चंडीगढ़ में केंद्रीय बिजली मंत्रालय की उच्चस्तरीय बैठक, नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बिजली मंत्री हुए शामिल
भविष्य की बिजली आपूर्ति और अंतरराज्यीय समन्वय को लेकर बनेगा खाका
चंडीगढ़, 6 जून 2025 – चंडीगढ़ में आज केंद्रीय बिजली मंत्रालय की एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें देश के नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बिजली मंत्रियों ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय ऊर्जा मंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने की। यह बैठक आने वाले समय में बिजली आपूर्ति की रणनीति, उत्पादन क्षमता में सुधार और राज्यों के बीच समन्वय पर केंद्रित रही।
इस उच्चस्तरीय बैठक में हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और चंडीगढ़ के बिजली मंत्री मौजूद रहे। इनके साथ ही विभिन्न राज्यों के ऊर्जा विभागों के सचिव, बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के प्रमुख अधिकारी और प्रमुख पावर जनरेशन एजेंसियों के प्रतिनिधि भी बैठक में शामिल हुए।
मुख्य एजेंडा और चर्चाएं
बैठक में जिन बिंदुओं पर विशेष रूप से चर्चा हुई, उनमें शामिल हैं:
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आगामी गर्मी और मानसून सीज़न में बिजली की मांग का प्रबंधन
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पावर ग्रिड की मजबूती और राज्यों के बीच आपातकालीन बिजली आपूर्ति सहयोग
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हरित ऊर्जा (सोलर, विंड) के समावेशन को लेकर एकीकृत नीति
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कोयले और अन्य ऊर्जा स्रोतों की सप्लाई श्रृंखला को स्थिर बनाना
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बिजली चोरी और ट्रांसमिशन लॉस को कम करने के उपाय
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स्मार्ट मीटरिंग और डिजिटल ग्रिड टेक्नोलॉजी के विस्तार की योजना
मनोज खट्टर का जोर – ‘सभी राज्यों के बीच समन्वय जरूरी’
बैठक की अध्यक्षता कर रहे केंद्रीय मंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि आने वाले महीनों में बिजली की मांग में तेज़ी से वृद्धि होने की संभावना है। ऐसे में सभी राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों को मिलकर एक रणनीतिक ढांचा तैयार करना होगा, ताकि किसी राज्य को बिजली संकट का सामना न करना पड़े।
उन्होंने कहा, “बिजली अब सिर्फ एक सेवा नहीं, बल्कि विकास का इंजन बन चुकी है। हमें भविष्य को देखते हुए अपनी उत्पादन और वितरण प्रणाली को और सुदृढ़ बनाना होगा।”
बैठक के बाद प्रेस वार्ता
बैठक के बाद श्री खट्टर ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि केंद्र सरकार इस दिशा में राज्यों के साथ मिलकर एक 'राष्ट्रीय एकीकृत विद्युत नीति' लाने पर काम कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अगले कुछ वर्षों में देशभर में 100% स्मार्ट मीटरिंग सुनिश्चित की जाएगी, जिससे बिलिंग में पारदर्शिता आएगी और रेवेन्यू घाटा घटेगा।
राज्यों ने रखी अपनी मांगें और सुझाव
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उत्तर प्रदेश और राजस्थान के प्रतिनिधियों ने गर्मी में संभावित ओवरलोडिंग से निपटने के लिए अतिरिक्त पावर अलोकेशन की मांग की।
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हिमाचल और उत्तराखंड ने हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स के लिए केंद्रीय सहायता की अपील की।
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दिल्ली और चंडीगढ़ ने शहरी क्षेत्रों में बिजली चोरी रोकने के लिए साझा टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म की बात रखी।
अंतिम निर्णय
बैठक के अंत में यह तय किया गया कि सभी राज्यों के बिजली विभागों के प्रमुख अधिकारियों की एक तकनीकी समिति बनाई जाएगी, जो अगले दो महीनों में एक संयुक्त कार्य योजना तैयार करेगी।
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब देशभर में गर्मी और मानसून के दौरान बिजली की मांग चरम पर पहुंच जाती है। केंद्र सरकार का उद्देश्य है कि भविष्य में किसी भी क्षेत्र को बिजली की किल्लत न झेलनी पड़े और हर राज्य एक-दूसरे के साथ समन्वय बनाकर चले।
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