चंडीगढ़ सेक्टर-26 मंडी बदहाल, साफ़-सफाई, मंडी फीस चोरी व अतिक्रमण बना प्रशासन के लिए सिरदर्द
रमेश गोयत
चंडीगढ़, 7 जून।: चंडीगढ़ की सबसे बड़ी फल एवं सब्जी मंडियों में से एक, सेक्टर-26 की मंडी एक बार फिर गंभीर अव्यवस्थाओं के चलते विवादों में है। मंडी में भारी अतिक्रमण, मंडी फीस की चोरी, अवैध वसूली, साफ-सफाई की खराब स्थिति और सुरक्षा के नाम पर खर्चे के बावजूद सुरक्षा तंत्र का अभाव जैसे कई गंभीर मुद्दों ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
मंडी प्रशासक समेत दर्जन भर अधिकारियों की तैनाती के बावजूद अव्यवस्था हावी
प्रशासक के निर्देश पर मंडी के प्रबंधन के लिए एक दर्जन अधिकारियों को जिम्मेवारी सौंपी गई है, फिर भी मंडी की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। मंडी में हर तरफ कूड़े के ढेर लगे हुए हैं, जिससे आसपास का वातावरण दूषित हो रहा है। सेक्टर-26 की इस मंडी के बाहर पार्किंग और ग्रीन बेल्ट पर अवैध तौर पर तरबूज और खरबूजे की अलग मंडी संचालित हो रही है।
प्रशासनिक लापरवाही और स्थायी नेतृत्व का अभाव
मार्केट कमेटी सचिव 2021 में रिटायर हो चुके हैं, मगर उसके बाद स्थायी सचिव की नियुक्ति अब तक नहीं हुई। मंडी का संचालन अब एक सुपरवाइजर के भरोसे चल रहा है। 2018 के बाद से वाइस चेयरमैन का पद भी खाली है। वर्तमान में पीसीएस अधिकारी पवित्र सिंह मंडी प्रशासक के तौर पर कार्यरत हैं।
अवैध वसूली और सुरक्षा तंत्र में खामियां
मंडी में आठ गेट हैं, लेकिन किसी पर न तो सीसीटीवी कैमरे हैं, न ही गेट पास काटने की कोई व्यवस्था। सुरक्षा के नाम पर सालाना 60 लाख रुपये का ठेका एक निजी कंपनी को दिया गया है, फिर भी किसी गेट पर कोई सुरक्षा गार्ड मौजूद नहीं मिलता। इससे मंडी में माल के प्रवेश और निकास की निगरानी नहीं हो पाती, जिससे करोड़ों की मार्केट फीस चोरी का अंदेशा है।
मंडी में खुलेआम अतिक्रमण और फुटपाथ पर दुकाने
पूरी मंडी में दुकानदारों ने 10 से 15 फुट तक दुकानों के बाहर अतिक्रमण कर रखा है, जिससे आमजन के लिए पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है। ऑक्शन प्लेटफॉर्म पर भी अवैध कब्जे हैं और बगैर लाइसेंस के कई लोग आढ़ती के तौर पर काम कर रहे हैं। न तो ये लोग मार्केट फीस देते हैं, न ही प्रशासन इन पर कोई सख्ती करता है।
पूर्व में गोलियों तक की घटना, सीबीआई ने किया था अवैध वसूली का खुलासा
पिछले साल मंडी में अवैध वसूली को लेकर दो गुटों के बीच गोलीबारी की घटना हो चुकी है। वहीं एक आउटसोर्सिंग कर्मचारी को अधिकारियों के लिए अवैध वसूली करते हुए सीबीआई ने रंगे हाथ पकड़ा था। इसके बाद मार्केट कमेटी सचिव मनोज कुमार को हटाया गया था।
जज संजीव मित्तल की रिपोर्टों में खुलासे, फिर भी नहीं हुई सख्त कार्रवाई
2016 में रिटायर्ड एडिशनल एंड सेशन जज संजीव मित्तल ने फीस चोरी रोकने को लेकर विस्तृत रिपोर्ट दी थी, जिसमें मंडी गेटों पर टोल प्लाजा की तरह बैरियर, सीसीटीवी कैमरे और रजिस्ट्रेशन सिस्टम की सिफारिश की गई थी। लेकिन आज तक यह सिफारिशें लागू नहीं की गईं।
पूर्व आईएएस अधिकारी ने छापा मारकर 27 करोड़ रुपये की मंडी फीस चोरी का खुलासा किया था, जिसमें कई सुपरवाइजरों को चार्जशीट किया गया था।
प्रशासन के लिए मंडी बनी चुनौती
सेक्टर-26 मंडी की हालत ने चंडीगढ़ प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। मंडी से सालाना करोड़ों रुपये की आमदनी हो सकती है, लेकिन लापरवाही, भ्रष्टाचार और मिलीभगत के चलते यह राजस्व प्रशासन तक नहीं पहुंच पा रहा।
अब देखना होगा कि मंडी प्रशासक पवित्र सिंह इस बिगड़ी व्यवस्था को सुधारने के लिए क्या ठोस कदम उठाते हैं, या यह मंडी यूं ही प्रशासन की उपेक्षा की शिकार बनी रहेगी। पवित्र सिंह ने मीडिया को दिए बयान में कहा है कि वह जल्दी ही मंडी के लिए एक मास्टर स्ट्रोक जारी करेंगे जिससे मंडी की हालत में काफी सुधार होगा। अब मंडी के आढ़तियों व लोगों को पीसीएस अधिकारी के मास्टर्स स्ट्रोक का इंतजार है
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