Himachal Himcare News: हिमकेयर को लेकर सरकार ने बनाया नया नियम, इलाज से पहले देनी होगी यह जानकारी
बाबूशाही ब्यूरो
शिमला, 23 मई 2025 :
प्रदेश के मेडिकल कालेजों एवं हिम केयर के लिए अधिकृत अन्य स्वास्थ्य संस्थानों में अब हर कोई हिमकेयर योजना का लाभ नहीं ले पाएगा। प्रदेश सरकार की ओर से इस बारे में बाकायदा अधिसूचना जारी की गई है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि हिमकेयर का लाभ लेने से पहले संबंधित रोगी को यह बताना होगा कि वह किसी सरकारी मुलाजिम या किसी पेंशनर का आश्रित है या नहीं।
इसके लिए बाकायदा उसे एक सत्यापन पत्र भी भरना होगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि संबंधित मरीज वास्तव में हिमकेयर सुविधा के लिए योग्य है। मुख्यमंत्री हिमाचल हैल्थकेयर योजना का लाभ सिर्फ पात्र मरीजों को मिले, इसके लिए यह पैरामीटर तैयार किया गया है। वहीं, प्रदेश के मेडिकल कालेज में जिन काउंटर से हिमकेयर योजना का लाभ सुनिश्चित किया जाता है, उन कर्मचारियों को भी चैक रखने के लिए कहा गया है।
सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री हिमकेयर योजना का लाभ सरकारी, पेंशनर तथा आश्रित भी ले रहे थे। हालांकि सरकारी कर्मचारियों /पेंशनर्ज तथा आश्रितों के लिए रिइम्बर्समेंट का प्रावधान भी होता है। सरकारी कर्मचारियों, पेंशनर व उनके आश्रितों द्वारा इस योजना का लाभ लेने की वजह से प्रदेश सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा था। हिमकेयर योजना के लिए अधिकृत निजी अस्पतालों की ही करोड़ों की कर्जदार प्रदेश सरकार हो चुकी है। ऐसे में इस योजना में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने एक नियम तय किया है।
वर्तमान में हिमाचल में हिमकेयर योजना को क्रियान्वित किया जा रहा है। हिमकेयर कार्डधारकों को पैनलबद्ध अस्पताल में भर्ती होने पर पांच लाख रुपए तक का कैशलेस उपचार प्रदान किया जाता है। उपचार ऑनलाइन ट्रांजेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम के माध्यम से प्रदान किया जाता है, लेकिन वर्तमान में ऐसा कोई तंत्र उपलब्ध नहीं है, जिससे यह पता चल सके कि उक्त कार्डधारक सरकारी कर्मचारी, पेंशनर या फिर उनका आश्रित है, जिसके पास राज्य सरकार की चिकित्सा प्रतिपूर्ति नीति की सुविधा है। इसी के मद्देनजर लाभार्थियों से उपरोक्त जानकारी एकत्रित करने के लिए एक फार्म तैयार किया गया है, जिस पर लाभार्थी को अस्पताल में भर्ती होने के समय कैशलेस उपचार प्राप्त करने के लिए अपनी जानकारी प्रदान करनी होगी।
सरकारी जानकारी सत्यापन फार्म पर भरने के उपरांत चिकित्सा अधीक्षक, संबंधित डाक्टर तथा प्रधानाचार्य की मुहर लगेगी। इसके बाद मरीज का उपचार शुरू किया जाएगा। (SBP)
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