Trump का बड़ा 'यू-टर्न'! Work Permit को लेकर बदल दिया ये नियम, भारतीयों पर भी होगा असर
Babushahi Bureau
वाशिंगटन/नई दिल्ली, 30 अक्टूबर, 2025 : अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) प्रशासन ने देश में काम कर रहे लाखों प्रवासी कामगारों (migrant workers) को बड़ा झटका दिया है। ट्रंप प्रशासन ने बाइडेन-काल (Biden administration) के उस महत्वपूर्ण नियम को पलट दिया है, जो वर्क परमिट (Work Permit) की समयसीमा खत्म होने के बाद भी प्रवासियों को काम करते रहने की अनुमति देता था।
अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) ने एक बयान में पुष्टि की है कि आज (गुरुवार, 30 अक्टूबर, 2025) या इसके बाद से, रोजगार प्राधिकरण दस्तावेजों (Employment Authorization Documents - EAD) के रिन्यूअल (renewal) के लिए आवेदन करने वालों को अब ऑटोमैटिक एक्सटेंशन (automatic extension) का लाभ नहीं मिलेगा।
इस फैसले से उन हजारों विदेशी कर्मचारियों, विशेषकर भारतीयों पर सीधा असर पड़ने की आशंका है, जो H4 वीजा (H-1B/ग्रीन कार्ड धारकों के जीवनसाथी) या F-1 (OPT) वीजा पर काम कर रहे हैं।
क्या था पुराना नियम (जो बाइडेन ने बदला)?
बाइडेन प्रशासन के नियम के तहत, अगर कोई प्रवासी कर्मचारी अपने EAD (वर्क परमिट) के खत्म होने से पहले उसके रिन्यूअल (renewal) के लिए समय पर आवेदन कर देता था, तो उसे 540 दिनों तक का ऑटोमैटिक एक्सटेंशन मिल जाता था। इसका मतलब था कि अगर उनका आवेदन लंबित (pending) भी है, तब भी वे कानूनी रूप से काम करना जारी रख सकते थे।
नए नियम में क्या बदला? (The New Rule)
1. ऑटो-एक्सटेंशन खत्म: 30 अक्टूबर, 2025 से, यह 540 दिनों का (या पहले का 180 दिनों का) ऑटोमैटिक एक्सटेंशन पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है (कुछ सीमित अपवादों को छोड़कर, जैसे TPS-संबंधित दस्तावेज)।
2. नई सुरक्षा जांच: अब हर बार वर्क परमिट बढ़ाने (renew) से पहले, प्रवासी को नई सुरक्षा जांच (new security screening) और वेटिंग प्रक्रिया (waiting process) से गुजरना होगा।
3. पहले से मिले एक्सटेंशन सुरक्षित: जिन लोगों के वर्क परमिट 30 अक्टूबर से पहले ही ऑटोमैटिक रूप से बढ़ चुके हैं, उन पर यह नया नियम लागू नहीं होगा।
"काम करना विशेषाधिकार, अधिकार नहीं" - USCIS
ट्रंप प्रशासन ने इस कदम को राष्ट्रीय सुरक्षा (national security) और सार्वजनिक सुरक्षा (public safety) के लिए जरूरी बताया है।
1. USCIS के निदेशक जोसेफ एडलो (Joseph Edlow) ने कहा, "यह कदम राष्ट्रपति ट्रंप के आदेश पर लिया गया है ताकि विदेशी नागरिकों की बेहतर स्क्रीनिंग (better screening) हो सके।"
2. उन्होंने कहा, "अमेरिका में काम करना एक अधिकार नहीं, बल्कि एक विशेषाधिकार (privilege, not a right) है। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसी विदेशी का वर्क परमिट बढ़ाने से पहले उसकी पूरी जांच हो चुकी हो।"
3. मकसद: सरकार का मानना है कि बार-बार होने वाले बैकग्राउंड चेक (background checks) से धोखाधड़ी (fraud) को रोकने और "देश के लिए हानिकारक इरादे" रखने वाले विदेशियों का पता लगाने में मदद मिलेगी।
किन भारतीयों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?
1. EAD (फॉर्म I-766) एक दस्तावेज है जो साबित करता है कि कोई व्यक्ति एक निश्चित अवधि के लिए अमेरिका में काम करने के लिए अधिकृत है।
2. कौन होता है EAD पर:
2.1 H4 वीजा धारक (H-1B या ग्रीन कार्ड होल्डर्स के कुछ जीवनसाथी, जिनमें बड़ी संख्या में भारतीय महिलाएं हैं)।
2.2 F-1 छात्र (जो OPT - Optional Practical Training के तहत काम करते हैं)।
3. शरण (Asylum) के लिए आवेदन करने वाले प्रवासी।
4. किसे जरूरत नहीं : स्थायी निवासियों (Green Card holders) और H-1B, L-1, या O-1 वीजा पर काम कर रहे लोगों को EAD की जरूरत नहीं होती, क्योंकि उनका वीजा स्टेटस ही वर्क परमिट का प्रमाण होता है।
अब क्या करें प्रवासी? (USCIS की सलाह)
1. गैप का खतरा: USCIS ने चेतावनी दी है कि प्रवासी अपने EAD के रिन्यूअल में जितना अधिक समय लगाएंगे, उनके रोजगार प्राधिकरण (employment authorization) में अस्थायी चूक (temporary lapse) या गैप (gap) आने की आशंका उतनी ही अधिक होगी।
2. 180 दिन पहले करें अप्लाई: एजेंसी ने प्रवासियों को सलाह दी है कि वे अपने वर्क परमिट की समाप्ति (expiration) से 180 दिन (6 महीने) पहले ही रिन्यूअल के लिए आवेदन (file) कर दें, ताकि उनके काम में कोई रुकावट न आए।