चंडीगढ़ से पड़ोसी राज्यों में शराब तस्करी:
आबकारी विभाग की नाकामी उजागर,
मोहाली में 750 पेटियों के साथ ट्रक पकड़ा
रमेश गोयत
मोहाली/चंडीगढ़, 18 मई 2025: चंडीगढ़ यूनियन टेरिटरी (यूटी) से पड़ोसी राज्यों हरियाणा और पंजाब में अवैध शराब तस्करी का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामले में, मोहाली पुलिस ने ऑपरेशन सील के तहत एक विशेष चेकपोस्ट पर कार्रवाई करते हुए शराब से भरा एक ट्रक पकड़ा है। इस ट्रक में 750 से अधिक शराब की पेटियां बरामद की गई हैं, जो चंडीगढ़ से हरियाणा ले जाई जा रही थीं। इस मामले में ट्रक चालक जिंदा राम और भूप्पी राम, दोनों राजस्थान के बाड़मेर जिले के निवासी, को गिरफ्तार किया गया है। इस घटना ने एक बार फिर चंडीगढ़ के आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, और विभाग में बड़े बदलाव की मांग तेज हो गई है।
मोहाली में कार्रवाई:
ऑपरेशन सील की सफलतामोहाली जिले के डेराबस्सी सब-डिवीजन के हंडेसरा इलाके में पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर एक विशेष नाकाबंदी की थी। इस दौरान एक ट्रक को रोका गया, जिसमें भारी मात्रा में अवैध शराब की पेटियां भरी हुई थीं। पुलिस के अनुसार, ट्रक में 750 से अधिक पेटियां थीं, जिनमें देसी और अंग्रेजी शराब शामिल थी। यह शराब चंडीगढ़ से हरियाणा के लिए तस्करी की जा रही थी। ट्रक चालक जिंदा राम और भूप्पी राम को मौके पर गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने बताया कि यह कार्रवाई ऑपरेशन सील के तहत की गई, जो अवैध शराब और नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए चलाया जा रहा एक विशेष अभियान है।पुलिस अब इस मामले की गहन जांच कर रही है। जांच के दायरे में यह पता लगाना शामिल है कि शराब कहां से लाई गई थी, इसका गंतव्य क्या था, और इस तस्करी के पीछे कौन-कौन शामिल हैं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक पूछताछ में पता चला है कि यह शराब चंडीगढ़ के किसी गोदाम से लोड की गई थी, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए और जांच की आवश्यकता है।
चंडीगढ़ में शराब तस्करी का पुराना इतिहास
चंडीगढ़ से पड़ोसी राज्यों में शराब तस्करी कोई नई बात नहीं है। चंडीगढ़ में शराब पर लगने वाला टैक्स हरियाणा और पंजाब की तुलना में कम है, जिसके कारण तस्कर यहां से सस्ती शराब खरीदकर अन्य राज्यों में ऊंचे दामों पर बेचते हैं। पिछले कुछ वर्षों के आंकड़े इस समस्या की गंभीरता को दर्शाते हैं:
2023: चंडीगढ़ पुलिस ने विभिन्न अभियानों में 10,000 से अधिक शराब की बोतलें और 1,200 पेटियां जब्त की थीं। इनमें से अधिकांश शराब हरियाणा और पंजाब ले जाई जा रही थी।
2024: मोहाली और चंडीगढ़ पुलिस ने संयुक्त अभियानों में 15 बड़े शराब तस्करी के मामले दर्ज किए, जिनमें 50 से अधिक लोग गिरफ्तार हुए। इनमें से कई मामले चंडीगढ़ के आबकारी नियमों की खामियों से जुड़े थे।
2025 (जनवरी-मई): इस वर्ष अब तक चंडीगढ़ और आसपास के क्षेत्रों में 5,000 से अधिक शराब की बोतलें और 800 पेटियां जब्त की जा चुकी हैं।
मोहाली में पकड़ा गया ताजा ट्रक
इस साल की सबसे बड़ी बरामदगी में से एक है। इन आंकड़ों से साफ है कि शराब तस्करी एक संगठित अपराध के रूप में उभर रही है, जिसमें बड़े तस्करी गिरोह शामिल हैं।
आबकारी विभाग की नाकामी
चंडीगढ़ का आबकारी विभाग शराब तस्करी को रोकने में बार-बार विफल साबित हुआ है। विशेषज्ञों और स्थानीय निवासियों का कहना है कि विभाग में पारदर्शिता की कमी, अपर्याप्त निगरानी, और भ्रष्टाचार इस समस्या की जड़ हैं। कुछ प्रमुख समस्याएं इस प्रकार हैं:
लाइसेंसिंग में अनियमितताएं:
चंडीगढ़ में शराब के गोदामों और ठेकों को लाइसेंस देने में अनियमितताओं की शिकायतें आम हैं। कई बार तस्कर नकली लाइसेंस का उपयोग करते हैं, जिसकी जांच समय पर नहीं होती।
निगरानी की कमी:
चंडीगढ़ से बाहर जाने वाली शराब की खेप की जांच के लिए कोई मजबूत तंत्र नहीं है। सीमावर्ती क्षेत्रों में चेकपोस्ट की कमी तस्करों के लिए रास्ता आसान बनाती है।
कमजोर सजा:
शराब तस्करी के मामलों में दोषियों को हल्की सजा या जमानत मिलना आम बात है, जिससे तस्करों का हौसला बढ़ता है। स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता रमेश शर्मा कहते हैं, "आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पूरी तरह से ढीली है। जब तक इसमें बड़े सुधार नहीं होंगे, शराब तस्करी रुकने वाली नहीं है।
"बड़े बदलाव की मांग
इस ताजा घटना के बाद चंडीगढ़ प्रशासन और आबकारी विभाग पर दबाव बढ़ गया है। राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों, और आम नागरिकों ने विभाग में सुधार की मांग की है। कुछ प्रमुख सुझाव इस प्रकार हैं:
डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम:
शराब की हर खेप को डिजिटल रूप से ट्रैक करने की व्यवस्था लागू की जाए, ताकि उसका स्रोत और गंतव्य पता चल सके।
कड़े नियम और सजा:
शराब तस्करी के लिए कठोर सजा और गैर-जमानती धाराओं को लागू किया जाए।
संयुक्त अभियान:
चंडीगढ़, पंजाब, और हरियाणा की पुलिस और आबकारी विभागों के बीच बेहतर समन्वय के लिए संयुक्त टास्क फोर्स का गठन।
आधुनिक उपकरण: सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन और सीसीटीवी जैसी तकनीकों का उपयोग कर निगरानी बढ़ाई जाए।आगे की जांच और संभावनाएंमोहाली पुलिस ने इस मामले में जांच तेज कर दी है। पुलिस का कहना है कि गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के आधार पर तस्करी के नेटवर्क का पर्दाफाश हो सकता है। साथ ही, यह भी जांच की जा रही है कि क्या चंडीगढ़ के किसी आबकारी अधिकारी या कर्मचारी की इसमें मिलीभगत थी।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "यह एक संगठित गिरोह का हिस्सा हो सकता है। हम हर कोण से जांच कर रहे हैं, और जल्द ही बड़े खुलासे होने की उम्मीद है।"
मोहाली में शराब से भरे ट्रक की बरामदगी ने चंडीगढ़ में शराब तस्करी की गंभीर समस्या को फिर से उजागर किया है। यह घटना न केवल आबकारी विभाग की विफलता को दर्शाती है, बल्कि प्रशासन के लिए एक चेतावनी भी है कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है। जनता और प्रशासन दोनों की नजर अब इस जांच के नतीजों पर टिकी है, और यह देखना बाकी है कि क्या इस बार कोई ठोस कार्रवाई होगी या यह मामला भी पहले की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
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