Diabetes Control : जब मरीज अनजान रहते हैं तो असफल हो जाते हैं डायबिटीज़ नियंत्रण अभियान : डॉक्टर कल्याण बोले -असली लड़ाई इलाज की नहीं, जागरूकता की है
बाबूशाही ब्यूरो
कुल्लू, 27 अक्टूबर 2025 : अक्सर कहा जाता है कि मधुमेह यानी डायबिटीज़ एक “मूक हत्यारा” है और यह बिल्कुल सच है। यह बीमारी शुरू में शांत रहती है, पर धीरे-धीरे शरीर के लगभग हर हिस्से को नुकसान पहुँचाती है। हल्की सी बढ़ी हुई शुगर अगर लंबे समय तक नियंत्रित न रहे, तो यह आँखों, गुर्दों, हृदय, नसों और यहाँ तक कि मस्तिष्क को भी प्रभावित करती है।
कुल्लू अस्पताल के एमडी (मेडिसिन) डॉ. कल्याण का कहना है दुख की बात यह है कि बहुत से लोग इसका इलाज या नियंत्रण तब शुरू करते हैं जब जटिलताएँ गंभीर रूप ले लेती हैं।
क्यों आवश्यक है मधुमेह का सही इलाज
डायबिटीज़ केवल “शुगर की बीमारी” नहीं है — यह शरीर की ऊर्जा उपयोग करने की क्षमता को प्रभावित करने वाला चयापचय (metabolic) विकार है। जब रक्त में शर्करा लंबे समय तक अधिक रहती है, तो यह छोटी रक्त वाहिकाओं को मोटा और कमजोर बना देती है। इससे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों तक ऑक्सीजन और पोषण की आपूर्ति घट जाती है और धीरे-धीरे वे क्षतिग्रस्त होने लगते हैं। समय पर निदान और सही इलाज से इन जटिलताओं को रोका या टाला जा सकता है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, वजन नियंत्रण और धूम्रपान से बचना उतना ही ज़रूरी है जितनी दवाइयाँ। जो लोग अपनी शुगर पर नियंत्रण रखते हैं, वे लंबे समय तक स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सकते हैं।
उपेक्षा की भारी कीमत
यदि डायबिटीज़ का इलाज न किया जाए या ठीक से नियंत्रण न रखा जाए, तो इसके परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं।
1. मस्तिष्क और याददाश्त पर असर:
लगातार ऊँची या बार-बार बदलती शुगर मस्तिष्क की नसों और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुँचाती है। इससे स्मरण शक्ति कम होती है, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई आती है और डिमेंशिया या अल्ज़ाइमर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
2. हृदय रोग और स्ट्रोक:
अनियंत्रित शुगर धमनियों को कठोर बना देती है, जिससे रक्तचाप, दिल का दौरा और स्ट्रोक का ख़तरा बढ़ता है। मधुमेह रोगियों में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण हृदय रोग ही है।
3. गुर्दों की विफलता:
लंबे समय तक बढ़ी हुई शुगर गुर्दों की नाजुक छननी प्रणाली को नुकसान पहुँचाती है। इससे मूत्र में प्रोटीन जाने लगता है, पैरों में सूजन आती है और अंततः डायलिसिस या प्रत्यारोपण की ज़रूरत पड़ सकती है।
4. आँखों की रोशनी पर असर:
मधुमेही रेटिनोपैथी में आँखों की झिल्ली की रक्त वाहिकाएँ फट जाती हैं या उनमें रक्तस्राव होता है, जिससे धीरे-धीरे अंधापन तक हो सकता है। नियमित नेत्र परीक्षण और शुगर नियंत्रण से इसे रोका जा सकता है।
5. नसों की क्षति और कटने की नौबत:
ऊँची शुगर हाथ-पैर की नसों को नुकसान पहुँचाती है, जिससे सुन्नपन या जलन होती है। पैरों में छोटे घाव महसूस नहीं होते और संक्रमण बढ़कर गैंग्रीन तक पहुँच सकता है, जिससे अंग काटने की नौबत आती है।
6. संक्रमण और धीमा घाव भरना:
उच्च शर्करा प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करती है, जिससे त्वचा, मूत्राशय या घावों में बार-बार संक्रमण होता है और ठीक होने में बहुत समय लगता है।
सावधानी ही सुरक्षा
मधुमेह अचानक नहीं बिगड़ता इसकी अनदेखी और लापरवाही इसे खतरनाक बनाती है। हर मरीज को नियमित रूप से शुगर, किडनी, आँखों और हृदय की जाँच करवानी चाहिए। दवाओं, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम के ज़रिए रक्त शर्करा को सामान्य रखना केवल इलाज नहीं, बल्कि अपने भविष्य की सुरक्षा है। अनियंत्रित डायबिटीज़ चुपचाप सेहत छीन लेती है, पर जागरूकता और अनुशासन से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। समय पर उपचार का अर्थ केवल शुगर घटाना नहीं, बल्कि अपने शरीर के हर अंग, अपनी स्मृति और अपने जीवन की गुणवत्ता की रक्षा करना है। (SBP)
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