Explainer: भारत में चिप क्रांति! क्या है सेमीकंडक्टर, कहां लग रहीं 4 नई फैक्ट्रियां और आपको इससे क्या होगा फायदा? पढ़ें A to Z रिपोर्ट
Babushahi Bureau
चंडीगढ़। 12 अगस्त 2025 : भारत ने वैश्विक टेक्नोलॉजी की दुनिया में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक ऐतिहासिक छलांग लगाई है। मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में देश के तीन राज्यों में चार नई सेमीकंडक्टर (चिप) यूनिट्स लगाने की मंजूरी दे दी गई। यह फैसला सिर्फ कुछ फैक्ट्रियों की स्थापना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस बड़ी और महत्वाकांक्षी 'इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन' (ISM) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका लक्ष्य भारत को चिप डिजाइनिंग और मैन्युफैक्चरिंग का एक वैश्विक केंद्र बनाना है। इस कदम से भारत की आयात पर निर्भरता कम होगी और देश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा मिलेगी।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब दुनिया चिप की कमी और सप्लाई चेन में आने वाली बाधाओं से जूझ रही है। ताइवान, चीन और दक्षिण कोरिया जैसे कुछ ही देशों का चिप बाजार पर दबदबा है, जिससे किसी भी भू-राजनीतिक तनाव या महामारी की स्थिति में पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर संकट आ जाता है। भारत सरकार का यह कदम इसी निर्भरता को खत्म करने और देश को एक भरोसेमंद चिप सप्लायर के रूप में स्थापित करने की एक सोची-समझी रणनीति है। इन चार यूनिट्स पर 4,594 करोड़ रुपये का शुरुआती निवेश होगा, जो देश के भीतर एक मजबूत सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम बनाने की नींव रखेगा।
इस निर्णय का प्रभाव दूरगामी होगा। यह न केवल देश में हजारों उच्च-कुशल नौकरियां पैदा करेगा, बल्कि रक्षा, ऑटोमोबाइल, दूरसंचार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को भी मजबूती देगा। जब देश में ही चिप्स बनेंगी, तो भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सस्ते हो सकते हैं और भारत की तकनीकी प्रगति किसी बाहरी देश की मोहताज नहीं रहेगी। यह कदम 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान को जमीन पर उतारने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।
आखिर यह सेमीकंडक्टर (चिप) है क्या और क्यों है इतनी ज़रूरी?
सेमीकंडक्टर, जिसे हम आम भाषा में 'चिप' या 'इंटीग्रेटेड सर्किट (IC)' कहते हैं, किसी भी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का 'दिमाग' (Brain) होता है। यह सिलिकॉन जैसे एक सेमीकंडक्टिंग मटीरियल से बना एक छोटा सा टुकड़ा होता है, जिस पर अरबों छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बने होते हैं। यही सर्किट डेटा को प्रोसेस करने, स्टोर करने और कंट्रोल करने का काम करते हैं।
क्यों है यह इतना ज़रूरी?
आज की दुनिया में लगभग हर तकनीक चिप पर ही चलती है:
1. रोजमर्रा की चीजें: स्मार्टफोन, लैपटॉप, टीवी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन।
2. ऑटोमोबाइल: आधुनिक कारों में म्यूजिक सिस्टम से लेकर इंजन कंट्रोल और सेफ्टी फीचर्स (एयरबैग्स) तक सब कुछ चिप्स से ही कंट्रोल होता है।
3. संचार: मोबाइल नेटवर्क, डेटा सेंटर और इंटरनेट का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर चिप्स पर निर्भर है।
4. रक्षा और एयरोस्पेस: लड़ाकू विमान, मिसाइल, ड्रोन और सैटेलाइट बिना एडवांस चिप्स के काम नहीं कर सकते।
अब तक भारत अपनी जरूरत की 90% से ज्यादा चिप्स आयात करता था, जिससे न केवल हमारा अरबों डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार खर्च होता था, बल्कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा भी दांव पर लगी थी।
हर फैक्ट्री का पूरा ब्यौरा: कहाँ क्या बनेगा?
सरकार ने चार अलग-अलग कंपनियों को मंजूरी दी है, जो अलग-अलग तरह की विशेषज्ञ चिप्स बनाएंगी।
1. पंजाब (मोहाली): पावर इलेक्ट्रॉनिक्स का नया केंद्र
1.1 कंपनी: कॉन्टिनेंटल डिवाइस इंडिया लिमिटेड (CDIL)
1.2 क्या होगा: यह कंपनी मोहाली में अपनी मौजूदा फैक्ट्री का बड़े पैमाने पर विस्तार करेगी।
1.3 क्या खास बनेगा: यहां हाई-पावर चिप्स बनेंगी, जैसे MOSFETs (मेटल-ऑक्साइड-सेमीकंडक्टर फील्ड-इफेक्ट ट्रांजिस्टर) और IGBTs (इंसुलेटेड-गेट बाइपोलर ट्रांजिस्टर)। ये चिप्स बिजली को कंट्रोल करने और उपकरणों को ताकत देने में माहिर होती हैं।
1.4 कहां इस्तेमाल होंगी: ये चिप्स इलेक्ट्रिक गाड़ियों (EVs) की बैटरी और मोटर को कंट्रोल करने, सोलर पावर प्लांट से बनी बिजली को मैनेज करने, और रक्षा उपकरणों के पावर सिस्टम में इस्तेमाल होती हैं। CDIL पहले से ही अपनी चिप्स अमेरिका, यूरोप और चीन जैसे देशों को निर्यात करती है।
2. ओडिशा (भुवनेश्वर): भविष्य की टेक्नोलॉजी का गढ़ (2 फैक्ट्रियां)
ओडिशा को भविष्य की टेक्नोलॉजी का हब बनाने के लिए यहां दो बड़ी यूनिट्स को मंजूरी मिली है:
2.1 पहली फैक्ट्री (कंपनी: SiCSem):
2.1.1 क्या खास है: यह भारत की पहली फैक्ट्री होगी जो सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) से चिप बनाएगी। SiC से बनी चिप्स साधारण सिलिकॉन चिप्स के मुकाबले बहुत ज्यादा तापमान और हाई-वोल्टेज झेल सकती हैं।
2.1.2 कहां इस्तेमाल होंगी: इनकी मजबूती के कारण इनका इस्तेमाल मिसाइल सिस्टम, रक्षा उपकरण, रेलवे के सिग्नलिंग सिस्टम, डेटा सेंटर और मोबाइल के फास्ट चार्जर में होता है।
2.2 दूसरी फैक्ट्री (कंपनी: 3D ग्लास सॉल्यूशंस - 3DGS):
2.2.1 क्या खास है: यह कंपनी दुनिया की सबसे आधुनिक 'चिप पैकेजिंग टेक्नोलॉजी' भारत लाएगी। चिप बनाना एक बात है और उसे इस्तेमाल के लिए तैयार करना (यानी पैकेज करना) दूसरी। यह कंपनी इसी काम की एक्सपर्ट है।
2.2.2 कहां इस्तेमाल होंगी: यहां तैयार की गई चिप्स का इस्तेमाल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), सुपर कंप्यूटर और हाई-टेक रक्षा उपकरणों में होगा।
3. आंध्र प्रदेश: आम आदमी के उपकरणों का हब
3.1 कंपनी: एडवांस्ड सिस्टम इन पैकेज (ASIP) टेक्नोलॉजीज
3.2 क्या होगा: यह कंपनी दक्षिण कोरिया की एक कंपनी के साथ मिलकर एक सेमीकंडक्टर यूनिट स्थापित करेगी।
3.3 कहां इस्तेमाल होंगी: यहां बनने वाली चिप्स का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर आम लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में होगा, जैसे:
3.3.1 मोबाइल फोन
3.3.2सेट-टॉप बॉक्स
3.3.3 कारों के इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम
3.3.4 अन्य घरेलू उपकरण
इस फैसले से देश और आम आदमी को क्या मिलेगा? (फायदे)
1. रणनीतिक आत्मनिर्भरता: चिप्स के लिए विदेशी निर्भरता खत्म होगी, जिससे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी।
2. आर्थिक विकास और रोजगार: इन फैक्ट्रियों से 2034 तक सीधे तौर पर हजारों कुशल इंजीनियरों और पेशेवरों के लिए नौकरियां पैदा होंगी। साथ ही, इससे जुड़े उद्योगों (जैसे केमिकल, गैस, मशीनरी) में भी लाखों अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे।
3. सस्ते हो सकते हैं इलेक्ट्रॉनिक उपकरण: जब चिप्स देश में ही बनेंगी, तो सप्लाई चेन का खर्च कम होगा, जिससे भविष्य में भारत में बने इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सस्ते हो सकते हैं।
4. वैश्विक मंच पर भारत की धाक: भारत चिप बनाने वाले कुछ चुनिंदा देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा, जिससे वैश्विक राजनीति और व्यापार में उसका कद बढ़ेगा।
एक नए युग की शुरुआत
यह कहना गलत नहीं होगा कि मोदी कैबिनेट का यह फैसला भारत के लिए एक नए तकनीकी युग की शुरुआत है। ये चार नई यूनिट्स उस बड़ी तस्वीर का हिस्सा हैं, जिसके तहत भारत के 6 राज्यों में कुल 10 सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स पर 1.6 लाख करोड़ रुपये का भारी-भरकम निवेश किया जा रहा है। हालांकि, चिप बनाना एक बहुत ही जटिल और खर्चीली प्रक्रिया है और इसमें कई चुनौतियां भी आएंगी, लेकिन सरकार का यह कदम एक मजबूत इरादे को दिखाता है। यह फैसला न केवल भारत को टेक्नोलॉजी का उपभोक्ता बनाने की बजाय एक निर्माता बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध भविष्य की नींव भी रखता है।
MA
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