महिलाओं के लिए 'साइलेंट किलर' हैं ये बीमारियां, बिना आहट दिए करती हैं शरीर पर वार
Babushahi Bureau
चंडीगढ़, 10 September 2025 : अक्सर घर और काम की दोहरी जिम्मेदारियों के बीच महिलाएं अपनी सेहत को नजरअंदाज कर देती हैं। वे थकान, पेट दर्द या सांस फूलने जैसी सामान्य लगने वाली समस्याओं को मामूली मानकर टाल देती हैं। लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, यह लापरवाही बेहद खतरनाक हो सकती है, क्योंकि कुछ बीमारियां बिना कोई स्पष्ट संकेत दिए शरीर के अंदर चुपके से बढ़ती रहती हैं। जब तक इन बीमारियों का पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। इसीलिए इन्हें 'साइलेंट किलर' (Silent Killer) कहा जाता है।
इन बीमारियों के लक्षण इतने सामान्य और अस्पष्ट होते हैं कि महिलाएं इन्हें अक्सर तनाव, एसिडिटी या उम्र बढ़ने का सामान्य हिस्सा मान लेती हैं। उदाहरण के लिए, लगातार थकान महसूस होना या जबड़े में हल्का दर्द होना किसी गंभीर हृदय रोग का संकेत हो सकता है, लेकिन इसे अक्सर काम का बोझ समझकर अनदेखा कर दिया जाता है। यह देरी निदान और उपचार को और भी मुश्किल बना देती है, जिससे जान का खतरा बढ़ जाता है।
जागरूकता ही इन खामोश दुश्मनों से बचने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है। महिलाओं को यह समझना होगा कि हर छोटा या असामान्य लक्षण नजरअंदाज करने लायक नहीं होता। आज हम ऐसी ही कुछ प्रमुख "साइलेंट किलर" बीमारियों के बारे में बात करेंगे, जिनके बारे में हर महिला को पता होना चाहिए ताकि समय पर उनकी पहचान और रोकथाम की जा सके। इनमें मुख्य रूप से हृदय रोग, ओवेरियन कैंसर और ऑस्टियोपोरोसिस शामिल हैं।
ये हैं महिलाओं के 3 सबसे बड़े 'खामोश दुश्मन'
1. हृदय रोग (Heart Disease) : यह महिलाओं में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है, फिर भी इसे अक्सर "पुरुषों की बीमारी" माना जाता है। महिलाओं में दिल के दौरे के लक्षण पुरुषों से बहुत अलग और सूक्ष्म हो सकते हैं। जहां पुरुषों को सीने में तेज दर्द होता है, वहीं महिलाओं को अत्यधिक थकान, सांस लेने में तकलीफ, मतली, और जबड़े, गर्दन या पीठ के ऊपरी हिस्से में दर्द जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। यही कारण है कि कई बार इन लक्षणों को समय पर पहचाना नहीं जा पाता।
2. ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer) : इस बीमारी को सबसे धोखेबाज कैंसर में से एक माना जाता है क्योंकि शुरुआती चरणों में इसके कोई विशेष लक्षण नहीं होते। इसके लक्षण पेट से जुड़ी सामान्य समस्याओं जैसे लगते हैं, जिसके कारण महिलाएं डॉक्टर के पास जाने में देरी करती हैं। लगातार पेट फूलना (bloating), पेल्विक एरिया में दर्द, बार-बार पेशाब आना और भूख न लगना इसके कुछ शुरुआती संकेत हो सकते हैं। अगर ये लक्षण लगातार बने रहते हैं, तो तुरंत मेडिकल सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
3. ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) : यह एक और खामोश बीमारी है जो हड्डियों को अंदर से कमजोर और खोखला बना देती है। इसमें हड्डियां इतनी नाजुक हो जाती हैं कि मामूली गिरावट या हल्के से झटके से भी फ्रैक्चर (fracture) हो सकता है। हड्डियों का घनत्व (bone density) धीरे-धीरे कम होता है, इसलिए इसका तब तक पता नहीं चलता जब तक कोई हड्डी टूट न जाए। यह बीमारी विशेष रूप से मेनोपॉज (menopause) के बाद महिलाओं में अधिक आम है।
कैसे करें बचाव?
इन 'साइलेंट किलर' बीमारियों से बचने का सबसे अच्छा तरीका जागरूकता और रोकथाम है। 30 साल की उम्र के बाद महिलाओं को नियमित रूप से हेल्थ चेक-अप (Health Check-up) करवाना चाहिए। अपने शरीर द्वारा दिए जा रहे किसी भी असामान्य संकेत को नजरअंदाज न करें, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न लगे। स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनाव से दूरी बनाकर इन बीमारियों के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। याद रखें, आपकी सेहत आपकी प्राथमिकता है और समय पर उठाया गया एक छोटा कदम भी जीवन बचा सकता है।