चंडीगढ़ में हरियाणा-पंजाब का 60:40 अनुपात हो रहा कमजोर, घटता जनाधार बना चिंता का विषय
चंडीगढ़ यूटी प्रशासन से हरियाणा अधिकारियों का मोहभंग,
एक के बाद एक कर रहे वापसी — प्रशासनिक असंतुलन पर उठे सवाल
रमेश गोयत
चंडीगढ़ , 14 जुलाई 2025। चंडीगढ़ यूटी प्रशासन और हरियाणा काडर के अधिकारियों के बीच लगातार बढ़ते असंतोष और दूरी ने सोमवार को हरियाणा सिविल सचिवालय में चर्चा बक विषय बना रहा। अधिकारियों से लेकर नेताओं तक के बीच यह चर्चा का विषय रहा कि आखिर क्यों एक के बाद एक अधिकारी यूटी से समय से पहले वापसी कर रहे हैं।
जहां हरियाणा काडर से चंडीगढ़ यूटी में प्रतिनियुक्ति पर आने के इच्छुक अधिकारी अब नियुक्ति से पहले यूटी की कार्यप्रणाली और वहां के माहौल की पड़ताल करने लगे हैं, वहीं बीते एक वर्ष में कम से कम चार एचसीएस अधिकारी और आबकारी-कराधान विभाग के एक एईटीसी पहले ही अपने मूल राज्य हरियाणा लौट चुके हैं।
चंडीगढ़ में हरियाणा-पंजाब का 60:40 अनुपात हो रहा कमजोर, घटता जनाधार बना चिंता का विषय
चंडीगढ़, जो 1966 से पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी के रूप में कार्य कर रहा है, वहां अब दोनों राज्यों के बीच तय 60:40 की प्रशासनिक और सेवा क्षेत्र की भागीदारी धीरे-धीरे कमजोर होती दिख रही है। लंबे समय से चली आ रही इस व्यवस्था में हाल के वर्षों में असंतुलन सामने आया है, जिससे खासकर हरियाणा काडर के अधिकारियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों में असंतोष उभरने लगा है।
क्या है 60:40 रेशो की व्यवस्था?
जब चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था, तब निर्णय लिया गया था कि प्रशासनिक ढांचे में हरियाणा और पंजाब के अधिकारियों और कर्मचारियों को 60:40 के अनुपात में प्रतिनियुक्त किया जाएगा। इसी व्यवस्था के तहत यूटी प्रशासन में दोनों राज्यों के अधिकारी विभिन्न विभागों में तैनात किए जाते रहे हैं।
मौजूदा स्थिति: संतुलन बिगड़ता हुआ
हालांकि कागजों पर यह अनुपात अब भी बरकरार है, लेकिन व्यवहार में स्थिति बदल चुकी है:
वरिष्ठ पदों पर यूटी काडर का दबदबा:
आबकारी, परिवहन, नगर निगम और शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों पर अब यूटी काडर के अधिकारी ही तैनात किए जा रहे हैं।
हरियाणा काडर के अधिकारियों की सीमित नियुक्ति:
वर्तमान में चंडीगढ़ में कार्यरत हरियाणा काडर के वरिष्ठ अधिकारियों की संख्या लगातार घट रही है। कई अधिकारियों ने कार्यशैली व सम्मानजनक जिम्मेदारी न मिलने के चलते समय से पहले वापसी ले ली है।
स्थानीय निकायों में असमान प्रतिनिधित्व:
एसडीएम, एस्टेट ऑफिस, आबकारी कराधान, सिटको और चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड जैसी संस्थाओं में हरियाणा के प्रतिनिधियों की उपस्थिति नाममात्र रह गई है।
राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
हरियाणा के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों और राजनेताओं ने निजी बातचीत में इस असंतुलन पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि यदि यही स्थिति बनी रही, तो चंडीगढ़ में हरियाणा की प्रशासनिक हिस्सेदारी धीरे-धीरे समाप्त हो सकती है, जिससे राज्य के हितों की अनदेखी हो सकती है।
वहीं पंजाब से जुड़े अधिकारियों और नेताओं का मानना है कि नियुक्तियाँ योग्यता और उपलब्धता के आधार पर होनी चाहिए, न कि कोटे की बाध्यता से।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि:"60:40 का अनुपात केवल प्रशासनिक संतुलन नहीं, बल्कि एक संवेदनशील राजनीतिक समझौता है। इसका संतुलन बिगड़ना दोनों राज्यों के बीच अविश्वास की स्थिति पैदा कर सकता है।"
चंडीगढ़ में हरियाणा और पंजाब के बीच बना 60:40 का संवेदनशील संतुलन अब केवल आंकड़ों में रह गया लगता है। यदि जल्द ही इसे दुरुस्त करने के लिए दोनों राज्यों और केंद्र सरकार के बीच समन्वय नहीं हुआ, तो यह असंतुलन प्रशासनिक ही नहीं, बल्कि राजनीतिक अस्थिरता का कारण भी बन सकता है।
क्या चंडीगढ़ में हरियाणा का घटता जनाधार एक नई बहस की शुरुआत है?
यह प्रश्न अब केवल ब्यूरोक्रेसी का नहीं, बल्कि दोनों राज्यों की आत्मा से जुड़ा मुद्दा बनता जा रहा है।
शशि वसुंधरा और डॉ. ऋचा राठी ने जताई वापसी की इच्छा
एचसीएस 2016 बैच की अधिकारी शशि वसुंधरा, जो चंडीगढ़ नगर निगम में जॉइंट कमिश्नर के पद पर थीं, ने अपनी वापसी की आधिकारिक इच्छा जताई है। उनकी जगह भेजे गए नए पैनल में कमलप्रीत कौर, राधिका सिंह और भूपेन्द्र सिंह के नाम शामिल हैं।
वहीं एचसीएस 2013 बैच की डॉ. ऋचा राठी, जो हाल ही में तैनात हुई थीं, उन्होंने भी अपनी वापसी का अनुरोध कर दिया है।
पहले भी देखी गई वापसी की कड़ी
इससे पहले भी शालिनी चेतल एचसीएस, शंभू राठी एचसीएस और संयम गर्ग एचसीएस जैसे अधिकारी समय से पहले यूटी से वापस हरियाणा लौट चुके हैं। इनमें से कुछ ने प्रशासनिक असहजता जताई तो कुछ को यूटी प्रशासन ने ही समय से पहले रिलीव कर दिया।
वर्तमान में कार्यरत हरियाणा अधिकारी
वर्तमान में यूटी में कार्यरत हरियाणा काडर के अधिकारियों में प्रमुख नाम हैं:
प्रद्युमन सिंह – निदेशक, सीटीयू
सुमित सिहाग – जॉइंट कमिश्नर, नगर निगम
ईशा कंबोज – एसडीएम साउथ
जबकि सीनियर आईएएस में निशांत यादव (उपायुक्त) और मनदीप बराड़ (गृह सचिव) व एसएसपी ट्रैफिक हरियाणा काडर से हैं।
बदलता संतुलन और सीमित हो रहा हरियाणा का प्रभाव
1966 से ही चंडीगढ़ को पंजाब और हरियाणा की साझा राजधानी और केंद्र शासित प्रदेश के रूप में चलाया जा रहा है। परंपरा के अनुसार, डीसी, गृह सचिव व एसएसपी ट्रैफिक जैसे प्रमुख पदों पर हरियाणा काडर के अधिकारी रहते आए हैं। लेकिन बीते कुछ वर्षों में तस्वीर बदल रही है:
आबकारी विभाग: अब यूटी काडर के आईएएस के अधीन
परिवहन सचिव: पंजाब काडर के अधीन
सिटको के एमडी: अब यूटी काडर को सौंपा गया
नगर निगम: विशेष कमिश्नर पद पर यूटी अधिकारी की तैनाती
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