Nepal संकट खत्म! Sushila Karki होंगी अंतरिम प्रधानमंत्री, आधी रात लगी नाम पर मुहर
Babushahi Bureau
नेपाल, काठमांडू, 12September 2025 : नेपाल में कई दिनों से जारी राजनीतिक संकट और 'जेन-ज़ी' (Gen-Z) आंदोलन के बाद आखिरकार सस्पेंस खत्म हो गया है । देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकीं सुशीला कार्की नेपाल की नई अंतरिम प्रधानमंत्री (Interim Prime Minister) होंगी । गुरुवार देर रात राष्ट्रपति भवन में हुई एक बैठक के बाद राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल और सेना प्रमुख ने उनके नाम पर अंतिम मुहर लगा दी ।
आधी रात की बैठक में कैसे बनी सहमति?
गुरुवार को दिन में ऐसी खबरें थीं कि सुशीला कार्की ने आंतरिक विरोध के चलते अपना नाम वापस ले लिया है, जिसके बाद कुलमन घीसिंग का नाम आगे आया था । लेकिन, देर रात राष्ट्रपति भवन में हुई एक अहम बैठक ने पूरा खेल पलट दिया।
1. अहम बैठक: इस गुप्त बैठक में राष्ट्रपति पौडेल, सेना प्रमुख अशोक राज सिगडेल, सुशीला कार्की और अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे ।
2. Gen-Z की चेतावनी: 'जेन-ज़ी' प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी थी कि अगर सुशीला कार्की को पीएम घोषित नहीं किया गया तो देश में तबाही मच जाएगी, जिससे सरकार और सेना पर भारी दबाव था।
3. संवैधानिक अड़चन दूर: कार्की के नाम पर सबसे बड़ी बाधा संवैधानिक थी, क्योंकि नेपाल का संविधान किसी पूर्व मुख्य न्यायाधीश को राजनीतिक पद लेने की अनुमति नहीं देता। हालांकि, देश की सुरक्षा और आपातकालीन स्थिति को देखते हुए राष्ट्रपति 'अनिवार्यता के सिद्धांत' (Doctrine of Necessity) का उपयोग करते हुए एक विशेष अध्यादेश जारी कर सकते हैं, जिससे उनकी नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है ।
कौन हैं सुशीला कार्की?
सुशीला कार्की का जीवन संघर्ष और उपलब्धियों से भरा रहा है।
1. प्रारंभिक जीवन: एक किसान परिवार में जन्मीं सुशीला कार्की ने भारत की बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से राजनीति विज्ञान में एमए किया है ।
2. न्यायिक करियर: उन्होंने एक वकील के रूप में मानवाधिकार (Human Rights) के कई मामले उठाए और 2009 में सुप्रीम कोर्ट में जज बनीं।
3. पहली महिला मुख्य न्यायाधीश: 2016 में, वह नेपाल के इतिहास में पहली महिला मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) बनीं। हालांकि, 2017 में उन्हें पद से हटाने के लिए महाभियोग (Impeachment) का भी सामना करना पड़ा था ।
आगे क्या?
सुशीला कार्की के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती अगले 6 महीनों के भीतर देश में निष्पक्ष चुनाव कराना और शांति व्यवस्था बहाल करना है । हालांकि, 'जेन-ज़ी' समूह की संसद भंग करने की मांग पर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है, जिसे लेकर आगे भी गतिरोध बना रह सकता है। काठमांडू के लोकप्रिय मेयर बालेन शाह ने भी कार्की का समर्थन किया है, जिससे उनकी स्थिति और मजबूत हुई है ।
MA