मेरा ख़ज़ाना…
लो जी, अब हम 72 साल के हो गए हैं। मेरा जन्मदिन 2 नवंबर को आता है।
मालवा क्षेत्र के गाँव रामपुरा में बचपन की यादों से लेकर अब तक के जीवन सफ़र पर नज़र डालने की कोशिश की है।
प्रकृति की कृपा से मुझे एक लंबी और सार्थक ज़िंदगी मिली है — जिसमें ख़ुशियाँ और ग़म, उतार-चढ़ाव, सुख-दुःख सब कुछ देखा और जिया है।
अपने जीवन और आस-पास के वातावरण से लेकर देश-दुनिया में घटी असंख्य घटनाओं का मैं साक्षी रहा हूँ। भारत के कई हिस्सों और विदेशों की यात्राओं ने मेरे ज्ञान और अनुभवों का ख़ज़ाना समृद्ध किया है।
मैं अपने आप को बेहद भाग्यशाली मानता हूँ कि बचपन से लेकर आज तक मुझे अपने माता-पिता, भाई-बहनों, परिवार, दोस्तों, सहयोगियों और देश-विदेश में फैले लाखों पाठकों व शुभचिंतकों से अपार प्रेम, सम्मान और साथ मिला।
आज भी मैं अपने परिवार, बच्चों, दोस्तों और समाज के लोगों के प्यार और आदर से भरा हुआ हूँ। यह सम्मान मुझे निजी जीवन में भी मिला और पेशेवर क्षेत्र में भी। कई बार लगता है कि मुझे अपने हक़ से कहीं ज़्यादा प्रेम और सम्मान मिला है।
कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता, न ही ऐसा दावा कर सकता है। हर इंसान में अच्छाइयाँ और कमियाँ दोनों होती हैं — मैं भी इसका अपवाद नहीं।
हर व्यक्ति की अपनी प्रकृति, अपनी पहचान और अपनी जीवनशैली होती है। मैंने कभी अपने बारे में बड़े दावे नहीं किए। किसी व्यक्ति के काम और व्यवहार का सबसे अच्छा मूल्यांकन समाज और लोग ही कर सकते हैं।
यह ज़िक्र करना भी ज़रूरी है कि जवानी के दिनों में वामपंथी विचारधारा का असर मेरी सोच और जीवन पर गहराई से पड़ा — और आज भी कहीं न कहीं मौजूद है।
अधूरी इच्छाओं या बीते जीवन पर पछतावा करना मेरे स्वभाव का हिस्सा नहीं रहा, लेकिन कभी-कभी लगता है कि एक समय तक आदर्शवाद ने व्यावहारिकता पर कुछ ज़्यादा ही प्रभाव डाला, जिससे जीवन में कुछ कठिनाइयाँ आईं।

उम्र बढ़ने के साथ स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियाँ आना स्वाभाविक है। शरीर की कोई न कोई शिकायत बनी रहती है, फिर भी प्रकृति की सबसे बड़ी कृपा यह है कि आज भी मैं मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ हूँ।
अपने निजी जीवन में मैंने “सर्बत दा भला” (सभी के कल्याण) के मार्ग पर चलने और अपने पेशे में मेहनत और गंभीरता के सिद्धांत अपनाने का प्रयास किया है। आज भी मैं कम से कम 16 घंटे काम करता हूँ।
अपने 72वें जन्मदिन पर मैं अपने परिवार, दोस्तों, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों का आभारी हूँ, जिन्होंने किसी न किसी रूप में बधाई, आशीर्वाद और शुभकामनाएँ दीं।
ऐसे अवसरों पर भावनाओं का यह आदान-प्रदान हमें एक-दूसरे के और करीब लाता है और जीवन को सकारात्मकता और प्रेरणा के साथ जीने की हिम्मत देता है।
– बलजीत Balli
2 नवंबर, 2025
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Baljit Balli, Editor-In-Chief, Babushahi.com, Tirchhi Nazar Media
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