चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस फिर विवादों में: एएसआई का एक्टिवा सवार को थप्पड़ मारने का वीडियो वायरल, पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल
बाहर की नंबर प्लेट वाली गाड़ियों से ‘वॉयलेशन’ के नाम पर आम वसूली, अब थप्पड़कांड ने बढ़ाई चिंता
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 7 जून:। चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई है। सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक ट्रैफिक पुलिसकर्मी — एएसआई जगदीप — एक्टिवा सवार युवक को थप्पड़ मारते हुए नजर आ रहा है। यह घटना शहर के सेक्टर-38 वेस्ट लाइट प्वाइंट के पास 21 मई की बताई जा रही है।
वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि एक्टिवा सवार युवक सड़क पर खड़ा है और पुलिसकर्मी उससे बहस कर रहा है। युवक हाथ जोड़कर माफी मांगता दिख रहा है और कहता है कि टक्कर जानबूझकर नहीं हुई। इसके जवाब में एएसआई भड़क जाता है और कहता है, "टक्कर मारकर अब सॉरी बोलेगा?" इसके बाद वह युवक को जोरदार थप्पड़ मार देता है। आसपास खड़े लोगों ने इस पूरे घटनाक्रम को अपने मोबाइल कैमरे में रिकॉर्ड कर लिया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस की कार्यशैली पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। एक ओर जहां ट्रैफिक नियमों की सख्ती का हवाला दिया जाता है, वहीं दूसरी ओर आमजन विशेषकर बाहर से आने वाले वाहन चालकों को पुलिस की 'संदिग्ध सख्ती' और वसूली का शिकार होना पड़ रहा है।
लगातार मिल रही हैं बाहर के नंबर की गाड़ियों से वसूली की शिकायतें
शहर में हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तराखंड जैसे राज्यों से आने वाले वाहन चालकों की शिकायत है कि ट्रैफिक पुलिस आए दिन 'वायलेशन' के नाम पर चालान या कैश में वसूली करती है, खासकर उन जगहों पर जहां सीसीटीवी या निगरानी कम होती है। ऐसे वाहनों को बिना ज्यादा सवाल-जवाब के रोक लिया जाता है और कभी हेलमेट, कभी रेड लाइट जंप, कभी सीट बेल्ट तो कभी एंट्री प्रतिबंध जैसे कारण बनाकर चालान या मौके पर वसूली की कोशिश की जाती है।
आमजन का सवाल: क्या यह कानून का दुरुपयोग नहीं?
स्थानीय निवासी और रूटीन में चंडीगढ़ आने वाले यात्रियों का कहना है कि बाहर की नंबर प्लेट देख पुलिस का रवैया अक्सर बदल जाता है। “जब हमारे पास कागजात पूरे होते हैं, तब भी कुछ न कुछ कमी बताकर परेशान किया जाता है। यह ट्रैफिक नियमों की आड़ में शोषण है,” ऐसा कहना है करनाल से आने वाले एक टैक्सी ड्राइवर का।
थप्पड़ कांड ने तोड़ी पुलिस पर भरोसे की डोर
वीडियो में जिस तरह युवक माफी मांगता नजर आता है, और फिर भी पुलिसकर्मी द्वारा थप्पड़ मारा जाता है, उससे पुलिस की संवेदनहीनता उजागर होती है। कानून व्यवस्था की रक्षा करने वाले जब खुद कानून की सीमाएं लांघने लगें, तो आम नागरिक के लिए न्याय और सुरक्षा की उम्मीद धूमिल हो जाती है।
अब जरूरी है पारदर्शिता और जवाबदेही
नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि बाहर की गाड़ियों से वसूली के मामलों में पारदर्शिता लाई जाए। हर ट्रैफिक पॉइंट पर बॉडी कैमरा अनिवार्य किया जाए, और पुलिसकर्मियों की कार्यप्रणाली की ऑडिटिंग हो। साथ ही, वायरल वीडियो वाले एएसआई के खिलाफ निष्पक्ष और तेज़ कार्रवाई की जाए।
चंडीगढ़ ट्रैफिक पुलिस को अब यह समझने की जरूरत है कि ट्रैफिक नियम लागू करना और सम्मानजनक व्यवहार बनाए रखना, दोनों समान रूप से जरूरी हैं। वसूली और दुर्व्यवहार जैसी घटनाएं न सिर्फ विभाग की छवि को धूमिल करती हैं, बल्कि आमजन के मन में कानून के प्रति आस्था भी कमजोर करती हैं।
पिछली घटनाओं की याद दिलाता मामला
इससे कुछ ही दिन पहले हेलो माजरा लाइट प्वाइंट पर हरियाणा के एक ब्लॉक समिति अध्यक्ष से वायलेशन के नाम पर कथित तौर पर पैसे वसूलने का मामला सामने आया था। उस घटना ने पहले ही पुलिस की छवि पर सवाल खड़े कर दिए थे और अब यह नया मामला पुलिस के व्यवहार को लेकर फिर बहस छेड़ रहा है।
जनता में आक्रोश, जवाबदेही की मांग
घटना सामने आने के बाद शहरवासियों में नाराजगी देखी जा रही है। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर एएसआई के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। लोगों का कहना है कि अगर ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन हुआ भी हो, तो उसका समाधान कानूनन तरीका अपनाकर होना चाहिए न कि सार्वजनिक रूप से किसी को अपमानित या अपशब्द कहकर।
पुलिस विभाग का कोई आधिकारिक बयान नहीं
अब तक चंडीगढ़ पुलिस की ओर से इस वीडियो पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि वायरल वीडियो की जांच के लिए आंतरिक विभागीय कार्रवाई की शुरुआत हो सकती है।
एक तरफ चंडीगढ़ को स्मार्ट सिटी और बेहतर कानून व्यवस्था वाला शहर बताया जाता है, वहीं दूसरी ओर इस तरह की घटनाएं पुलिस की साख को बट्टा लगाती हैं। सवाल यह भी उठता है कि क्या ऐसे मामलों में केवल जांच की बात करके जिम्मेदार अधिकारियों को बचाया जाएगा या फिर वास्तव में कड़ी कार्रवाई की जाएगी?
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