ऐतिहासिक फैसला पंजाब दिवस पर: केंद्र सरकार ने पंजाब विश्वविद्यालय की 59 साल पुरानी सीनेट और सिंडिकेट को भंग किया
बाबूशाही नेटवर्क
चंडीगढ़, 1 नवंबर 2025 : पंजाब दिवस के मौके पर केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए पंजाब विश्वविद्यालय (PU) की 59 साल पुरानी सीनेट और सिंडिकेट को भंग कर दिया है और इन दोनों सर्वोच्च निकायों का पुनर्गठन किया है। इस निर्णय के साथ विश्वविद्यालय की सिंडिकेट अब पूरी तरह नामांकित (nominated) संस्था बन गई है, यानी अब इसके सदस्य चुनाव से नहीं बल्कि नियुक्ति से होंगे।
1882 में लाहौर में स्थापित और 1 नवंबर 1966 को चंडीगढ़ में पुनर्गठित यह 142 वर्ष पुराना विश्वविद्यालय अब एक नए प्रशासनिक ढांचे के तहत कार्य करेगा, जो राजनीतिक प्रतिनिधित्व से शैक्षणिक प्रशासन की ओर बड़ा बदलाव है।
पीयू के कुलाधिपति एवं भारत के उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, पंजाब यूनिवर्सिटी एक्ट, 1947 (ईस्ट पंजाब एक्ट 7 ऑफ 1947) के तहत लागू किए गए इन सुधारों में ग्रेजुएट निर्वाचन क्षेत्र समाप्त कर दिया गया है, और सीनेट की सदस्य संख्या 90 से घटाकर 31 कर दी गई है, जिसमें 18 निर्वाचित, 6 नामांकित और 7 पदेन सदस्य होंगे।
पहली बार चंडीगढ़ के सांसद, यूटी के मुख्य सचिव और शिक्षा सचिव को भी पदेन सदस्य बनाया गया है, साथ ही पंजाब सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे।
सीनेट और सिंडिकेट का नया ढांचा
नए प्रावधानों के अनुसार, ऑर्डिनरी फेलो (Ordinary Fellows) की संख्या 24 तक सीमित रहेगी। इनमें शामिल होंगे:
1. दो प्रतिष्ठित पूर्व छात्र जिन्हें कुलाधिपति नामित करेंगे
2. दो प्रोफेसर (एक कला और एक विज्ञान से)
3. दो एसोसिएट/असिस्टेंट प्रोफेसर
4. चार संबद्ध कॉलेजों के प्रिंसिपल
5. छह संबद्ध कॉलेजों के शिक्षक
6. दो विधायक जिन्हें पंजाब विधानसभा अध्यक्ष नामित करेंगे (स्नातक योग्यता आवश्यक)
सभी निर्वाचनों की मंजूरी कुलाधिपति देंगे और प्रत्येक कार्यकाल चार वर्ष का होगा। किसी भी योग्यता के विवाद का निपटारा कुलपति (VC) द्वारा किया जाएगा।
सिंडिकेट का पुनर्गठन
विश्वविद्यालय की कार्यकारी शक्तियाँ अब भी सिंडिकेट के पास रहेंगी, लेकिन इसकी संरचना में बड़ा बदलाव हुआ है। नई सिंडिकेट में शामिल होंगे:
1. कुलपति (अध्यक्ष)
2. भारत सरकार, पंजाब सरकार और यूटी के उच्च शिक्षा सचिव या उनके प्रतिनिधि
3. पंजाब और चंडीगढ़ के डीपीआई
4. एक सीनेट सदस्य जिसे कुलाधिपति नामित करेंगे
5. दस सदस्य जिन्हें कुलपति वरिष्ठता के आधार पर नामित करेंगे — जिनमें फैकल्टी डीन, प्रोफेसर, प्रिंसिपल और अन्य शिक्षक शामिल होंगे
सिंडिकेट के पदेन सदस्यों में अब पंजाब के मुख्यमंत्री, पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, पंजाब के शिक्षा मंत्री, यूटी के मुख्य सचिव, पंजाब के उच्च शिक्षा सचिव, यूटी के शिक्षा सचिव और चंडीगढ़ के सांसद शामिल होंगे — जिससे यह राज्य और केंद्र शासित प्रदेश दोनों के उच्च प्रतिनिधित्व वाला निकाय बन गया है।
2021 की समिति की सिफारिशों पर आधारित बदलाव
यह सुधार 2021 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति एवं कुलाधिपति एम. वेंकैया नायडू द्वारा गठित विशेष समिति की सिफारिशों पर आधारित हैं। समिति में पीयू, गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (अमृतसर) और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पंजाब (बठिंडा) के कुलपति शामिल थे, जबकि पूर्व सांसद सत्य पाल जैन कुलाधिपति के प्रतिनिधि थे। समिति ने अपनी रिपोर्ट 2022 में सौंपी थी, जिसे उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन ने समीक्षा के बाद मंजूरी दी।
पिछली सीनेट का कार्यकाल 31 अक्तूबर 2024 को समाप्त हुआ था। इसके पुनर्गठन पर लंबे समय से विचार चल रहा था। अब केंद्र सरकार की मंजूरी के साथ, पंजाब विश्वविद्यालय के इतिहास में शासन का एक नया अध्याय शुरू हुआ है, जो छह दशक पुराने चुनावी ढांचे को समाप्त कर अकादमिक प्रशासन पर केंद्रित मॉडल की शुरुआत करता है।
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