CHD: खो-खो खिलाड़ियों की दुर्दशा: न कोच, न मैदान – खिलाड़ी मजबूर, खेल विभाग मूकदर्शक
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 31 मई। खेलों को बढ़ावा देने के दावे तो बड़े-बड़े होते हैं, मगर हकीकत जमीन पर कुछ और ही है। चंडीगढ़ में खो-खो खिलाड़ियों की हालत बेहद खराब है। न तो उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए कोई कोच है, न ही खेल के लिए उपयुक्त मैदान। यही वजह है कि कई खिलाड़ी, जिन्होंने नेशनल स्तर तक अपनी पहचान बनाई, अब इस खेल को छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं।
चंडीगढ़ युवा दल के प्रधान विनायक बंगिया और संयोजक सुनील यादव ने बताया कि खो-खो के लिए हालात चिंताजनक हैं। यादव ने कहा, "विभाग के पास खो-खो कोच तक नहीं है। खिलाड़ियों को कहीं भी ट्रेनिंग की सुविधा नहीं मिलती। भारत ने हाल ही में खो-खो वर्ल्ड कप 2025 में लड़कों और लड़कियों दोनों टीमों में जीत हासिल की थी, लेकिन इसके बावजूद विभाग की नींद नहीं खुली।"
खिलाड़ियों को मजबूरी में निजी अकादमियों में जाकर ट्रेनिंग लेनी पड़ रही है। खिलाड़ियों का कहना है कि शहर में स्कूली स्तर पर खो-खो को लेकर अच्छा-खासा उत्साह है, लेकिन बिना मैदान और कोच के उनका उत्साह ठंडा हो रहा है।
खिलाड़ियों की मांग – मैदान और कोच की व्यवस्था हो
युवा दल के नेताओं का कहना है कि खेल विभाग को चाहिए कि वह शहर में अलग-अलग जगह खो-खो के मैदान तैयार करे और कोच की भी व्यवस्था करे। इससे खिलाड़ियों को प्रशिक्षण मिल सकेगा और वे नेशनल व इंटरनेशनल लेवल पर शहर और देश का नाम रोशन कर पाएंगे।
समाजसेवक आकिब लुकमान ने कहा, "खो-खो के लिए विभाग की तरफ से कोई सहायता नहीं मिलती। कोच और मैदान की व्यवस्था तो खेल विभाग की जिम्मेदारी है, ताकि खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन कर सकें।"
"कम से कम कोच तो चाहिए"
युवा दल ने दोहराया कि खो-खो के खिलाड़ी कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन विभाग की मदद के बिना वे आगे बढ़ने में अक्षम हैं। उन्होंने मांग की कि कम से कम खो-खो का कोच तो विभाग की तरफ से मिलना ही चाहिए, ताकि खिलाड़ी अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर शहर और देश का नाम रोशन कर सकें।