CBSE का अब तक का सबसे 'क्रांतिकारी' फैसला! अब छात्र Exam में ले जा सकेंगे किताब और Notes, पढ़ें पूरी ख़बर
Babushahi Bureau
नई दिल्ली | 10 अगस्त, 2025 : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) भारतीय स्कूली शिक्षा में एक क्रांतिकारी बदलाव करने जा रहा है। बोर्ड ने सत्र 2026-27 से 9वीं कक्षा के लिए 'ओपन बुक असेसमेंट' (OBA) यानी खुली किताब से परीक्षा की प्रणाली शुरू करने की घोषणा की है। इस व्यवस्था के तहत, छात्र परीक्षा के दौरान अपनी पाठ्यपुस्तकें, क्लास नोट्स और लाइब्रेरी की किताबों का भी इस्तेमाल कर सकेंगे। इस कदम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को रटने की प्रवृत्ति से दूर कर उनकी विश्लेषणात्मक और आलोचनात्मक सोच (Critical Thinking) को बढ़ावा देना है।
क्या है ओपन बुक असेसमेंट?
ओपन बुक परीक्षा एक ऐसा मूल्यांकन का तरीका है, जहाँ छात्रों से सीधे तथ्य या परिभाषाएँ नहीं पूछी जातीं। इसके बजाय, प्रश्न इस तरह से बनाए जाते हैं कि छात्र किताबों और नोट्स में दी गई जानकारी का विश्लेषण करके, उसे समझकर अपने शब्दों में उत्तर दें।
इसका मकसद यह जांचना है कि छात्र किसी विषय को कितनी गहराई से समझते हैं और जानकारी का उपयोग कैसे कर सकते हैं। यह प्रणाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCFSE) 2023 के अनुरूप है, जो क्षमता-आधारित शिक्षा पर जोर देती है।
क्यों और कैसे लिया गया यह फैसला?
यह फैसला एक पायलट स्टडी और शिक्षकों की सकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद लिया गया है:
1. पायलट स्टडी: दिसंबर 2023 में, CBSE ने 9वीं से 12वीं कक्षा के लिए एक पायलट स्टडी की थी।
2. नतीजे: इस स्टडी के नतीजे चौंकाने वाले थे। छात्रों के अंक 12% से 47% के बीच आए, जिससे यह पता चला कि उन्हें किताब से जानकारी ढूंढकर उसका सही इस्तेमाल करने में काफी मुश्किल हो रही थी।
3. शिक्षकों का समर्थन: हालांकि, छात्रों के औसत प्रदर्शन के बावजूद, शिक्षकों ने इस पहल का पुरजोर समर्थन किया। उनका मानना है कि यह तरीका छात्रों में रटने की आदत को खत्म कर उनकी समझ को बेहतर बनाने के लिए एक सही कदम है।
शिक्षकों के इसी सकारात्मक रुख को देखते हुए बोर्ड की गवर्निंग बॉडी ने इस प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी दे दी है।
किन विषयों में और कब होगा लागू?
1. सत्र: 2026-27
2. कक्षा: 9वीं
3. विषय: शुरुआत में इसे भाषा (हिंदी और अंग्रेजी), गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे प्रमुख विषयों की लिखित परीक्षा में लागू किया जाएगा।
फ्लैशबैक: 2017 में क्यों बंद हुई थी ऐसी ही एक योजना?
यह पहली बार नहीं है जब CBSE ने ऐसा प्रयोग किया है। इससे पहले 2014 में बोर्ड ने 'ओपन टेक्स्ट बेस्ड असेसमेंट' (OTBA) शुरू किया था। लेकिन 2017-18 में इसे यह कहते हुए बंद कर दिया गया कि यह छात्रों में क्रिटिकल थिंकिंग स्किल विकसित करने के अपने लक्ष्य में सफल नहीं हो पाया।
इस बार क्या है नई तैयारी और आगे की चुनौतियां?
पिछली असफलता से सीखते हुए CBSE इस बार पूरी तैयारी के साथ आगे बढ़ रहा है:
1. सैंपल पेपर्स: बोर्ड अब ओपन-बुक परीक्षा के लिए सैंपल पेपर्स तैयार करने पर काम करेगा, ताकि छात्रों और शिक्षकों को नए पैटर्न को समझने में आसानी हो।
2. चुनौतियां: इस प्रणाली को सफल बनाने के लिए कई चुनौतियां हैं, जैसे:
2.1 सभी स्कूलों में छात्रों के लिए समान रूप से किताबें और संसाधन उपलब्ध कराना।
2.2 शिक्षकों को इस नई मूल्यांकन प्रणाली के लिए प्रशिक्षित करना।
2.3 छात्रों को सिखाना कि वे केवल नकल करने के बजाय किताबों का प्रभावी ढंग से उपयोग कैसे करें।
2.4 परीक्षा के समय और प्रारूप को स्पष्ट रूप से निर्धारित करना।
MA
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