हरियाणा पुलिस की पंचकूला पहल ने रचा सामाजिक बदलाव का इतिहास: ‘मेरा गांव, मेरी शान’ मॉडल बना प्रेरणा
रमेश गोयत
पंचकूला/ चंडीगढ़, 10 जून 2025
हरियाणा पुलिस की पंचकूला इकाई द्वारा चलाया गया नशामुक्ति अभियान अब सामाजिक परिवर्तन की एक मिसाल बन चुका है। ‘मेरा गांव, मेरी शान’ मॉडल पर आधारित इस अनूठे प्रयास ने पुलिस की छवि को केवल कानून लागू करने वाली एजेंसी से उठाकर समाज सुधारक के रूप में प्रस्तुत किया है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में दिसंबर 2024 में शुरू हुए इस अभियान ने पुलिस और समाज के रिश्ते को नई दिशा दी है। इस अभियान का उद्देश्य नशे की चपेट में आए लोगों को पुनर्वास के जरिए मुख्यधारा में लाना है। इसमें स्वास्थ्य विभाग, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, पंचायतें, माताएं-बहनें और स्थानीय समुदाय सभी सक्रिय रूप से शामिल हुए।
गांव-आधारित समाधान और संवाद की रणनीति
अभियान के आरंभ में संकोच और सामाजिक कलंक जैसी चुनौतियां सामने आईं। लेकिन पुलिसकर्मियों ने सादी वेशभूषा में जाकर संवाद की रणनीति अपनाई। व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से शिविरों की जानकारी, उपचार विकल्प और परामर्श साझा किया गया। इसके तहत जिन लोगों की नौकरी या संसाधनों के चलते इलाज तक पहुंच नहीं थी, उनके लिए पुलिस ने वाहन और विशेष सहायता की व्यवस्था की।
असरदार परिणाम, प्रेरक कहानियाँ
अब तक पंचकूला में 65 से अधिक नशामुक्ति शिविर आयोजित किए गए हैं, जिनमें 1,724 लोगों को चिकित्सीय सहायता दी गई है। 25 से अधिक वार्डों और बस्तियों को कवर किया गया है, और पुनरावृत्ति दर मात्र 8% रही – जो राष्ट्रीय औसत से काफी कम है।
कई प्रेरक उदाहरण भी सामने आए – जैसे अजय (बदला हुआ नाम) जिसने गांजे की लत से उबरकर अब दूसरों के लिए प्रेरणा बन गया है। एक नाबालिग लड़की के सफल पुनर्वास से 22 पेडलर्स की पहचान संभव हुई, जिससे क्षेत्र में नशा आपूर्ति की कमर टूटी।
वित्तीय दृष्टि से भी प्रभावशाली
अभियान की वार्षिक लागत जहां लगभग ₹10 लाख रही, वहीं इसके सामाजिक और आर्थिक लाभ ₹6.32 करोड़ से अधिक आंके गए हैं – अर्थात हर एक रुपये पर समाज को ₹64 का लाभ मिला। यह किसी सरकारी कार्यक्रम के लिए असाधारण लागत-लाभ अनुपात है।
राज्य भर में विस्तार की तैयारी
हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने पंचकूला पुलिस की इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “यह पुलिसिंग के मानवीय पक्ष का बेहतरीन उदाहरण है। पंचकूला मॉडल को अब अन्य जिलों में भी लागू किया जाएगा, ताकि नशामुक्त हरियाणा की दिशा में यह जनआंदोलन और व्यापक बन सके।”
हरियाणा पुलिस की यह पहल न केवल नशामुक्ति के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो रही है, बल्कि सामाजिक जागरूकता, भागीदारी और विश्वास की मिसाल भी बन गई है। यह दिखाता है कि जब संवेदनशीलता और संकल्प साथ चलें, तो बदलाव अवश्य होता है।
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