सुबह उठते ही देखते हैं फोन तो हो जाएं सावधान! दिमाग और आंखों को हो सकते हैं ये 5 गंभीर नुकसान
Babushahi Bureau
चंडीगढ़, 11 अक्टूबर, 2025 : आज के डिजिटल युग में, सुबह अलार्म बंद होते ही सबसे पहले फोन उठाना और सोशल मीडिया या मेल्स चेक करना हम में से कई लोगों की आदत बन चुकी है। यह आदत हमें भले ही दुनिया से जुड़ने का एक आसान तरीका लगती हो, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) के लिए एक धीमा जहर मान रहे हैं। दिन की शुरुआत एक शांत और सकारात्मक माहौल में करने के बजाय, फोन की स्क्रीन पर आने वाली सूचनाएं हमें सुबह-सुबह ही तनाव और चिंता की दुनिया में धकेल देती हैं।
यह सिर्फ एक बुरी आदत नहीं है, बल्कि यह हमारे दिमाग के काम करने के तरीके को भी बदल रही है। सुबह का समय वह होता है जब हमारा दिमाग सबसे ज्यादा शांत और रचनात्मक होता है। इस कीमती समय को फोन पर बर्बाद करने से न केवल हमारी उत्पादकता (productivity) कम होती है, बल्कि यह हमें भावनात्मक रूप से भी कमजोर बनाता है। यह आदत धीरे-धीरे हमारे दिन की पूरी लय को बिगाड़ देती है और हमें एक ऐसे चक्र में फंसा देती है, जहां हम बिना किसी वजह के भी बेचैन महसूस करने लगते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि सुबह उठते ही फोन का इस्तेमाल करने से हमारे दिमाग में 'डोपामाइन' (Dopamine) नामक केमिकल का असंतुलन हो जाता है, जो हमें तुरंत खुशी का एहसास तो देता है, लेकिन लंबी अवधि में यह हमें चिड़चिड़ा और अधीर बना सकता है। इसलिए, यह समझना बहुत ज़रूरी है कि यह छोटी सी लगने वाली आदत हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर कितना गहरा और नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
सुबह फोन चलाने से मानसिक स्वास्थ्य पर होने वाले 4 बड़े नुकसान
1. तनाव और चिंता (Stress and Anxiety) में बढ़ोतरी: सुबह उठते ही काम के ईमेल, नकारात्मक खबरें या सोशल मीडिया पर दूसरों की 'परफेक्ट' जिंदगी देखने से हमारे दिमाग में तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन 'कॉर्टिसोल' (Cortisol) का स्तर बढ़ जाता है। इससे दिन की शुरुआत ही चिंता और बेचैनी के साथ होती है, जो पूरे दिन बनी रह सकती है।
2. फोकस और एकाग्रता (Focus and Concentration) में कमी: जब आप सुबह-सुबह ढेर सारी सूचनाएं अपने दिमाग में भर लेते हैं, तो दिमाग के लिए किसी एक काम पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। इससे आपकी निर्णय लेने की क्षमता और रचनात्मकता पर भी बुरा असर पड़ता है, और आप दिनभर भटका हुआ महसूस कर सकते हैं।
3. तुलना और आत्म-सम्मान में कमी (Comparison and Low Self-Esteem): सोशल मीडिया पर लोग अक्सर अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा पक्ष ही दिखाते हैं। सुबह उठते ही इन तस्वीरों और वीडियो को देखने से आप अनजाने में अपनी जिंदगी की तुलना दूसरों से करने लगते हैं, जिससे मन में अपर्याप्तता और आत्म-सम्मान में कमी की भावना पैदा हो सकती है।
4. डिजिटल लत (Digital Addiction) का बढ़ना: सुबह की पहली चीज फोन को बनाना दिमाग को यह संकेत देता है कि आपकी खुशी और संतुष्टि का स्रोत यही डिवाइस है। यह आदत धीरे-धीरे एक लत का रूप ले लेती है, जिसे 'नोमोफोबिया' (Nomophobia) यानी फोन के बिना रहने का डर भी कहा जाता है। इससे आप वास्तविक दुनिया और रिश्तों से दूर होने लगते हैं।
निष्कर्ष: कैसे तोड़ें यह आदत?
सुबह उठते ही फोन चलाने की आदत को तोड़ना मुश्किल लग सकता है, लेकिन यह आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ज़रूरी है। इसकी शुरुआत छोटे-छोटे कदमों से करें।
1. फोन को दूर रखें: रात को सोने से पहले फोन को अपने बिस्तर से दूर, किसी दूसरे कमरे में चार्ज पर लगाएं। अलार्म के लिए एक पुरानी घड़ी का इस्तेमाल करें।
2. पहले 30 मिनट फोन नहीं: एक नियम बनाएं कि सुबह उठने के बाद कम से कम 30 मिनट तक आप फोन को हाथ नहीं लगाएंगे। इस समय में आप ध्यान (meditation), हल्की एक्सरसाइज, या बस एक कप चाय का आनंद ले सकते हैं।
3. नोटिफिकेशन बंद करें: गैर-जरूरी ऐप्स के नोटिफिकेशन बंद कर दें ताकि सुबह आपका ध्यान उन पर न जाए।
दिन की शुरुआत खुद को समय देकर करें, न कि एक डिजिटल स्क्रीन को। यह छोटा सा बदलाव आपके मानसिक स्वास्थ्य में एक बड़ा और सकारात्मक सुधार ला सकता है।