Himachal Pradesh: CM सुक्खू बोले -प्रदेश को केंद्र से 1,500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता नहीं मिली
आत्मनिर्भर हिमाचल सिर्फ़ नारा नहीं, बल्कि हमारा जुनून: मुख्यमंत्री
वन भूमि पर आपदा पीड़ितों के पुनर्वास के लिए केंद्र की स्वीकृति मांग रहा राज्य
बाबूशाही ब्यूरो
मंडी, 10 नवम्बर, 2025:
मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज मंडी के पड्डल मैदान में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्राकृतिक आपदाओं में अपनी सम्पत्तियां गंवाने वाले लोगों के लिए वित्तीय सहायता राशि 70,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सीमित संसाधनों के बावजूद, राज्य सरकार हिमाचल प्रदेश को आत्मनिर्भर राज्य बनाने की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर हिमाचल केवल एक राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि प्रदेश सरकार का जुनून और लोगों के प्रति एक प्रतिबद्धता है। उन्होंने कहा कि राज्य ने 6,000 अनाथ बच्चों को ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ के रूप में अपनाया है और सरकार विधवाओं के बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। इस वर्ष आपदा के कारण हुई व्यापक क्षति को देखते हुए सरकार अपने सीमित संसाधनों से आपदा प्रभावितों को सहायता प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक घर बनाने में एक परिवार की पूरी जिंदगी लग जाती है, इसलिए इन स्थितियों में 1.30 लाख रुपये की मुआवज़ा राशि कैसे काफी हो सकती है। केंद्र सरकार घर के पुनर्निर्माण के लिए केवल इतनी ही सहायता राशि देती है, लेकिन एक साधारण पृष्टभूमि से संबंध रखने के कारण मैं आम लोगों के दुख-दर्द से भली-भांति परिचित हूं। इसीलिए हमने पूरी तरह क्षतिग्रस्त घरों के लिए मुआवज़ा राशि को 1.30 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये किया है और आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों के लिए एक लाख रुपये की सहायता राशि दी जा रही है।
भाजपा पर राहत कार्यों का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बेहतर होता अगर मण्डी जिले के सभी भाजपा विधायक इस कार्यक्रम में शामिल होते जबकि उन्हें आमंत्रित किया गया था।
उन्होंने कहा कि भाजपा नेता आम लोगों की पीड़ा के प्रति असंवेदनशील हैं और उनका एकमात्र उद्देश्य राजनीति करना और झूठ फैलाना है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की घोषणा के दो महीने बाद भी हिमाचल प्रदेश को कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। वह स्वयं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा के नेतृत्व में दिल्ली जाने के लिए तैयार है। मुझमें अहंकार का कोई भाव नहीं है और मेरा एकमात्र लक्ष्य आपदा पीड़ितों की मदद करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह केंद्र से बार-बार वन भूमि पर आपदा प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की अनुमति प्रदान करने का अनुरोध कर रहे हैं।
सुक्खू ने कहा कि वर्ष 2023 में राज्य सरकार ने 28,311 आपदा प्रभावितों को सहायता प्रदान की। उस समय उन्हें मुख्यमंत्री पद पर कार्यभार ग्रहण किए हुए कम ही समय हुआ था लेकिन हमने मिलकर आपदा का डटकर सामना किया। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने स्वयं रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर चंद्रताल झील में फंसे 300 पर्यटकों को सुरक्षित बाहर निकाला। यह कांग्रेस सरकार की संवेदनशीलता को प्रदर्शित करता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने की दिशा में कार्य कर रही है। गाय के दूध के खरीद मूल्य को 51 रुपये प्रति लीटर और भैंस के दूध के खरीद मूल्य को 61 रुपये प्रति लीटर किया गया है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार प्राकृतिक रूप से उगाए गए गेहूं, मक्का, जौ और कच्ची हल्दी की खरीद भी सुनिश्चित कर रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने पारदर्शी तरीके से शराब के ठेकों की नीलामी करके एक साल में 450 करोड़ रुपये कमाए, जबकि पिछली भाजपा सरकार ने जनता के धन का दुरुपयोग किया।
भाजपा सरकार ने ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए राज्य भर में 1,000 करोड़ रुपये की इमारतें बनवाईं। पूर्व सरकार ने बद्दी-नालागढ़ में बड़े उद्योगपतियों को एक विशेष पैकेज के तहत 5,000 बीघा भूमि केवल 14 लाख रुपये में आवंटित की। इसके बावजूद वहां एक भी उद्योग स्थापित नहीं किया जा सका, जबकि उस ज़मीन का वास्तविक बाजार मूल्य 5,000 करोड़ रुपये है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया। राज्य सरकार के कर्मचारी हितैषी निर्णय के बावजूद केंद्र सरकार ने राज्य पर कई प्रतिबंध लगाए हैं। उन्होंने कहा, कि ‘मैं एक सरकारी कर्मचारी का बेटा हूं और मैंने यह प्रण लिया है कि जब तक मैं मुख्यमंत्री रहूंगा, हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को ओपीएस का लाभ मिलता रहेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कर रही है।
उन्होंने कहा कि भाजपा शासनकाल में हिमाचल प्रदेश गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मामले में 21वें स्थान पर था, लेकिन राज्य सरकार के सुधारों की बदौलत हम पांचवें स्थान पर पहुंच गए हैं। सरकारी क्षेत्र में 100 सीबीएसई आधारित स्कूल स्थापित किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य के लोग पड़ोसी राज्यों में इलाज के लिए सालाना 1,000 करोड़ रुपये खर्च कर रहे थे, लेकिन अब इस स्थिति में बदलाव आ रहा है। टांडा और चमियाना में रोबोटिक सर्जरी शुरू हो गई है और आधुनिक चिकित्सा उपकरणों की स्थापना के साथ-साथ चरणबद्ध तरीके से इस सुविधा को सभी मेडिकल कॉलेजों में शुरू किया जाएगा।
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने इस अवसर पर कहा कि इस वर्ष न केवल हिमाचल प्रदेश, बल्कि उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और पंजाब भी प्राकृतिक आपदाओं से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। केंद्र सरकार ने भाजपा शासित राज्यों को अधिक सहायता प्रदान करके हिमाचल के साथ भेदभाव किया है। उन्होंने कहा कि राज्य ने केंद्र से हिमाचल की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए राहत मापदंडों में संशोधन करने का आग्रह किया था, लेकिन इस अनुरोध को भी कंेद्र सरकार ने नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
बागवानी मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने लोगों के दर्द को समझा और देश के सबसे बड़े मुआवज़े के पैकेज की घोषणा की। सभी प्रभावित परिवारों को समान सहायता सुनिश्चित करने के लिए यह विशेष राहत पैकेज पूरे राज्य में लागू किया जा रहा है और इसका क्रियान्वयन शुरू हो चुका है।
उन्होंने कहा कि आपदा के दौरान सड़कें अवरुद्ध होने के बावजूद, एचपीएमसी ने बागवानों से रिकॉर्ड एक लाख टन सेब की खरीद सुनिश्चित की। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष से आपदा के दौरान प्राप्त धनराशि को सार्वजनिक करने की मांग की और भाजपा नेताओं पर संकट के समय में भी जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा किए गए सुधारों के फलस्वरूप शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा में सुधार हो रहा है और उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से अधिकतम कल्याण सुनिश्चित किया जा रहा है।
तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि मंडी जिले के सराज और धर्मपुर विधानसभा क्षेत्रों में इस साल आपदा के कारण भारी नुकसान हुआ, जबकि बिलासपुर जिले में लगभग 500 परिवार प्रभावित हुए, जिन्हें अब वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है।
उन्होंने केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री, जो हिमाचल को अपना दूसरा घर कहते हैं उन्होंने आपदा पीड़ितों को कोई राहत नहीं दी है। उनकी घोषणा के बावजूद 1,500 करोड़ रुपये की सहायता राशि महीनों बाद भी दिल्ली से शिमला नहीं पहुंची है। भाजपा हिमाचल की आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग का समर्थन नहीं करती। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने उन्हें बार-बार आर्थिक मदद लेने के लिए दिल्ली बुलाया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। हिमाचल प्रदेश में भाजपा के सात सांसद हैं, फिर भी उनमें से किसी ने भी आपदा पीड़ितों के लिए केंद्र से मद्द मांगने का साहस नहीं किया।
तकनीकी शिक्षा मंत्री ने मुख्यमंत्री के समर्पण भाव की प्रशंसा करते हुए कहा कि खराब स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने वर्ष 2023 में आई आपदा के प्रभावितों की मदद के लिए व्यक्तिगत रूप से ज़मीनी स्तर पर कार्य किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के व्यवस्था परिवर्तन की मुहिम के फलस्वरूप हिमाचल शीघ्र ही आत्मनिर्भर राज्य बनकर उभरेगा।
विधायक चंद्रशेखर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश पिछले तीन वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहा है। मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी विभागों ने त्वरित राहत और पुनर्वास कार्य सुनिश्चित कर प्रभावितों की मदद की।
पर्यावरण संरक्षण की तत्काल आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि अब ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। प्राकृतिक आपदाओं में हो रही वृद्धि इसका प्रमाण है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने राहत राशि को 1.30 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये करके संवेदनशीलता का परिचय दिया है। केंद्र ने 1,500 करोड़ रुपये की सहायता राशि की घोषणा की है, लेकिन 45 दिन बीत जाने के बाद भी हिमाचल प्रदेश तक एक भी रुपये की राशि नहीं पहुंची है। इन चुनौतियों के बावजूद, राज्य सरकार आपदा प्रभावित परिवारों को राहत पहुंचाना जारी रखे हुए है।
पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर और विधायक अनिल शर्मा ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे। (SBP)
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