भारत की राष्ट्रपति ने हरियाणा के डॉ. सन्तराम देशवाल को साहित्य एवं शिक्षा और हरविंदर सिंह को खेल के क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित किया
बाबूशाही ब्यूरो
दिल्ली,- 28 मई 2025
भारत की राष्ट्रपति ने नई दिल्ली में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह में हरियाणा के डॉ. सन्तराम देशवाल को साहित्य एवं शिक्षा और हरविंदर सिंह को खेल के क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित किया।
पुरस्कार विजेताओं के जीवन और कार्यों का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है –
डॉ. सन्तराम देशवाल
डॉ. सन्तराम देशवाल साहित्य जगत के एक ऐसे नाम हैं, जिन्हें शिक्षक, निबंधकार, कवि, संस्मरणकार, यात्रा-वृत्तांत लेखक, संपादक, जीवनीकार, लोककथाकार और प्रतिष्ठित कॉलम लेखक के रूप में जाना जाता है। स्वतंत्र पत्रकार और शोधकर्ता के रूप में उनकीगहन विशेषज्ञता समकालीन हिंदी साहित्य, हरियाणवी साहित्य और हरियाणा की लोक परंपराओं के समृद्ध क्षेत्रों में फैली हुई है।
2. 24 अप्रैल, 1955 को हरियाणा के झज्जर जिले के एक छोटे से गांव खेरका गुज्जर में जन्मे, डॉ. देशवाल अनपढ़ किसान परिवार से हैं, लेकिन उन्होंने फ्रेंच भाषा में सर्टिफिकेट के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने कानून की डिग्री (एलएलबी), पत्रकारिता और जनसंचार में स्नातकोत्तर डिप्लोमा और हिंदी साहित्य मेंउच्च शिक्षा प्राप्त करते हुए एम.फिल. और पीएचडी की डिग्री हासिल की। वह वर्तमान में हिंदी साहित्य में डी.लिट. कर रहे हैं।
3. डॉ. देशवाल अपने कॉलेज के दिनों से ही साहित्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में अग्रणी रहे हैं। वह कॉलेज और विश्वविद्यालय पत्रिकाओं के छात्र संपादक थे। उनकी रचनात्मक लेखन यात्रा पिछले 50 वर्षों से जारी है, जिसने हिंदी साहित्य के भंडार को समृद्ध किया है। उनकी रचनाएँ विद्वानों, शोधकर्ताओं और पाठकों के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण बन गई हैं। उनके निबंध सांस्कृतिक विरासत, सामाजिक गतिशीलता और मानवीय मूल्यों के संबंध में गहन जानकारी प्रदान करते हैं। उन्होंने दो दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें आधुनिक विधा के ‘ललितनिबंध' की 8 पुस्तकें शामिल हैं। उनका साहित्य भी शोध का विषय रहा है, जो इस क्षेत्र में उनकी प्रतिष्ठा को दर्शाता है। पत्रकारिता में, वह नियमित कॉलम लेखक रहे हैं, जो समसामयिक मुद्दों पर विस्तार से लिखते रहे हैं।
4 अपनी साहित्यिक उपलब्धियों से परे, डॉ. देशवाल के सामाजिक सेवा में योगदान का गहन प्रभाव पड़ा है। विशेष रूप से राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के माध्यम से, सामाजिक सेवा में उनकी भागीदारीके लिए उन्हें दो बार "सर्वश्रेष्ठ कार्यक्रम अधिकारी" पुरस्कार मिला है। उन्होंने कई शिविर आयोजित किए और दहेज उन्मूलन, बालिका भ्रूण हत्या, अस्पृश्यता, लैंगिक असमानता, निरक्षरता आदि जैसे सामाजिक जागरूकता और सुधार कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भाग लिया। इसका एक उल्लेखनीय उदाहरण हरियाणा के सोनीपत जिले का जगदीशपुर गाँव है , जिसने उनके नेतृत्व में पूर्ण साक्षरता हासिल की।
5. डॉ. देशवाल ने कई प्रतिष्ठित पुरस्कार, प्रशंसा और सम्मान प्राप्त किए हैं, जिनमें ‘महाकवि सूरदास आजीवन साहित्य साधना सम्मान’ (2018), ‘जनकवि मेहर सिंह सम्मान’ (2014), हरियाणा साहित्य अवाम संस्कृति अकादमी से लोक आलोक (2005) और अनकहे दर्द (2011) को सर्वश्रेष्ठ पुस्तक पुरस्कार शामिल हैं। उन्हें ‘बाबू बाल मुकुंद गुप्त साहित्य सम्मान’, ‘लोक साहित्य शिरोमणि सम्मान’, ‘सर्वोत्तम पत्रकारिता पुरस्कार’, ‘लोक साहित्य अनुवाद पुरस्कार’ (साहित्य अकादमी दिल्ली) और कई अन्य पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है। भारत सरकार, हरियाणा के राज्यपाल और हरियाणा सरकार से मान्यता के साथ सामाजिक कार्यों में उनके असाधारण योगदान को स्वीकृति मिली है।
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