अमेरिका में H-1B वीजाधारकों के बड़ी ख़बर, इन लोगों ने ली राहत की सांस; क्या भारतीयों को होगा फायदा?
Babushahi Bureau
वॉशिंगटन/नई दिल्ली, 21 अक्टूबर 2025 : अमेरिका में काम कर रहे हजारों भारतीय टेक प्रोफेशनल्स (Tech Professionals) और छात्रों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि H-1B वीजा (H-1B Visa) की नई 1 लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) आवेदन फीस अब सभी पर लागू नहीं होगी।
संयुक्त राज्य नागरिकता और आव्रजन सेवाओं (US Citizenship and Immigration Services - USCIS) ने नई गाइडलाइंस जारी कर कहा है कि यह फीस केवल नए आवेदकों पर लागू होगी, जबकि पहले से अमेरिका में रह रहे या कार्यरत वीजा धारकों को इससे छूट दी जाएगी।
इस फैसले से भारतीय कामगारों, अमेरिकी नियोक्ताओं (Employers) और इमिग्रेशन वकीलों (Immigration Lawyers) की चिंताएं काफी हद तक कम हो गई हैं।
कौन लोग रहेंगे फीस से मुक्त
USCIS के अनुसार, यह फीस केवल उन व्यक्तियों पर लागू होगी जो अमेरिका से बाहर से नया H-1B वीजा आवेदन करेंगे।
1. जो लोग पहले से अमेरिका में वैध वीजा पर हैं — जैसे F-1 स्टूडेंट वीजा (Student Visa), L-1 इंट्रा-कंपनी ट्रांसफर (Intra-company Transfer) या मौजूदा H-1B धारक — उन्हें यह फीस नहीं देनी होगी।
2. जो आवेदक अपने वीजा को रिन्यू (Renew) या एक्सटेंड (Extend) करा रहे हैं, वे भी इस दायरे से बाहर रखे गए हैं।
3. USCIS ने यह भी स्पष्ट किया कि 21 सितंबर 2025 से पहले किए गए किसी भी आवेदन पर यह नई फीस लागू नहीं होगी।
4. मौजूदा H-1B वीजा धारक बिना किसी रोक-टोक के अमेरिका के अंदर और बाहर यात्रा (Travel) कर सकते हैं।
USCIS ने यह भी कहा कि जो छात्र F-1 वीजा पर पढ़ाई पूरी करने के बाद H-1B वर्क परमिट में शिफ्ट (Status Change) कर रहे हैं, उन्हें भी यह फीस नहीं चुकानी पड़ेगी।
भारतीयों को क्यों मिली सबसे बड़ी राहत
H-1B वीजा प्रोग्राम विदेशी कुशल कामगारों (Skilled Workers) के लिए अमेरिका का सबसे प्रमुख रोजगार मार्ग है।
1. इस वीजा के ज़रिए आईटी, इंजीनियरिंग, हेल्थकेयर और सर्विस इंडस्ट्री में काम करने की अनुमति मिलती है।
2. वर्तमान में करीब 3 लाख भारतीय इस वीजा के माध्यम से अमेरिका में काम कर रहे हैं।
3. हर साल जारी होने वाले नए H-1B वीज़ा में लगभग 70% वीज़ा भारतीय नागरिकों को मिलते हैं, जबकि केवल 11-12% वीज़ा चीनी नागरिकों को मिलते हैं।
नई फीस नीति के बाद सबसे अधिक असर भारतीय पेशेवरों पर पड़ा था, क्योंकि वे इस वीजा कैटेगरी के सबसे बड़े लाभार्थी (Largest Beneficiaries) हैं। अब फीस छूट से भारतीय आईटी कंपनियों और युवाओं को बड़ी राहत मिली है।
क्या है H-1B वीजा प्रोग्राम?
1. H-1B वीजा एक नॉन-इमिग्रेंट वर्क परमिट (Non-Immigrant Work Permit) है, जो विदेशी हाई-स्किल्ड वर्कर्स (High-Skilled Workers) को तीन साल तक अमेरिका में काम करने की अनुमति देता है।
2. इसे अतिरिक्त तीन साल तक बढ़ाया (Extended) जा सकता है।
3. हर साल 85,000 वीजा लॉटरी सिस्टम (Lottery System) के तहत आवंटित किए जाते हैं — जिनमें 65,000 जनरल कोटा और 20,000 अमेरिकी यूनिवर्सिटी ग्रेजुएट्स के लिए आरक्षित होते हैं।
ट्रंप प्रशासन की नई नीति का उद्देश्य
ट्रंप प्रशासन ने पिछले महीने यह भारी फीस लागू करते हुए कहा था कि इसका उद्देश्य विदेशी वर्क वीजा प्रोसेसिंग में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ाना है। हालांकि अब, भारतीयों और मौजूदा वीजा धारकों की व्यावहारिक चुनौतियों को देखते हुए इसमें संशोधन किया गया है।
इस कदम से न केवल भारतीय आवेदकों को राहत मिलेगी, बल्कि अमेरिकी कंपनियों को भी अपने अनुभवी कर्मचारियों को बनाए रखने में आसानी होगी।
ट्रंप प्रशासन के इस बदलाव को भारतीय आईटी इंडस्ट्री और टेक समुदाय ने राहतभरा कदम बताया है। इससे अमेरिका में पढ़ रहे और काम कर रहे हजारों भारतीय प्रोफेशनल्स को अब अपने भविष्य को लेकर चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।
नई गाइडलाइंस (Guidelines) ने यह साफ कर दिया है कि अमेरिका प्रतिभा और पारदर्शिता आधारित वर्क कल्चर (Work Culture) के सिद्धांतों को बनाए रखते हुए अपने आर्थिक हितों का भी संतुलन बना रहा है।