Himachal News: Gift to Employees: राज्य सरकार का तोहफा, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को मिलेगा दैनिक वेतन भोगी सेवाओं का लाभ
बाबूशाही ब्यूरो
शिमला, 02 नवंबर 2025 :
हिमाचल प्रदेश सरकार ने 15 मई 2003 के बाद नियमित हुए कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को पांच वर्ष की दैनिक सेवा के बदले एक वर्ष की नियमित सेवा का लाभ पेंशन गणना के लिए दिया जाएगा। इस निर्णय के अनुसार 10 वर्ष या उससे अधिक दैनिक सेवा के बदले अधिकतम दो वर्ष की नियमित सेवा का लाभ पेंशन गणना के लिए दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला लिया गया। सीएम ने कहा कि सरकार ने निर्णय लिया है कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जिनको सेवानिवृत्ति के समय 10 वर्ष से कम नियमित सेवा होने के कारण पेंशन का लाभ नहीं दिया गया था, उन्हें अब पांच वर्ष की दैनिक सेवा के बदले एक वर्ष की नियमित सेवा का लाभ देने से यदि वे 10 वर्ष की अर्हक सेवा पूरा करते हैं तो पेंशन का लाभ मिलेगा।
सीसीएस पेंशन नियम 1972 के तहत पेंशन देने के लिए 10 वर्ष की दैनिक सेवा के विरुद्ध अधिकतम दो वर्ष की अर्हक सेवा पर विचार किया जाएगा। सुक्खू ने कहा कि सरकार ऐसे चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को दोबारा पुरानी पेंशन योजना चुनने का विकल्प देगी।
सरकार का फैसला... तय 60 दिन में विकल्प न देने वालों को भी मिलेगा पुरानी पेंशन का लाभ
हिमाचल प्रदेश सरकार ने उन कर्मचारियों के लिए भी पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) का रास्ता खोल दिया है जो 60 दिन की तय सीमा के बाद भी विकल्प नहीं दे पाए थे। वित्त विभाग की चार मई 2023 की अधिसूचना में कर्मचारियों को नई पेंशन योजना (एनपीएस) से ओपीएस में आने के लिए दो महीने का समय दिया गया था, लेकिन कई कर्मचारी उस समय 10 वर्ष की नियमित सेवा पूरी नहीं करने के चलते इसके लिए पात्र नहीं थे। बाद में शिक्षा निदेशालय ने हाईकोर्ट के आदेशों के अनुपालन में कई शिक्षकों और कर्मचारियों को प्रारंभिक अनुबंध तिथि से नियमितीकरण का लाभ दिया।
हाईकोर्ट से आए इस तरह के विभिन्न फैसलों पर वित्त विभाग ने अब स्थिति स्पष्ट करते हुए कर्मियों को राहत दे दी है।प्रदेश सरकार ने कुलदीप चंद बनाम राज्य सरकार और ओमप्रकाश केस के आधार पर यह नया फैसला लिया है। फैसले के तहत कर्मचारियों की सेवा अवधि दस वर्ष या उससे अधिक मानी गई है, जिससे वे ओपीएस के दायरे में आ गए हैं। जब इन कर्मचारियों ने ओपीएस का विकल्प दिया तो लेखा महानियंत्रक कार्यालय ने समय सीमा पार होने का हवाला देते हुए पेंशन मामलों को खारिज कर दिया था। इससे नाराज कर्मचारियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
फूलमति बनाम राज्य सरकार और एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि डीम्ड रेगुलराइजेशन का लाभ मिलने के बाद कर्मचारी ओपीएस के पात्र हैं, भले ही उन्होंने 60 दिन की समय सीमा बीत जाने के बाद विकल्प दिया हो। इस बाबत शिक्षा विभाग ने सितंबर 2025 में वित्त विभाग को पत्र भेजकर दिशा-निर्देश मांगे थे।
अब सरकार ने पत्र जारी कर स्पष्ट किया है कि ऐसे सभी मामलों में जहां कर्मचारियों को न्यायालय के आदेशों के तहत डीम्ड रेगुलराइजेशन का लाभ मिला है, वहां उनकी तथ्यात्मक स्थिति लेखा महानियंत्रक कार्यालय को भेजी जाए ताकि उन्हें पेंशन लाभ दिया जा सके। हिमाचल की सत्ता पर काबिज होते ही कांग्रेस सरकार ने एनपीएस को समाप्त कर ओपीएस बहाल की थी लेकिन अनुबंध पर रहे या समय से पहले सेवानिवृत्त कर्मचारियों को इसके लाभ से वंचित रहना पड़ा था। अब सरकार के निर्देशों के बाद डीम्ड रेगुलराइजेशन वाले कर्मचारियों के लिए भी ओपीएस का रास्ता साफ हो गया है।
एचआरटीसी कर्मियों को तीन फीसदी महंगाई भत्ते की किस्त जारी
एचआरटीसी प्रबंधन ने कर्मचारियों को तीन फीसदी महंगाई भत्ते (डीए) की किस्त जारी कर दी है। प्रबंध निदेशक डाॅ. निपुण जिंदल ने बताया कि अक्टूबर के डीए की किस्त मिलेगी। पहली अप्रैल से 30 सितंबर तक के डीए के लिए कोई आदेश नहीं जारी किया गया है। निगम ने दावा किया है कि वित्तीय स्थिति में सुधार होने के बाद निगम बकाया एरियर जारी होगा।
बीस फरवरी 2025 से पहले नियुक्त अनुबंध कर्मियों को ही 15 दिन का पितृत्व अवकाश
हिमाचल प्रदेश में 20 फरवरी, 2025 से पहले नियुक्त अनुबंध कर्मियों को अब 15 दिन का पितृत्व अवकाश मिल सकेगा। यह अवकाश कर्मचारी अपनी पत्नी के प्रसव से 15 दिन पहले या प्रसव के बाद छह महीने तक कभी भी ले सकता है।
कार्मिक विभाग ने शनिवार को इस बाबत प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, उपायुक्तों और निगमों-बोर्डों के प्रबंध निदेशकों को निर्देश जारी किए। यह निर्णय हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन के तहत बीते दिनों हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।
विभाग के आदेश अनुसार, राज्य सरकार ने हिमाचल प्रदेश भर्ती एवं सरकारी कर्मचारियों की सेवा शर्तें अधिनियम 2024 को 20 फरवरी, 2025 से लागू किया है। ऐसे में पितृत्व अवकाश से संबंधित संशोधन अब नियमों में सीधे तौर पर शामिल नहीं किया जा सकता। सरकार ने उन कर्मियों को राहत दी है, जो अधिनियम लागू होने से पूर्व अनुबंध पर नियुक्त किए गए हैं और कार्यरत हैं।
अवकाश का लाभ लेने वाले कर्मचारी की पहले एक से ज्यादा संतान नहीं होनी चाहिए। भविष्य में इस मुद्दे पर अनावश्यक मुकदमेबाजी पर भी रोक लग सकेगी। (SBP)
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