी, जयराम, मानदासी, प्रिया, अंजू सूद, खूब राम, रिकी, रेखा, कांता देवी, तारा चंद, शमशेर सिंह, भूप सिंह, यज्ञ चंद, राजकुमार, मोहर सिंह, पूर्ण, मेहर सिंह, ज्ञान चंद, ग़ुमत राम, नील चंद, बबली, नरोतम सिंह, भूपेंद्र पाल, राम नाथ आदि ने अपनी बात रखी।
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