क्या सस्ता होगा, क्या महंगा? GST काउंसिल की बैठक पर टिकी पूरे देश की निगाहें, आज से शुरू
Babushahi Bureau
नई दिल्ली, 3 सितंबर 2025 : आज से देश की आर्थिक दिशा तय करने वाली एक बड़ी बैठक नई दिल्ली में शुरू हो रही है, जिस पर पूरे देश के कारोबारियों से लेकर आम आदमी तक की नजरें टिकी हैं। GST (Goods and Services Tax) काउंसिल की यह दो-दिवसीय बैठक (3-4 सितंबर) इसलिए बेहद खास है, क्योंकि इसमें 2017 में GST लागू होने के बाद का अब तक का सबसे बड़ा संरचनात्मक सुधार (structural reform) देखने को मिल सकता है।
सूत्रों के अनुसार, सरकार मौजूदा चार टैक्स स्लैब को घटाकर दो करने के एक बड़े प्रस्ताव पर विचार कर रही है, जो न केवल टैक्स प्रणाली को सरल बनाएगा, बल्कि कई वस्तुओं की कीमतों पर भी सीधा असर डालेगा।
क्या है सरकार का 'टू-स्लैब' (Two-Slab) प्लान?
बैठक के एजेंडे में सबसे बड़ा प्रस्ताव मौजूदा टैक्स स्ट्रक्चर को पूरी तरह बदलना है।
1. प्रस्ताव: मौजूदा 5%, 12%, 18% और 28% के चार स्लैब की जगह, अब देश में केवल 5% और 18% के दो ही स्लैब रखे जाएं।
2. खत्म होंगे ये स्लैब: अगर यह प्रस्ताव पारित होता है, तो 12% और 28% के टैक्स स्लैब को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा।
3. लक्ष्य: इस कदम का मुख्य उद्देश्य GST प्रणाली को अधिक सरल, पारदर्शी और कारोबार-अनुकूल बनाना है। GST काउंसिल के पदेन सचिव (Ex-Officio Secretary) द्वारा जारी सर्कुलर के अनुसार, इस अहम बैठक से पहले 2 सितंबर को राज्यों और केंद्र के अधिकारियों के बीच इस पर गहन विचार-विमर्श भी हो चुका है।
'सिन टैक्स' (Sin Tax): सिगरेट-तंबाकू और लग्जरी आइटम्स पर लगेगा 40% टैक्स?
दो-स्लैब प्रणाली के साथ, सरकार राजस्व बढ़ाने और हानिकारक वस्तुओं की खपत को हतोत्साहित करने के लिए एक विशेष स्लैब लाने पर भी विचार कर रही है।
1. क्या है 'सिन टैक्स'?: तंबाकू, सिगरेट, गुटखा जैसे डीमेरिट (demerit) उत्पादों के लिए 40% का एक अलग टैक्स स्लैब बनाया जा सकता है।
2. क्या होगा महंगा?: इस श्रेणी में लग्जरी कारें (luxury cars), हाई-एंड इलेक्ट्रॉनिक्स (high-end electronics) और कुछ विशेष सेवाओं को भी शामिल किया जा सकता है।
3. राजस्व का उपयोग: इस 'सिन टैक्स' से मिलने वाले अतिरिक्त राजस्व (revenue) का उपयोग सामाजिक कल्याण योजनाओं (social welfare schemes) के लिए किया जाएगा।
आम आदमी और कारोबार पर क्या होगा असर?
इस बड़े बदलाव का असर अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र पर पड़ेगा।
1. कारोबारियों के लिए: टैक्स अनुपालन (tax compliance) बहुत आसान हो जाएगा, जिससे व्यापार में पारदर्शिता बढ़ेगी।
2. आम आदमी के लिए: जो वस्तुएं अभी 12% के स्लैब में हैं, वे 5% में आकर सस्ती हो सकती हैं। वहीं, जो 28% के स्लैब में हैं, वे 18% में आकर राहत दे सकती हैं। हालांकि, 'सिन गुड्स' महंगे हो जाएंगे।
3. विशेषज्ञों की राय: राजनीतिक विश्लेषक आयुष नांबियार के अनुसार, "GST से पहले भारत का टैक्स सिस्टम बेहद जटिल और बिखरा हुआ था। GST ने 'एक राष्ट्र, एक बाजार' की नींव रखी, और यह नया बदलाव इस नींव को और मजबूत करेगा।"
मजबूत होते GST कलेक्शन से बढ़ा सरकार का हौसला
सरकार यह बड़ा कदम ऐसे समय में उठाने पर विचार कर रही है, जब देश का GST कलेक्शन लगातार मजबूत हो रहा है। इस साल अगस्त में GST कलेक्शन ₹1.86 लाख करोड़ रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 6.5% अधिक है।
यह मजबूत आंकड़ा न केवल देश में तेज हो रही आर्थिक गतिविधियों का संकेत है, बल्कि यह भी दिखाता है कि टैक्स प्रणाली स्थिर हो रही है। इसी विश्वास के आधार पर सरकार अब इतने बड़े सुधार की ओर बढ़ रही है।
MA
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