Himachal Pradesh: Dev Sansad Jagti : कुल्लू में देवी-देवताओं की जगती आयोजित, देव संसद में जुटे 229 देवी देवता
देवता बोले -देवस्थलों से छेड़छाड़ रोको,  देवनीति और राजनीति को अलग रखो, वरना भुगतना पड़ेगा परिणाम
बाबूशाही ब्यूरो 
कुल्लू, 31 अक्तूबर 2025 : कुल्लू घाटी की आराध्य देवी मां हिडिंबा के आदेश पर शुक्रवार को कुल्लू जिला के नग्गर में जगती अर्थात देव संसद का आयोजन हुआ। इस अद्भुत दैविक सभा में कुल्लू, मंडी और लाहौल-स्पीति जिलों के कुल 229 देवी-देवता अपने गुरों (देववक्ताओं) के माध्यम से उपस्थित हुए।
सभा में देवताओं ने स्पष्ट संदेश दिया -देवनीति और राजनीति को अलग रखा जाए और देवस्थलों में अनावश्यक छेड़छाड़ तुरंत रोकी जाए। अन्यथा, इसका दुष्परिणाम समूची मानवता को भुगतना पड़ेगा।
कुल्लू के आराध्य भगवान श्री रघुनाथजी के करदार दानवेंद्र सिंह ने बताया कि इस जगती का निर्णय स्वयं देव शक्तियों द्वारा लिया गया था। हाल के दिनों में प्रदेश पर आई प्राकृतिक आपदाओं के बाद जब जनता ने अपने-अपने क्षेत्र के देवी-देवताओं से राहत की प्रार्थना की, तब सभी ने एकमत होकर यह देव संसद बुलाने का संकेत दिया।
दानवेंद्र सिंह के अनुसार, यद्यपि इस सभा का मुख्य उद्देश्य आपदाओं से बचाव के उपाय जानना था, किंतु अधिकांश देवी-देवताओं ने अपने गुरों के माध्यम से मानव हस्तक्षेप पर गहरी चिंता जताई। चाहे वह बिजली महादेव का क्षेत्र हो, दशहरा मैदान हो या अन्य कोई देवस्थल, सभी पवित्र स्थलों की मर्यादा भंग न करने का देव आदेश दिया गया।
देवताओं ने गौमाता के सम्मान और संरक्षण पर भी विशेष बल दिया और भविष्यवाणी के रूप में चेताया कि यदि उनके निर्देशों की अवहेलना हुई तो आने वाले समय में और भी गंभीर प्राकृतिक आपदाएं घट सकती हैं।
देव आदेश के अनुसार, अब नग्गर और कुल्लू में यज्ञ आयोजित किए जाएंगे, जिससे प्रदेश में शांति और संतुलन की पुनर्स्थापना हो सके।
गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है — जहां प्रत्येक पर्व, परंपरा और संस्कृति का मूल देव आस्था में निहित है। जगती या देव संसद का आयोजन केवल अत्यंत संकट के समय ही किया जाता है, जब मानवीय मार्गदर्शन से अधिक आवश्यकता देव निर्देशों की होती है। इससे पूर्व ऐसी जगती वर्ष 2007, 2014 और 2021 में आयोजित की गई थी। (SBP)
					
								
								
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