CM Bhagwant Mann ने PU Senate मामले पर केंद्र को दी चेतावनी! बोले- 'पंजाबियों को...' (पढ़ें पूरी ख़बर)
Babushahi Bureau
चंडीगढ़, 6 नवंबर, 2025 : पंजाब यूनिवर्सिटी (Panjab University) की सीनेट (Senate) और सिंडिकेट (Syndicate) को भंग करने के मामले पर मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) ने केंद्र सरकार (Central Government) पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने केंद्र पर लोगों को गुमराह करने के लिए "घटिया हथकंडे" अपनाने का आरोप लगाया और कहा कि केंद्र सरकार लोगों को मूर्ख बनाने वाली "ओछी हरकतों" से बाज आए।
"आदेश वापस होने तक नहीं बैठेंगे चुप"
मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि पंजाब के लोग केंद्र के "संदिग्ध किरदार" से अच्छी तरह वाकिफ हैं। उन्होंने कहा, "पंजाबी इस मुद्दे पर सिर्फ शब्दों की हेराफेरी (wordplay) वाले पत्रों से अपने संघर्ष से नहीं भटकेंगे। सीएम मान ने चेतावनी दी कि जब तक पंजाब यूनिवर्सिटी (PU) के बारे में यह आदेश पूरी तरह से वापस नहीं लिया जाता, तब तक वे चुप नहीं बैठेंगे।
कानूनी लड़ाई लड़ेगी पंजाब सरकार
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ की सीनेट और सिंडिकेट को "गैर-कानूनी" (illegal) ढंग से भंग करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ सभी कानूनी रास्ते (legal options) तलाशेगी। इसके लिए नामी वकीलों (eminent lawyers) को शामिल किया जाएगा।
1. "लोकतंत्र पर हमला": उन्होंने इस कदम को यूनिवर्सिटी के लोकतांत्रिक (democratic) और स्वायत्त (autonomous) ढांचे पर "सीधा हमला" बताया।
2. "पंजाब के अधिकारों की रक्षा": भगवंत मान ने कहा कि यह सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं है, बल्कि पंजाब यूनिवर्सिटी पर पंजाब के अधिकारों (Punjab's rights) की रक्षा करना राज्य सरकार की "संवैधानिक जिम्मेदारी" (constitutional responsibility) है।
3. हिस्सेदारी कम नहीं होने देंगे: उन्होंने स्पष्ट किया कि पंजाब सरकार PU के कामकाज में अपने हिस्से, अधिकारों या भागीदारी को किसी भी तरह से कम (dilute) करने की इजाजत नहीं देगी।
"PU पंजाब की भावनात्मक विरासत है"
सीएम मान ने यूनिवर्सिटी के इतिहास को याद दिलाते हुए कहा:
1. 1947 का एक्ट: 1947 में देश के बंटवारे के बाद, लाहौर (Lahore) में अपनी मुख्य यूनिवर्सिटी को खोने के नुकसान की भरपाई के लिए, पंजाब यूनिवर्सिटी एक्ट, 1947 के तहत PU की स्थापना की गई थी।
2. 1966 का एक्ट: 1966 में राज्य के पुनर्गठन (reorganisation) के बाद भी, 'पंजाब पुनर्गठन एक्ट 1966' ने इसके वजूद (status) को बनाए रखा और यह यूनिवर्सिटी पंजाब के क्षेत्रों पर पहले की तरह ही काम करती रही।
3. विरासत: उन्होंने कहा, "तब से ही पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ राज्य की भावनात्मक (emotional), सांस्कृतिक (cultural) और साहित्यिक (literary) विरासत का हिस्सा है।"
"केंद्र के तर्कहीन फैसले से भारी रोष"
सीएम ने कहा कि केंद्र सरकार के इस "तर्कहीन फैसले" (irrational decision) ने न केवल संबंधित पक्षों (stakeholders) को निराश किया है, बल्कि यह अच्छे शासन (good governance) और कानून के सिद्धांतों (principles of law) के भी खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि इस फैसले से शिक्षकों, पेशेवरों (professionals), तकनीकी सदस्यों (technical members) और यूनिवर्सिटी के ग्रेजुएट्स (graduates) में भारी रोष (resentment) है। उन्होंने दोहराया कि राज्य सरकार यूनिवर्सिटी के दर्जे (status) में किसी भी बदलाव को बर्दाश्त नहीं करेगी और ऐसे किसी भी कदम का सख्त विरोध (vehemently oppose) करेगी।
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