हरियाणा विधानसभा आम  चुनाव हारने के बाद  कांग्रेस उम्मीदवारों की 3  सीटों पर  हुई  ज़मानत जब्त
 
भाजपा प्रत्याशियों ने  8  हलकों में  गँवाई ज़मानत राशि
 
तीन हलकों में  भी  पार्टी  बागियों के निर्दलीय चुनाव लड़ने कारण कांग्रेस प्रत्याशियों की हुई ज़मानत जब्त 
 अक्टूबर 2019 में भाजपा के 3 व कांग्रेस के 27 उम्मीदवारों की हुई थी जमानत जब्त 
रमेश गोयत
चंडीगढ़।    15 वीं  हरियाणा विधानसभा के गठन के लिए हाल ही में सम्पन्न हुए आम चुनाव के नतीजों में जहाँ प्रदेश में गत 10 वर्ष से  सत्तासीन भाजपा ने  इस बार अप्रत्याशित  48 सीटें जीत सबको हैरान करते हुए स्वयं अपने दम पर  90 सदस्यी  राज्य  विधानसभा में स्पष्ट बहुमत हासिल किया है, वहीं  कांग्रेस को  37 सीटें प्राप्त हुई हैं।  इनेलो को 2 सीटें एवं  3 निर्दलीय विधायक जीते हैं।
इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट एडवोकेट एवं राजनीतिक-चुनावी विश्लेषक हेमंत कुमार   ने बताया कि रोचक बात रह है कि बेशक भाजपा को कांग्रेस से  11 सीटें अधिक प्राप्त हुई  हैं और हरियाणा में पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है हालांकि पूरे प्रदेश में भाजपा उम्मीदवारों की 8 विधानसभा सीटों पर ज़मानत राशि जब्त हुई हैं  जिनमें -- गन्नौर, हिसार, डबवाली, रानियाँ, ऐलनाबाद, महम, पुन्हाना और नूहं विधानसभा हलके शामिल हैं.
इन आठ विधानसभा सीटों में से दो - गन्नौर और हिसार में तो निर्दलीय जीते हैं, डबवाली और रानियाँ में इनेलो उम्मीदवार  जबकि शेष चार - महम, पुन्हाना, नूहं और ऐलनाबाद में कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है.  
 
हेमंत ने बताया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 अर्थात आर.पी. एक्ट  की धारा 158 (4 ) के अनुसार अगर किसी चुनाव में कोई उम्मीदवार विजयी नहीं होता है, तो उसे अपनी ज़मानत राशि वापिस लेने के किये उस चुनाव में डाले गए कुल वैध वोटो का एक-छठा भाग से ज्यादा अर्थात 16.66 फीसदी  से अधिक वोट लेने अनिवार्य होते है. मौजूद तौर पर विधानसभा चुनाव में अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के लिए ज़मानत राशि 10 हजार रुपये जबकि एस.सी. और एसटी. (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति) वर्ग  के प्रत्याशियों के लिए 5 हज़ार रुपये निर्धारित  है. यहीं नहीं  नोटा के पक्ष में डाले गए वोटो को चुनावो की गिनती के दौरान हारे गए उम्मीदवारों के लिए 16.66 फीसदी वोटो का आकलन करने की लिए  वैध नहीं माना जाता एवं इन  वोटो को कुल डाले गए  वोटो में से  घटा दिया जाता है।
  पांच वर्ष पूर्व अक्टूबर, 2019 में 14 वीं  हरियाणा विधानसभा गठन के लिए हुए आम चुनाव में भाजपा की प्रदेश भर में केवल तीन वि.स. सीटों - रानियाँ, पूंडरी और पृथला में ज़मानत जब्त हुई थी एवं उन तीनो सीटों पर निर्दलीय विधायक जीते थे जिन तीनो ने  हरियाणा में  मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में तत्कालीन भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार बनने के कुछ दिनों बाद ही प्रदेश  सरकार को समर्थन दे दिया था। हालांकि उक्त तीन निर्दलियों  के अलावा पिछले विधानसभा आम चुनाव में  चार और विधानसभा सीटों - नीलोखेड़ी, दादरी, महम और बादशाहपुर सीट  पर भी निर्दलीय विधायक जीते थे।
 
 हरियाणा विधानसभा के ताज़ा सम्पन्न  हुए आम चुनाव में   प्रदेश भर में केवल 3 विधानसभा क्षेत्रों - अम्बाला कैंट. तिगांव और बल्लभगढ़ में ही कांग्रेस प्रत्याशियों  को अपनी ज़मानत राशि गंवानी पड़ी। अक्टूबर, 2019 में 14 वीं  हरियाणा विधानसभा गठन के लिए हुए आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी  के उम्मीदवारों की  प्रदेश भर में 27  विधानसभा सीटों अम्बाला शहर, अम्बाला कैंट, यमुनानगर, शाहाबाद, नीलोखेड़ी, इंद्री, पानीपत ग्रामीण, जुलाना, जींद, उचाना कलां, नरवाना, टोहाना, फतेहाबाद, रानिया, सिरसा, उकलाना, नारनौंद, हांसी, बरवाला, दादरी, भिवानी, अटेली, नांगल चौधरी, पटौदी, बादशाहपुर, गुडगाँव और सोहना पर ज़मानत जब्त हुई थी।
 
हेमंत का कहना है कि हरियाणा में  जिन तीन विधानसभा हलकों  पर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों ने  अपनी ज़मानत राशि गंवाई है, उनमें ऐसा इसीलिए हुआ क्योंकि उन सभी तीन सीटों पर  कांग्रेस  से टिकट न मिलने कारण पार्टी के तीन नेताओं ने बगावत  कर पार्टी उम्मीदवार  के विरूद्ध  निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा। अम्बाला कैंट विधानसभा सीट से कांग्रेस न मिलने कारण चौधरी निर्मल सिंह, जो  अम्बाला शहर सीट  से पहली बार कांग्रेस विधायक बने हैं  की सुपुत्री चित्रा सरवारा ने अम्बाला कैंट से  निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा। हालांकि वह भाजपा के अनिल विज से 7 हजार 277 वोटों से हार गयीं परन्तु चित्रा ने अम्बाला कैंट से कांग्रेस प्रत्याशी परविंदर पाल परी से कहीं  अधिक वोट प्राप्त किए। परी को 14 हजार 469 जबकि चित्रा को 52 हजार 581 वोट प्राप्त हुए।
 
इसी प्रकार फरीदाबाद जिले की बल्लभगढ़ सीट से कांग्रेस से टिकट न मिलने से   बागी बनी शारदा राठौर, जो  वर्ष 2005-2014 तक इस सीट से दो बार कांग्रेस विधायक भी रही थी, वह भी इस बार निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ी जिसमें वह बेशक भाजपा के मूल चंद शर्मा से 17 हजार 730 वोटों से  पराजित हो गयीं परन्तु शारदा को कांग्रेस की उम्मीदवार  पराग शर्मा से कहीं अधिक वोट मिले। शारदा को 44 हजार 76 जबकि पराग को 8 हजार 674 वोट ही मिले। इसी प्रकार फरीदाबाद जिले की ही तिगांव विधानसभा से कांग्रेस पार्टी के टिकट न मिलने कारण बागी  हुए ललित नागर, जो 2014-2019 तक इस सीट से कांग्रेस विधायक भी रहे थे, ने इस बार अबकी बार  निर्दलीय के तौर पर चुनाव लड़ा जिसमें वह बेशक भाजपा के राजेश नागर  से 37 हजार 401 वोटों से  पराजित हो गए परन्तु ललित  को कांग्रेस के  उम्मीदवार रोहित नागर  से कहीं अधिक वोट प्राप्त हुए. ललित नागर  को 56 हजार 828 जबकि पराग को 21 हजार 656 वोट ही मिले।
					
								
								
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