Panjab University चंडीगढ़ की Syndicate और Senate को केंद्र सरकार द्वारा खत्म करना दुर्भाग्यपूर्ण - Advocate धामी
Babushahi Bureau
अमृतसर/चंडीगढ़, 1 नवंबर, 2025 : पंजाब यूनिवर्सिटी (Panjab University - PU) की 59 साल पुरानी सीनेट (Senate) और सिंडिकेट (Syndicate) को भंग करने के केंद्र सरकार के फैसले पर अब शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। एसजीपीसी अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी (Advocate Harjinder Singh Dhami) ने आज (शनिवार) इस फैसले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इसे "पंजाब के साथ एक और बेइंसाफी" (another injustice with Punjab) करार दिया है।
एडवोकेट धामी ने कहा कि यह सरकार द्वारा पंजाब की इस उच्च शिक्षण संस्थान (higher education institution) से राज्य के अधिकारों (rights of the state) को खत्म करने की एक "स्पष्ट चाल" (clear ploy) है।
"लोकतांत्रिक प्रक्रिया खत्म कर, केंद्र चाहता है पूरा कंट्रोल"
एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि पंजाब यूनिवर्सिटी की यही खासियत थी कि इसकी सीनेट और सिंडिकेट का चुनाव एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया (democratic process) से होता था, लेकिन केंद्र सरकार (Central Government) अब इसे पूरी तरह से अपने अधीन (under its control) करना चाहती है।
1. "तानाशाही फैसला": उन्होंने इस फैसले को "तानाशाही" (dictatorial) करार दिया और कहा कि यह संघीय ढांचे (federal structure) और पंजाब पुनर्गठन एक्ट (Punjab Reorganisation Act) का भी सीधा उल्लंघन (violation) है।
2. बेगानेपन का अहसास: उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पंजाब के हितों के खिलाफ जाकर लिए जा रहे ऐसे एकतरफा फैसले (unilateral decisions) पंजाब के लोगों में "बेगानेपन का अहसास" (feeling of alienation) पैदा कर रहे हैं।
SGPC प्रधान ने AAP सरकार को भी घेरा
एडवोकेट धामी ने इस मुद्दे पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की चुप्पी पर भी सवाल उठाए।
1. "ठोस कदम क्यों नहीं उठाए?": उन्होंने पूछा कि 'आप' सरकार ने पंजाब के हकों (rights of Punjab) की पैरवी करने के लिए "ठोस कदम क्यों नहीं उठाए?"
2. "राज्य सरकार भी गंभीर नहीं": उन्होंने कहा कि पंजाब से जुड़े चाहे जो भी अहम मामले हों—चाहे वह राजधानी चंडीगढ़ (Chandigarh) का हो, दरियाई पानी (river waters) का हो, या भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) का हो—केंद्र सरकार हमेशा पंजाब के खिलाफ खड़ी दिखती है, और वहीं, मौजूदा पंजाब सरकार का रवैया भी प्रदेश के हितों के प्रति "सच्चा या गंभीर" (sincere) नहीं है।
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