चंडीगढ: रिश्वतखोरी में फंसे कांस्टेबल की दूसरी वीडियो भी वायरल, पीड़ित ने DGP को भेजी शिकायत
बाबूशाही ब्यूरो
चंडीगढ़, 1 अगस्त
चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस का एक सस्पेंड कांस्टेबल एक बार फिर सुर्खियों में है। रिश्वतखोरी के आरोप में पहले ही निलंबित हो चुके कांस्टेबल परवीन की एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। इस ताजा वीडियो के सामने आने के बाद न सिर्फ चंडीगढ़ पुलिस की साख पर सवाल उठने लगे हैं, बल्कि पूरे ट्रैफिक सिस्टम में जवाबदेही और पारदर्शिता को लेकर बहस छिड़ गई है।
मोहाली निवासी मुकेश कालरा ने चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को भेजी एक शिकायत में आरोप लगाया है कि 30 जुलाई को सेक्टर 44-45 चौक पर उन्हें एक फर्जी ट्रैफिक वायलेशन के नाम पर रोका गया और जबरन चालान किया गया। कालरा के अनुसार, उन्हें बेवजह परेशान किया गया और विरोध करने पर उन्हें नजदीकी पुलिस थाने भी ले जाया गया।
शिकायत के अनुसार, जिस चौक पर यह वाकया हुआ, वहां वही पुलिस कांस्टेबल परवीन तैनात था, जिसकी पहली वीडियो दो दिन पहले वायरल हुई थी, जिसमें वह एक कार चालक से ₹500 नकद लेते हुए कैमरे में रिकॉर्ड हुआ था। यह वीडियो सामने आते ही एसएसपी ट्रैफिक सुमेर प्रताप सिंह ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कांस्टेबल को निलंबित कर दिया था।
अब इस मामले में दूसरी वीडियो सामने आने से यह आशंका और गहरी हो गई है कि यह कोई एकल घटना नहीं, बल्कि व्यवस्थित तरीके से रिश्वत वसूली का मामला हो सकता है। वीडियो में परवीन एक अन्य वाहन चालक से बातचीत करता दिख रहा है, जो कथित तौर पर किसी सौदेबाजी की ओर इशारा करती है।
"मैं अपने बेटे को चंडीगढ़ में परीक्षा दिलाने लाया था। ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए भी मुझे रोका गया, और वायलेशन के झूठे आरोप में चालान काटा गया। जब विरोध किया तो मुझे थाने ले जाकर डांट-फटकार कर परेशान किया गया," — मुकेश कालरा ने अपनी शिकायत में लिखा।
इस मामले ने चंडीगढ़ पुलिस की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सोशल मीडिया पर जनता में इस घटना को लेकर भारी नाराजगी है, और लोगों ने पूरे ट्रैफिक स्टाफ की कार्यशैली की स्वतंत्र जांच की मांग की है।
इस बीच पुलिस विभाग की ओर से दूसरी वीडियो पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि यदि आरोप सही पाए गए तो कांस्टेबल परवीन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर विभागीय जांच आगे बढ़ाई जाएगी।
वहीं, नागरिक संगठनों ने प्रशासन से यह मांग की है कि ऐसे मामलों में केवल निलंबन नहीं, बल्कि आपराधिक कार्रवाई भी की जानी चाहिए ताकि विभाग में पारदर्शिता और जनता का विश्वास बना रहे।
वही कांस्टेबल प्रवीण का कहना है कि वायलेशन का चालान किया है, कोई दुर्व्यवहार नही किया, आरोप बेबुनियाद है
Click to Follow हिन्दी बाबूशाही फेसबुक पेज →