चंडीगढ़ के कॉलेजों को स्वायत्त बनाने पर पंजाब राजभवन में संगोष्ठी
एनईपी 2020 के लक्ष्यों की ओर सशक्त कदम
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 22 मई 2025
पंजाब राजभवन में गुरुवार को उच्च शिक्षा विभाग, चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा “चंडीगढ़ कॉलेजों को स्वायत्त बनाना” विषय पर एक अहम संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के लक्ष्यों को साकार करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
कार्यक्रम का उद्घाटन पंजाब के राज्यपाल एवं यूटी चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने किया। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों को भविष्य की जरूरतों के अनुरूप खुद को ढालना होगा और स्वायत्तता इस दिशा में एक अहम कदम है। उन्होंने कहा, “एनईपी 2020 संस्थानों को सशक्त बनाकर शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच को बढ़ाने का स्पष्ट रोडमैप देता है। अब जरूरत है सामूहिक प्रयासों की।”
इस अवसर पर यूजीसी के संयुक्त सचिव डॉ. आर. मनोज कुमार ने यूजीसी की स्वायत्तता नीतियों और गुणवत्ता मानकों पर प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि एनईपी 2020 संस्थानों को स्व-विनियमित और गुणवत्ता-संचालित रूप में देखता है, जिसमें स्वायत्तता एक प्रमुख कारक है।
डॉ. रवींद्र सिंह परदेशी, फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे के पूर्व प्राचार्य, ने अपने संस्थान के अनुभव साझा करते हुए बताया कि स्वायत्तता से कैसे पाठ्यक्रम प्रासंगिकता, रोजगार क्षमता और अकादमिक लचीलापन बढ़ता है।
पंजाब विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. रेणु विग ने शिक्षा प्रणाली में आवश्यक संरचनात्मक सुधारों की बात कही। यूटी राज्य उच्च शिक्षा परिषद के सदस्य डॉ. दलीप कुमार ने संसाधन वृद्धि, नवाचार और संस्थागत पुनर्गठन की आवश्यकता पर बल दिया।
इस संगोष्ठी में शहर के सभी सरकारी और निजी कॉलेजों के प्रिंसिपल, फैकल्टी सदस्य और शिक्षाविदों ने भाग लिया। चर्चा के प्रमुख विषयों में शैक्षणिक सुधार, फैकल्टी विकास, बुनियादी ढांचे का विस्तार और गुणवत्ता आश्वासन तंत्र शामिल थे।
कार्यक्रम में विवेक प्रताप सिंह (प्रधान सचिव, राज्यपाल), प्रेरणा पुरी (शिक्षा सचिव), अभिजीत विजय चौधरी (विशेष सचिव), रुबिंदरजीत सिंह बराड़ (निदेशक, उच्च शिक्षा), डॉ. ऋचा राठी (अतिरिक्त निदेशक) सहित चंडीगढ़ प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
यह संगोष्ठी चंडीगढ़ की उच्च शिक्षा प्रणाली को नवाचार, उत्कृष्टता और सामाजिक प्रभाव के केंद्र में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई।
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