जापान में पंजाबी पढ़ाने वाले प्रोफेसर की पुरानी याद...
यह ब्लैक एंड व्हाइट फोटो 1990 के दशक की शुरुआत की है, जब वह पंजाब आए हुए थे। मैंने तब पंजाबी अखबारों के लिए उनका इंटरव्यू किया था — कि एक जापानी प्रोफेसर कैसे पंजाबी को सीख रहा है और पढ़ा रहा है। यह तस्वीर मेरे मित्र और मीडिया फ़ोटोग्राफ़र भीम कांसल (सिंह स्टूडियो, रामपुरा फूल) ने खींची थी।
जब मैं पुरानी तस्वीरों को पलट रहा था, तो अचानक एक ब्लैक एंड व्हाइट फोटो मेरे सामने आ गई। यह मेरी और उस प्रसिद्ध जापानी प्रोफेसर की तस्वीर थी — जो जापानी होने के बावजूद पंजाबी, हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के भी माहिर हैं। पंजाबी जगत को हमेशा इस प्रोफेसर पर गर्व रहेगा कि उन्होंने सबसे पहले पंजाबी सीखी, पंजाबी में पीएच.डी. की, और जापान में पंजाबी पढ़ाई, पंजाबी में किताबें लिखीं, यहां तक कि कई महत्वपूर्ण भारतीय पुस्तकों का जापानी में अनुवाद भी किया। उन्होंने जपुजी साहिब का भी जापानी में अनुवाद किया।
उनका नाम है प्रोफेसर तोमिओ मिज़ोकामी — एक ऐसा नाम जिसे अब पूरी दुनिया जानती है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 2023 में जापान यात्रा के दौरान उनसे विशेष भेंट की थी और भारतीय भाषाओं एवं संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाने के उनके योगदान की सराहना की थी। इससे पहले, भारत सरकार ने उन्हें 2018 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया था।
पर जिस समय की मैं बात कर रहा हूँ, और जो तस्वीर मेरे पास है, वह उस दौर की है जब प्रोफेसर मिज़ोकामी न तो बहुत प्रसिद्ध थे और न ही उन्हें सरकारी स्तर पर कोई पहचान मिली थी। यह ब्लैक एंड व्हाइट फोटो 1990 के दशक की शुरुआत की है, जब वह पंजाब आए हुए थे। मैंने तब पंजाबी अखबारों के लिए उनका इंटरव्यू किया था — कि एक जापानी प्रोफेसर कैसे पंजाबी को सीख रहा है और पढ़ा रहा है। यह तस्वीर मेरे मित्र और मीडिया फ़ोटोग्राफ़र भीम कांसल (सिंह स्टूडियो, रामपुरा फूल) ने खींची थी।
तब शायद उनकी एकमात्र पुस्तक, जापानी-पंजाबी भाषा पर, प्रकाशित हुई थी। मेरा वह इंटरव्यू आज भी मेरी रिकॉर्ड फ़ाइल में सुरक्षित है। कभी सही समय पर उसे खोजकर प्रकाशित करूंगा।
मुझे इस बात का अफसोस हमेशा रहा कि प्रोफेसर टॉमियो भारत कई बार आए, कुछ साल पहले चंडीगढ़ भी आए थे, पर उनसे मुलाकात नहीं हो सकी। यानि 1980 के बाद मैंने उन्हें फिर कभी नहीं मिल पाया — लेकिन मेरे लिए वह इंटरव्यू और यह तस्वीर हमेशा एक अनमोल स्मृति और मेरा निजी ख़ज़ाना रहेगी।
वह आजकल जापान के ओसाका शहर में रहते हैं। इसी कारण मैंने ओसाका में बसे हमारे साहित्यकार मित्र परमिंदर सोढ़ी को फोन किया कि क्या उनके पास प्रोफेसर का कोई संपर्क नंबर है। उनके जवाब ने मुझे ख़ुशी और आश्चर्य दोनों दिया। परमिंदर ने बताया कि प्रोफेसर मिज़ोकामी सेवा-निवृत्त जीवन व्यतीत कर रहे हैं, लेकिन अक्सर उनके रेस्तरां में आते रहते हैं। हाल ही में उन्होंने उनके साथ एक लंबा इंटरव्यू भी किया है। उन्होंने मुझे प्रोफेसर का संपर्क नंबर भेजने का वादा भी किया।
तो लीजिए, देखिए कि उस समय मेरा और प्रोफेसर मिजोकामी का चेहरा-मोहरा कैसा था — और अब की ताज़ा तस्वीरें भी आपके सामने हैं।
July 31 , 2025
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बलजीत बल्ली , संपादक, बाबूशाही नेटवर्क तिरछी नज़र मीडिया
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