Land Pooling Policy: लैंड पूलिंग स्कीम को हाईकोर्ट में चुनौती
Babushahi Bureau
चंडीगढ़, 30 July 2025 : किसानों और विपक्षी दलों के भारी विरोध का सामना कर रही पंजाब सरकार की लैंड पूलिंग पॉलिसी अब कानूनी पचड़े में फंस गई है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस नीति को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) के माध्यम से चुनौती दी है, जिसमें इसे रद्द करने की मांग की गई है। यह याचिका ऐसे समय में आई है जब प्रदेश में किसान संगठन इस नीति के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं।
क्या हैं याचिका में लगाए गए आरोप?
सामाजिक कार्यकर्ता नविंदर पीके सिंह और स्मिता कौर द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया कि 4 जुलाई को सरकार द्वारा अधिसूचित यह नीति मुख्य रूप से उपजाऊ और बहु-फसली खेती की जमीन का अधिग्रहण करने के लिए बनाई गई है। याचिका के अनुसार, अकेले लुधियाना में ही "शहरीकरण और विकास की आड़ में" 50 से अधिक गांवों की 24,000 एकड़ से अधिक खेती योग्य भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है।
केंद्रीय कानून को 'बाईपास' करने का तरीका?
याचिका में सबसे गंभीर आरोप यह लगाया गया है कि यह पॉलिसी भूमि अधिग्रहण के केंद्रीय कानून 'LARR Act, 2013' को बाईपास करने का एक "अप्रत्यक्ष और अवैध तरीका" है। याचिकाकर्ताओं का तर्क सरकार इस पॉलिसी के जरिए केंद्रीय कानून के तहत दिए गए किसानों के अधिकारों, जैसे कि उचित मुआवजा, सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन, को छीन रही है।
1600 से ज्यादा किसान पहले ही जता चुके हैं विरोध
याचिका में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि सरकार भारी विरोध के बावजूद ग्रेटर लुधियाना एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (ग्लाडा) जैसी एजेंसियों के माध्यम से इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा रही है। बताया गया कि 1,600 से अधिक भूमि मालिक और किसान पहले ही ग्लाडा के सामने हलफनामा देकर इस कदम का विरोध कर चुके हैं।
याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट से अपील की कि 4 जुलाई के नोटिफिकेशन के साथ-साथ 2013 की मूल पॉलिसी को भी रद्द किया जाए और राज्य सरकार को इस स्कीम के तहत कोई भी कदम उठाने से तुरंत रोका जाए।
MA
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