मेरा ख़ज़ाना…
यह घटना अक्टूबर 2021 की है… मेरी बेटी ज़ीनिया फोर्टिस अस्पताल के ICU में वेंटिलेटर पर, ज़िंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही थी…
मोहाली में हुए लिवर ट्रांसप्लांट ने मुझे ज़िंदगी का एक दर्दभरा अध्याय याद दिला दिया…
ऐतिहासिक ख़बर, पर मेरे लिए एक गहरी भावनात्मक टीस…
9 दिसंबर को मोहाली से खबर आई—पंजाब ने इतिहास रच दिया।
Punjab Institute of Liver and Biliary Sciences (PILBS) में पहला लिवर ट्रांसप्लांट हुआ और वह भी पूरी तरह सफल।
सूबे के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह भी गर्व से झूम उठे।
हमने Babushahi Network पर यह ख़बर पूरी खुशी और गर्व के साथ प्रकाशित और साझा की।
लेकिन मेरे लिए यह सिर्फ एक ख़बर नहीं थी—यह एक गहरी भावनात्मक याद को झकझोरने वाली घटना थी, जिसने मेरी आँखों में आँसू ला दिए।
इन आँसुओं में खुशी भी थी, पर साथ ही एक दबी हुई पीड़ा, एक पुरानी कड़वी स्मृति भी थी।
2021 की है आप बीती …
मेरी आँखों के सामने जैसे फ़िल्म की रील चल पड़ी—
अक्टूबर 2021… मेरी बेटी ज़ीनिया, जिसने अभी-अभी एक बच्ची को जन्म दिया था…
ऑपरेशन थिएटर में ही उसकी हालत बिगड़ गई थी और उसे ICU में वेंटिलेटर पर डाल दिया गया।
हफ्तेभर से उसका इलाज कर रहे Director Gastroenterology डॉ. अरविन्द साहनी ने संदेश भेजा—
“मिलने आइए, और सिर्फ पुरुष ही आएं।”
मैं और मेरा दामाद—ज़ीनिया का पति अभिनव—डॉ. साहनी के पास गए।
उन्होंने बहुत विस्तार से वह बीमारी समझाई—
Acute Fatty Liver of Pregnancy (AFLP)—जिसका विवरण नीचे दिया गया है।
बताया कि यह बीमारी लाखों में एक को होती है।
फिर डॉक्टर ने जो अगला वाक्य कहा…
उसने तो जैसे हमारे पैरों तले ज़मीन ही खींच ली और आँखों आगे अँधेरा जैसा होने लगा —
“बेटी का लिवर फेल होने की कगार पर है, किडनी भी साथ छोड़ रही हैं। हालत बेहद गंभीर है। अगर लिवर ट्रांसप्लांट हो जाए तो शायद वह बच जाए।”
उन्होंने कहा—“ज़ीनिया को दिल्ली या गुरुग्राम ले जाओ, क्योंकि चंडीगढ़-मोहाली में यह सर्जरी संभव नहीं। साथ ही एक लिवर डोनर भी चाहिए, जिसका रक्त समूह और लिवर उससे मैच करे।”
हम समझ ही नहीं पाए कि क्या करें।
वेंटिलेटर पर पड़ी बेटी को दिल्ली-गुरुग्राम ले जाना और बड़ा जोखिम था।
मेरे दामाद—जिसके समर्पण, प्रेम और त्याग की मैं आज भी दाद देता हूँ—
तुरंत डोनर बनने के लिए तैयार हो गया।
डॉक्टर ने टेस्ट शुरू किए और अभिनव ने वह भी करवा लिए।
एयर एंबुलेंस से ले जाने का सुझाव भी आया,
पर ICU से हेलिपैड तक ले जाना आसान कहाँ था?
डॉक्टर बोले—“समय बहुत कम है, तुरंत शिफ्ट करना पड़ेगा।”
हमारा पूरा परिवार—दोस्त—सब
दिल्ली के सरकारी लिवर अस्पताल, गुरुग्राम के मेदांता, फोर्टिस और अन्य अस्पतालों से संपर्क करने लगे।
PGI चंडीगढ़ के विशेषज्ञों से भी सलाह ली।
खर्च पूछा—
दिल्ली के सरकारी Liver Sciences Institute में कम था,
पर निजी अस्पतालों में 24–25 लाख रुपये से कम नहीं।
और फिर भी कोई गारंटी नहीं थी कि ट्रांसप्लांट सफल होगा या बाद की स्थिति कैसी होगी।
उम्मीद की एक किरण… और फिर चमत्कार
इसी दौरान डॉ. साहनी ने दोबारा बुलाया।
कहा—“हम ज़ीनिया की प्लाज़्मा थेरेपी करना चाहते हैं, जिससे वह कुछ दिन और स्थिर रह सकती है, ताकि ट्रांसप्लांट की तैयारी हो सके।”
उन्होंने जोखिम भी बताया—कभी-कभी दिमाग पर असर होता है—पर इलाज संभव है।
हमारी लिखित सहमति लेकर उन्होंने थेरेपी शुरू कर दी।
ईश्वर की कृपा और डॉक्टरों के प्रयास से,
प्लाज़्मा थेरेपी से ज़ीनिया की हालत सुधरने लगी।
3–4 सत्रों के बाद लिवर ने काम करना शुरू किया,
किडनी भी ठीक होने लगीं—
और ट्रांसप्लांट की ज़रूरत ही नहीं पड़ी।
वह कुल 17 दिन ICU में रही,
जिसमें से 12 दिन वेंटिलेटर पर।
कुल 52 बोतल खून लगा,
जिसमें से 36 हमारे परिवार ने दिया।
पर अंत में—
उसने ज़िंदगी की लड़ाई जीत ली।
पूरी तरह ठीक होने में महीनों लगे।
डॉ. साहनी, उनकी टीम और फोर्टिस स्टाफ का कहना था—
ज़ीनिया के ठीक होने में उसकी Will Power का सबसे बड़ा योगदान था।
उसकी बेटी—मेरी नातिन—21 दिन NICU में रही।
वह प्रीमैच्योर थी, लेकिन अब बिल्कुल स्वस्थ है—और 4 साल की हो चुकी है।
उस संकट के समय… मैं सभी का जीवन भर ऋणी हूँ
मैं और मेरी पत्नी त्रिप्ता,
उस कठिन समय में हमारे पूरे परिवार, रिश्तेदारों, दोस्तों और स्नेहीजनों द्वारा दी गई
मदद, प्रार्थनाओं और समर्थन के लिए अत्यंत आभारी हैं।
इसीलिए… मोहाली में सरकारी लिवर ट्रांसप्लांट सुविधा मेरे लिए एक भावनात्मक मील पत्थर है
क्योंकि यदि हमें उस समय बेटी को लिवर ट्रांसप्लांट के लिए
दिल्ली-गुरुग्राम ले जाना पड़ जाता—
तो वह हमारे जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी बन सकती थी।
इसलिए PILBS का शुरू होना
हज़ारों मरीजों के लिए एक वरदान है।
पंजाब सरकार और सभी सहयोगियों ने
जन-कल्याण का बड़ा काम किया है—
बस यह संस्था भी कुछ अन्य सरकारी अस्पतालों की तरह बदहाल न हो जाए।
AFLP बीमारी के बारे में
Acute Fatty Liver of Pregnancy (AFLP)
गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में होने वाली
एक दुर्लभ और गंभीर प्रसूति आपात स्थिति है।
इसमें माँ के जिगर में चर्बी जमने लगती है, जिससे—
जैसे खतरे पैदा हो जाते हैं।
यह अक्सर भ्रूण के फैटी एसिड मेटाबॉलिज्म में जेनेटिक दोष,
जैसे LCHAD deficiency, से जुड़ा होता है।
यह एक मेडिकल इमरजेंसी है—
जिसमें तुरंत पहचान,
फौरन डिलीवरी,
और ICU-स्तर की सपोर्टिव केयर की आवश्यकता होती है।
बलजीत Balli
(यह लेख 9–10 दिसंबर 2025 की मध्यरात्रि को लिखा गया)
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Baljit Balli, Editor-in-Chief, babushahi Network, Tirchhi Nazar Media
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