शारदीय नवरात्रिः दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, इस मंत्र के जाप से पूरी होगी हर मनोकामना
चंडीगढ़,04 अक्तूबर, 2024ः शारदीय नवरात्रि का आज (शुक्रवार) दूसरा दिन है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। इस दिन उनकी पूजा करने से आपके जीवन की सारी परेशानियां दूर होती हैं। मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। इस वजह से उनको ब्रह्मचारिणी कहते हैं। मान्यता है कि नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन में अच्छे गुण आते हैं। साथ ही आपके अंदर त्याग, सदाचार और संयम की भावना बढ़ती है। ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्तों को जीवन में आने वाली सभी बाधाओं और कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। आईए आपको कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, भोग आदि के बारे में बताते है।
हिंदू पंचाग के अनुसार, नवरात्रि में द्वितीया तिथि की शुरुआत 4 अक्टूबर को तड़के 02:58 बजे हो जाएगी और इसका समापन 5 अक्टूबर की सुबह 05:30 बजे होगा।
मां ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र
1. ओम देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
2. ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते।।
3. या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां ब्रह्मचारिणी का भोग?
मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए आप भोग में चीनी या गुड़ अर्पित कर सकते हैं। इसे बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा करने से व्यक्ति को लंबी उम्र का वरदान प्राप्त होता है। इसके अलावा आप गुड़ या चीनी से बनी मिठाई का भोग भी लगा सकते हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह में स्नान आदि से निवृत होकर व्रत और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का संकल्प करते हैं. उसके बाद मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अक्षत्, कुमकुम, फूल, फल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से करते हैं. पूजा के समय उनके मंत्रों का उच्चारण करें. मां ब्रह्मचारिणी को चमेली के फूलों की माला पहनाएं. उसके बाद शक्कर और पंचामृत का भोग लगाएं. दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं. श्री दुर्गा सप्तशती भी पढ़ें. पूजा के अंत में मां ब्रह्मचारिणी की आरती करें.
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