'जश्न का बड़ा अवसर...', भारत-अमेरिका में ट्रेड डील लगभग तय, क्या 50% टैरिफ खत्म करेंगे ट्रंप?
Babushahi Bureau
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर, 2025 : भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को लेकर एक बहुत बड़ी और सकारात्मक खबर सामने आ रही है। दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौते (trade deal) पर बातचीत अंतिम चरण में पहुंच गई है। रिपोर्टों के अनुसार, अगर यह समझौता हो जाता है, तो भारतीय सामानों के निर्यात पर लगने वाला भारी-भरकम 50% का टैरिफ (tariff) घटकर 15% से 16% के बीच आ सकता है।
यह समझौता मुख्य रूप से ऊर्जा (energy) और कृषि (agriculture) क्षेत्रों पर केंद्रित है। इस डील के तहत भारत, रूस से कच्चे तेल के आयात को धीरे-धीरे कम करने पर विचार कर रहा है, जो इस समझौते की एक मुख्य शर्त मानी जा रही है।
क्या खत्म होंगे दंडात्मक शुल्क? CEA ने जताई उम्मीद
कोलकाता में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंत नागेश्वरन ने इस मुद्दे पर काफी भरोसा जताया।
1. "समाधान देख लेंगे": उन्होंने कहा, “मेरा व्यक्तिगत विश्वास है कि अगले कुछ महीनों में, या शायद उससे भी पहले, हम कम से [व्हाइट हाउस द्वारा लगाए गए] 25% के अतिरिक्त दंडात्मक टैरिफ (punitive tariff) का समाधान देख लेंगे।”
2. "जश्न का बड़ा अवसर": उन्होंने संकेत दिया कि 25% के पारस्परिक (reciprocal) टैरिफ को भी 15 से 16% के स्तर तक कम करने पर बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है, तो यह जश्न मनाने का एक और भी बड़ा अवसर होगा।
3. निर्यात को बचाना जरूरी: CEA के मुताबिक, अगर यह टैरिफ बना रहता, तो अगले साल अमेरिका को होने वाले निर्यात की मात्रा (export volume) में 30% की कमी आ सकती थी। यह डील भारत को इस बड़े झटके से बचा सकती है। (वित्त वर्ष 2025 में अमेरिका को भारत का निर्यात 86.51 बिलियन डॉलर रहा, जो इसे भारत का सबसे बड़ा बाजार बनाता है)।
डील के बदले भारत क्या रियायतें देगा?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह समझौता कुछ शर्तों के साथ आ सकता है, जिस पर दोनों पक्ष सहमत होते दिख रहे हैं।
1, रूसी तेल में कटौती: भारत रूसी तेल के आयात में धीरे-धीरे कमी करने पर सहमत हो सकता है। माना जा रहा है कि रूसी तेल की खरीद ही वह मुख्य वजह थी जिसके चलते भारतीय निर्यातों पर यह 25% का अतिरिक्त दंडात्मक शुल्क लगाया गया था। (वर्तमान में भारत अपने कच्चे तेल का लगभग 34% हिस्सा रूस से और 10% हिस्सा अमेरिका से आयात करता है)।
2. कृषि आयात: भारत, अमेरिका से गैर-जेनेटिक रूप से संशोधित (non-GM) मक्का और सोयामील का आयात बढ़ा सकता है। इसके अलावा, भारत इथेनॉल (ethanol) आयात की अनुमति देने पर भी विचार कर रहा है।
ट्रंप-मोदी की बातचीत और 'चीन एंगल'
इस डील के पीछे अमेरिका की अपनी जरूरतें भी हैं, खासकर चीन से मिला झटका।
1. ट्रंप-मोदी फोन कॉल: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की। ट्रंप ने दावा किया कि पीएम मोदी ने रूस से तेल खरीद को सीमित करने का आश्वासन दिया है।
2. मोदी का ट्वीट: हालांकि, पीएम मोदी ने अपनी ओर से इस बातचीत का जिक्र करते हुए केवल दिवाली की शुभकामनाओं और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रहने की बात कही, लेकिन व्यापार वार्ता का कोई विवरण नहीं दिया।
3. चीन ने दिया झटका: अमेरिका अपने कृषि उत्पादों के लिए नए खरीदार तलाश रहा है, क्योंकि चीन ने अमेरिकी मकई का आयात काफी कम कर दिया है (2022 में $5.2 बिलियन से घटकर 2024 में सिर्फ $331 मिलियन)। ऐसे में भारत अमेरिका के लिए एक बड़ा बाजार बन सकता है।
क्या अमेरिका सस्ता तेल देगा?
बदले में, भारत को अमेरिका से ऊर्जा व्यापार में रियायतें मिलने की उम्मीद है।
1. नहीं मिलेगी रूसी छूट: रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका अभी तक रूस की तरह रियायती कीमत (discounted price) पर तेल उपलब्ध कराने के लिए सहमत नहीं हुआ है।
2. कम हो रहा अंतर: हालांकि, रूसी छूट और बेंचमार्क कच्चे तेल के बीच का अंतर अब काफी कम हो गया है। 2023 में जो अंतर 23 डॉलर प्रति बैरल था, वह अब घटकर केवल 2 से 2.50 डॉलर प्रति बैरल रह गया है, जिससे अमेरिकी कच्चा तेल अधिक प्रतिस्पर्धी (competitive) हो गया है।
ऐसी अटकलें हैं कि इस महीने के अंत में होने वाले आसियान शिखर सम्मेलन (ASEAN Summit) में इस द्विपक्षीय व्यापार समझौते की आधिकारिक घोषणा की जा सकती है।