Kisan Mazdoor Morcha का ऐलान: 20 दिसंबर से पंजाब में 'रेल रोको' आंदोलन
Babushahi Bureau
चंडीगढ़, 13 दिसंबर, 2025: पंजाब के किसानों ने अपनी मांगों को लेकर एक बार फिर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शुक्रवार को चंडीगढ़ के किसान भवन में 'किसान मजदूर मोर्चा' (Kisan Mazdoor Morcha - KMM) की एक अहम बैठक हुई, जिसमें आंदोलन को तेज करने का फैसला लिया गया। किसान नेताओं ने घोषणा की है कि वे अपनी लंबित मांगों को लेकर 18 और 19 दिसंबर को पंजाब के सभी डीसी दफ्तरों के बाहर दो दिवसीय राज्यव्यापी धरना देंगे। यह प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्ण तरीके से किया जाएगा।
सरकार को दी चेतावनी: बात करो या आंदोलन झेलने को तैयार रहो
बैठक के बाद किसान नेताओं ने सरकार को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि अगर डीसी दफ्तरों पर प्रदर्शन के बावजूद उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो आंदोलन का अगला चरण बेहद सख्त होगा।
उन्होंने ऐलान किया कि 20 दिसंबर से अमृतसर, फिरोजपुर, संगरूर और बठिंडा में 'रेल रोको आंदोलन' (Rail Roko Movement) शुरू किया जाएगा। नेताओं ने साफ किया, "हमने 1 दिसंबर को ही सरकार को मांग पत्र (Memorandum) सौंप दिया था। अगर सरकार चाहे तो अभी भी हमसे बातचीत करके इस आंदोलन को रोक सकती है, वरना परिणाम भुगतने होंगे।"
AAP और BJP दोनों पर साधा निशाना
मोर्चा के नेताओं ने पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार पर किसानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने बिजली संशोधन बिल 2025 पर सरकार की चुप्पी और 5 दिसंबर को किसान नेताओं की गिरफ्तारी को 'पुलिस राज' करार दिया।
उनका कहना है कि सरकार जिस वादे के साथ सत्ता में आई थी, अब उससे मुकर रही है। वहीं, उन्होंने राजस्थान के टिब्बी क्षेत्र में किसानों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा करते हुए केंद्र की भाजपा सरकार पर कॉर्पोरेट हितों को साधने और पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया।
ये हैं किसानों की मुख्य मांगें (Key Demands)
किसान नेताओं ने सरकार के सामने अपनी प्रमुख मांगें रखी हैं, जिनमें शामिल हैं:
1. मुआवजा (Compensation): शंभू बॉर्डर पर आंदोलन के दौरान हुए नुकसान और चोरी के लिए 3 करोड़ 77 लाख 948 रुपये का भुगतान किया जाए।
2. केस वापसी: पराली जलाने वाले किसानों पर लगाए गए जुर्माने (Fines) और पुलिस केस तुरंत वापस लिए जाएं।
3. बाढ़ राहत: बाढ़ से प्रभावित किसानों को तत्काल आर्थिक सहायता (Financial Aid) दी जाए।
4. रोक: 'वन नेशन, वन रजिस्ट्री' प्रक्रिया और स्मार्ट मीटर (Smart Meters) लगाने के काम को तुरंत रोका जाए।
नेताओं ने अंत में कहा कि किसानों से सलाह लिए बिना कानून बनाना एक धोखा है और वे अपने हक की लड़ाई जारी रखेंगे।
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