US Fed ने फिर घटाए Rate! Trump को मिली राहत; जानें भारत के RBI पर क्या होगा असर?
Babushahi Bureau
वाशिंगटन/नई दिल्ली, 30 अक्टूबर, 2025 : अमेरिका के केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve or Fed), ने धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था (slowing economy) और कमजोर होते श्रम बाजार (labour market) को सहारा देने के लिए लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में कटौती (interest rate cut) कर दी है। बुधवार को फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (FOMC) की बैठक के बाद, नीतिगत दर (policy rate) में 0.25% (25 बेसिस पॉइंट) की कटौती का ऐलान किया गया।
इस फैसले के बाद, फेड की बेंचमार्क ओवरनाइट उधारी दर (benchmark overnight lending rate) का दायरा अब 3.75% से 4.00% पर आ गया है। यह कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और उनके प्रशासन के लिए एक बड़ी राहत है, जो लंबे समय से फेड पर दरें घटाने का दबाव बना रहे थे।
क्यों हुई कटौती? (5वीं बार घटी दरें)
1. सितंबर 2024 से 5वीं कटौती: यह सितंबर 2024 के बाद से फेड द्वारा की गई पांचवीं दर कटौती है। इस दौरान नीतिगत दरों में कुल 1.50% की कमी की जा चुकी है।
2. धीमी अर्थव्यवस्था: फेड ने अपने बयान में कहा कि उपलब्ध संकेतक (available indicators) बताते हैं कि आर्थिक गतिविधि (economic activity) "मध्यम गति" (moderate pace) से बढ़ रही है।
3. कमजोर श्रम बाजार: नौकरी वृद्धि (job gains) धीमी हुई है और बेरोजगारी दर (unemployment rate) थोड़ी बढ़ी है (हालांकि अगस्त तक कम थी)।
4. महंगाई का दबाव कम: सितंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) 3% पर रहा, जो फेड के 2% लक्ष्य से ऊपर तो है, लेकिन उम्मीद (3.1%) से कम था। कोर महंगाई (core inflation) भी पिछले तीन महीनों से 3% पर स्थिर है।
5. सरकारी शटडाउन का असर: 1 अक्टूबर से चल रहे सरकारी शटडाउन (Government Shutdown) ने भी फेड के फैसले को प्रभावित किया, क्योंकि बेरोजगारी जैसे प्रमुख आर्थिक आंकड़े (key economic data) समय पर जारी नहीं हो पा रहे हैं, जिससे अर्थव्यवस्था का आकलन जटिल हो गया है।
दिसंबर में एक और कटौती संभव? Quantitative Tightening खत्म
1. आगे के संकेत: फेड मीटिंग से संकेत मिले हैं कि दिसंबर की आखिरी बैठक में 0.25% की एक और कटौती की जा सकती है। अगले दो सालों में कुल दो से तीन कट के संकेत हैं (पहले दो कट के ही संकेत थे)। हालांकि, ज्यादा कटौती तभी संभव है जब महंगाई 2-2.5% के दायरे में आए।
2. QT खत्म: दरों में कटौती के अलावा, फेड ने यह भी घोषणा की कि वह 1 दिसंबर से अपनी संपत्ति खरीद में कटौती (asset purchase reduction) – जिसे मात्रात्मक सख्ती (Quantitative Tightening - QT) कहा जाता है – को समाप्त कर देगा।
(FOMC के 10 सदस्यों ने कटौती का समर्थन किया, जबकि 2 ने असहमति जताई। गवर्नर स्टीफन मिरान 0.50% की बड़ी कटौती चाहते थे, जबकि सेंट लुइस फेड अध्यक्ष जेफरी श्मिड कोई कटौती नहीं चाहते थे।)
ट्रंप ने पॉवेल पर फिर साधा निशाना
दर कटौती के बावजूद, राष्ट्रपति ट्रंप फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल (Jerome Powell) पर निशाना साधने से नहीं चूके। दक्षिण कोरिया में APEC समिट में उन्होंने पॉवेल को 'जेरोम ‘टू लेट’ पॉवेल' (Jerome 'Too Late' Powell) कहकर तंज कसा और कहा कि फेड को तीन साल बाद की महंगाई से डरकर दरें नहीं बढ़ानी चाहिए।
फैसले का बाजार पर असर (US & India)
1. US बाजार: फेड के फैसले के बाद अमेरिकी शेयर बाजारों (US Stock Markets) में जोरदार तेजी देखी गई। डाउ जोंस (Dow Jones), नैस्डैक (Nasdaq) और S&P 500 तीनों सूचकांकों ने अपने 52-हफ्तों के उच्चतम स्तर (52-week highs) को छुआ।
2. भारतीय बाजार: उम्मीद है कि आज (गुरुवार) को भारतीय शेयर बाजारों (Indian Stock Markets) में भी तेजी देखने को मिलेगी। बुधवार को भी भारतीय बाजार फेड के फैसले की उम्मीद में बढ़त के साथ बंद हुए थे (निफ्टी पहली बार 26,000 के पार बंद)। सोने और चांदी की कीमतों में भी उछाल आ सकता है।
क्या अब RBI भी घटाएगा दरें?
फेड के इस कदम के बाद, अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पर भी दिसंबर में होने वाली अपनी मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee - MPC) की बैठक में ब्याज दरें घटाने का दबाव बढ़ गया है।
1. RBI MPC: अगली बैठक 3 से 5 दिसंबर तक होगी।
2. उम्मीद: भारत में भी महंगाई नियंत्रण में है (अक्टूबर के आंकड़े कम आने की उम्मीद है)। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि RBI 0.25% की कटौती कर सकता है। कुछ जानकार 0.50% कटौती की भी संभावना जता रहे हैं।
3. पिछली बैठकों का रुख: हालांकि, RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने अगस्त और अक्टूबर की बैठकों में यह कहकर कटौती टाल दी थी कि पिछली कटौतियों (फरवरी, अप्रैल, जून में कुल 1%) का पूरा फायदा अभी तक आम लोगों तक नहीं पहुंचा है।