ICAR ने Universities को Natural Farming में Graduation Courses शुरू करने का दिया निर्देश
Babushahi Bureau
चंडीगढ़, 12 दिसंबर, 2025: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने देश की कृषि शिक्षा प्रणाली में एक ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत की है। परिषद ने अपनी सभी संबद्ध यूनिवर्सिटीज और संस्थानों (Affiliate Universities) को 'प्राकृतिक खेती' (Natural Farming) में ग्रेजुएशन कोर्स शुरू करने के कड़े निर्देश दिए हैं। साथ ही, भविष्य में पोस्ट-ग्रेजुएशन कोर्स की योजना बनाने को भी कहा गया है। इस कदम को कृषि अनुसंधान के क्षेत्र में एक बहुत ही जरूरी बदलाव माना जा रहा है।
सिलेबस तैयार, पर्यावरण को बचाने पर जोर
ICAR ने बी.एस.सी. एग्रीकल्चर (B.Sc Ag) प्रोग्राम के लिए पाठ्यक्रम (Curriculum) पहले ही तैयार कर लिया है। इसका मुख्य उद्देश्य टिकाऊ खेती (Sustainable Practices) की ओर शिफ्ट होना है, ताकि देश को जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से निपटने के लिए तैयार किया जा सके।
दरअसल, रसायनों वाली गहन खेती (Intensive Cultivation) के कारण मिट्टी की उर्वरता (Soil Fertility) और जल स्तर को पहले ही भारी नुकसान हो चुका है। ऐसे में यह कोर्स पर्यावरण को और खराब होने से बचाने में मदद करेगा।
कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा ने दिए दो बड़े सुझाव
इस बीच, जाने-माने कृषि शोधकर्ता और खाद्य विश्लेषक (Food Analyst) देविंदर शर्मा ने ICAR के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने इस पहल को जमीनी स्तर पर सफल बनाने के लिए दो महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं:
1. बीजों की किस्मों में बदलाव (Change in Crop Varieties): शर्मा का कहना है कि अभी कृषि विश्वविद्यालयों में प्लांट ब्रीडिंग (Plant Breeding) खाद, कीटनाशकों और पानी के उपयोग पर आधारित होती है। हमें ऐसी फसलों की किस्में विकसित करनी होंगी जो प्राकृतिक खेती सिस्टम के अनुकूल हों। '
ऑर्गेनिक ब्रीडिंग' (Organic Breeding) के जरिए तैयार किस्में पानी के प्रति संवेदनशील (Water Responsive) होनी चाहिए और उन्हें रासायनिक कीटनाशकों की जरूरत नहीं होनी चाहिए। इससे टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिलेगा और स्वास्थ्य को भी लाभ होगा।
2. मुनाफे का डेमो जरूरी (Focus on Profitability): आंध्र प्रदेश के 'कम्युनिटी मैनेज्ड नेचुरल फार्मिंग' (Community Managed Natural Farming) प्रोग्राम का उदाहरण देते हुए उन्होंने दूसरा सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि ग्रेजुएट छात्रों के लिए यह अनिवार्य (Mandatory) होना चाहिए कि वे मैदानी प्रयोगों (Field Experiments) के जरिए उस खेती सिस्टम के मुनाफे को साबित करके दिखाएं, जिसकी वे वकालत कर रहे हैं। डिग्री पूरा करने का आधार सिर्फ उत्पादकता (Productivity) बढ़ाना नहीं, बल्कि खेती में लाभ सुनिश्चित करना होना चाहिए।
शर्मा ने जोर देकर कहा कि अब तक केमिकल आधारित खेती ने किसानों को समृद्धि नहीं दी है। कृषि अर्थशास्त्र (Agricultural Economics) का फोकस अब किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें सम्मान वापस दिलाने पर होना चाहिए।
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