Punjab Breaking: '70 साल से रह रहे, अब कहां जाएं?' 800 घरों पर टूटा 'दुखों का पहाड़', 24 घंटे का अल्टीमेटम
Babushahi Bureau
जालंधर, 27 अक्टूबर, 2025 : जालंधर के चौगिट्टी चौक के पास बसे अंबेडकर नगर में इस वक्त मातम और दहशत का माहौल है। यहां रहने वाले करीब 800 परिवारों पर बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है। पावरकॉम (Powercom) ने दावा किया है कि यह बस्ती उनकी 65 एकड़ जमीन पर अवैध रूप से बनी है और इसे खाली करने के लिए निवासियों को सिर्फ 24 घंटे का अल्टीमेटम (ultimatum) दिया गया है।
आज (सोमवार) को पावरकॉम के अधिकारी इस जमीन पर कब्जा (possession) लेने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे, जिससे यहां दशकों से रह रहे लगभग 4000 लोगों की सांसें अटकी हुई हैं। महिलाएं रो रही हैं, बच्चे सहमे हुए हैं और बुजुर्ग अपनी पूरी जिंदगी की कमाई को उजड़ते देखने की आशंका से कांप रहे हैं।
'50-70 साल से रह रहे, अब कैसे अवैध हो गए?' - निवासियों का दर्द
दैनिक भास्कर की टीम जब अंबेडकर नगर पहुंची, तो लोगों का दर्द छलक पड़ा।
1. सुरजन सिंह (50 साल से निवासी): "1986 से बिजली बोर्ड से केस चल रहा है, 2 बार हम जीत भी चुके हैं। चौथी पीढ़ी यहां रह रही है। एक-एक ईंट जोड़कर घर बनाए, अब उजड़ जाएंगे तो कहां जाएंगे? हमारे बच्चे कहां जाएंगे? हम भारत में रह रहे हैं, पाकिस्तान से नहीं आए।"
2. पवन कुमार: "अगर यह नगर अवैध था तो 70 साल तक पावरकॉम का दफ्ਤਰ (जो बिल्कुल पास है) देखता क्यों रहा? तब क्यों नहीं रोका? यहां 1984 दंगा पीड़ितों को सरकारी ग्रांट (grant) मिली है, मंदिर-गुरुद्वारे बने हैं जिनका उद्घाटन नेताओं ने किया। तब यह जमीन सरकारी नहीं थी?"
3. जीत राम जोगी (70 वर्षीय): "मेरा जन्म 1951 का है। 10 साल की उम्र में मां-बाप के साथ यहां आया था। यहीं खेलकर बड़ा हुआ। इतनी जल्दी तो कौवे का घोंसला नहीं गिराते, जितनी जल्दी हमें उजाड़ने की तैयारी है।"
'गाड़ियों के नीचे लेट जाएंगे, पर घर नहीं देंगे' - महिलाओं का ऐलान
इलाके की महिलाएं सबसे ज्यादा डरी हुई और गुस्से में हैं।
1. परमजीत कौर: "हमें मार दो, पर घरों से न निकालो। बच्चे यहीं जन्मे, यहीं पढ़े। पूरी जिंदगी की कमाई यहीं लगा दी। बुलडोजर (Bulldozer) आएगा तो हम गाड़ियों के आगे लेट जाएंगे, जान दे देंगे।"
2. ज्ञान कौर: "एक तरफ सरकार लेंटर डालने के पैसे देती है, दूसरी तरफ उजाड़ रही है। जो कमाया यहीं लगा दिया, अब बच्चों को लेकर कहां जाएं?"
अन्य महिलाओं ने कहा कि उन्हें 3 दिन से नींद नहीं आ रही, भूख नहीं लग रही। वे डेली वेज (daily wage) पर काम करती हैं, रोज कमाकर खाती हैं। कहीं और जाने का उनके पास कोई साधन नहीं है।
सरकार से गुहार: 'उजाड़ो मत, किश्तें बांध दो'
निवासियों का कहना है कि उन्हें आज तक पावरकॉम से कोई लिखित नोटिस (written notice) नहीं मिला, बस 3 अफसर आकर मौखिक तौर पर खाली करने को कह गए।
1. वे आज जालंधर DC डॉक्टर हिमांशु अग्रवाल के माध्यम से मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) को मांग पत्र (memorandum) सौंपेंगे।
2. पवन कुमार ने कहा, "CM के एक साइन से हमारे घर बच सकते हैं। अगर सरकार को अब जमीन याद आई है, तो हमसे किश्तों (installments) में पैसा ले ले। लेकिन जबरदस्ती उजाड़ा गया तो नतीजा ठीक नहीं होगा।"
3. निवासियों ने 2023 में पावरकॉम द्वारा दिखाई गई रजिस्ट्री (registry) की सत्यता पर भी सवाल उठाया है।
इस पूरे मामले ने दशकों पुराने शहरी बसावट और सरकारी जमीन के दावों के जटिल मुद्दे को एक बार फिर सामने ला दिया है, जहां हजारों जिंदगियां दांव पर लगी हैं।
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