अब वेंडिंग मशीन से पानी-कॉफी नहीं, बल्कि मिलेगी यह 'कीमती' चीज! जानें देश में कहां शुरू हुई यह 'अनोखी' पहल
Babushahi Bureau
चेन्नई, 3 नवंबर, 2025 : अब तक आपने रेलवे स्टेशनों पर लगी वेंडिंग मशीनों (Vending Machines) से पानी, कॉफी या स्नैक्स (snacks) ही खरीदे होंगे। लेकिन क्या हो अगर वही मशीन आपको आपकी पसंदीदा किताब (book) देने लगे? जी हां, चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन (Chennai Central Railway Station) पर यात्रियों को अब ऐसा ही एक नया और अनोखा अनुभव मिल रहा है।
तमिलनाडु (Tamil Nadu) में पहली बार, यहां एक स्वचालित बुक वेंडिंग मशीन (Automatic Book Vending Machine) लगाई गई है, जो यात्रियों को उनके सफर के लिए एक 'सार्थक साथी' चुनने का मौका दे रही है।
क्या है यह पहल और किसने की शुरू?
इस अनूठी पहल (unique initiative) की शुरुआत 'सनसेट ह्यूज' (Sunset Hughes) की संस्थापक (founder) मायावती ने की है। उनका मुख्य उद्देश्य लोगों में पढ़ने की आदत (reading habit) को फिर से जीवित करना और किताबों को आसानी से उपलब्ध (accessible) कराना है।
1. क्या मिल रहा: यात्री यहां से अपने पसंदीदा उपन्यास (novels), कहानियां (stories), इतिहास (history), साहित्य (literature) और बच्चों की किताबें (children's books) आसानी से खरीद सकते हैं।
2. बेस्टसेलर: मायावती ने बताया कि बच्चों की किताबें और कहानियों की पुस्तकें सबसे अधिक बिक (bestsellers) रही हैं।
3. हमेशा नया स्टॉक: यात्रियों को हमेशा ताजा संग्रह (fresh collection) मिले, इसके लिए बिक्री के अनुसार हर दो-तीन दिन में मशीन में नई किताबें डाली (restocked) जाती हैं।
एयरपोर्ट और मेट्रो पर भी लगाने की योजना
लोगों के उत्साह (enthusiasm) को देखते हुए इस पहल का विस्तार भी शुरू हो गया है।
1. मायावती ने कहा, "मैं कुछ नया करना चाहती थी... लोगों का उत्साह देखकर हमने 18 अक्टूबर को तांबरम रेलवे स्टेशन (Tambaram Railway Station) पर भी एक और मशीन लगा दी है।"
2. अगला लक्ष्य: उन्होंने बताया कि अब उनकी योजना एयरपोर्ट (Airport) और मेट्रो स्टेशनों (Metro Stations) पर भी ऐसी ही बुक वेंडिंग मशीनें लगाने की है।
यात्रियों ने की सराहना: "मोबाइल की जगह किताबें"
यात्रियों ने भी इस पहल की जमकर सराहना की है। ट्रेन का इंतजार कर रहे एक यात्री, दीनदयालन ने कहा, "आज की पीढ़ी मोबाइल (mobile) पर निर्भर (dependent) हो गई है और किताबें पढ़ने की आदत कम हो रही है। लेकिन अगर स्टेशन जैसी जगहों पर किताबें आसानी से मिलें, तो लोग जरूर फिर से पढ़ने की ओर लौट सकते हैं।"
मायावती का मानना है कि किताबें बहुत अच्छी दोस्त (good friends) होती हैं, जो तनाव (stress) कम करती हैं, कल्पनाशक्ति (imagination) बढ़ाती हैं और समस्याओं का हल ढूंढने की क्षमता भी विकसित करती हैं।
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